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पपौर में उत्खनन से सीवान के इतिहास को नये सिरे से जानने का मिला मौका

पपौर में उत्खनन से सीवान के इतिहास को नये सिरे से जानने का मिला मौका 2015 की सीवान की उपलब्धिवियतनाम की बौद्ध भिक्षुणी के नेतृत्व में इसी माह पपौर आयेंगे बौद्ध भिक्षु30 वर्षों के ग्रामीणों के संघर्ष के बाद एएसआइ ने दी थी उत्खनन की मंजूरीअधीक्षण पुरातत्वविद्क ने कहा, पपौर से मिले हैं प्राचीन अवशेषएएसआइ […]

पपौर में उत्खनन से सीवान के इतिहास को नये सिरे से जानने का मिला मौका 2015 की सीवान की उपलब्धिवियतनाम की बौद्ध भिक्षुणी के नेतृत्व में इसी माह पपौर आयेंगे बौद्ध भिक्षु30 वर्षों के ग्रामीणों के संघर्ष के बाद एएसआइ ने दी थी उत्खनन की मंजूरीअधीक्षण पुरातत्वविद्क ने कहा, पपौर से मिले हैं प्राचीन अवशेषएएसआइ के डीजी ने रिपोर्ट मिलने पर पुन: उत्खनन कराने का दिया आश्वासनभगवान बुद्ध ने निर्वाण के पूर्वाद्ध में काफी समय तक पपौर में बिताया थाफोटो:-16 पपौर में उत्खनन के पूर्व भूमि पूजन करते डॉ केसी श्रीवास्तव व अन्य (फाइल फोटो).फोटो:- 17 कुशेश्वर तिवारीसंवाददाता, सीवानभारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने 23 जुलाई को जिले के पचरुखी प्रखंड के पपौर गांव के टीले की खुदाई कर सीवान के इतिहास को नये सिरे से जानने का मौका दिया. उत्खनन की सूचना मिलने पर वियतनाम की बौद्ध भिक्षुणी माता जी बोधी चिठ्ठा व भांते अशोक के नेतृत्व में बौद्ध भिक्षु पपौर का दौरा करने जनवरी माह में ही सीवान आ रहे हैं. इन लोगों के आने का मुख्य उद्देश्य भगवान गौतम बुद्ध से जुड़े स्थलों का विकास करना है. सीवान का इतिहास गौरवशाली व समृद्ध रहा है. प्राचीन काल से ही इस भूमि की महत्ता सर्वविदित है.सर्व प्रथम अंगरेज विद्वान होय ने परखा तथा पपौर की बुद्ध काल के 16 महाजनपदों में मल्ल जनपद की राजधानी प्राचीन पावा के रूप में पहचान की.आजादी के बाद सीवान के इस गौरवशाली इतिहास पर शोध करने की तरफ देश के इतिहासकारों ने कोई विशेष ध्यान नहीं दिया. 2015 की 23 जुलाई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ केसी श्रीवास्तव ने उत्खनन कार्य शुरू कर सीवान के भू-गर्भ में छिपे रहस्यों से परदा उठाने का मौका दिया. इतिहासकारों का कहना है कि भगवान गौतम बुद्ध के निर्वाण प्राप्त होने के पूर्व पावा में ही तबीयत खराब हुई थी. इसके पहले भी पावा में कई बार बौद्ध संगति को भगवान बुद्ध ने संबोधित किया था. अतीत में यह कोशल महाजनपद के अंतर्गत था. उत्तर वैदिक काल से लेकर आज तक आबाध गति से इसका महत्वपूर्ण क्रमबद्ध इतिहास रहा है. किन्तु यह दुर्भाग्य का विषय है कि इस पर बहुत ही कम शोध कार्य हुए हैं. सीवान की धरती ऐतिहासिक धरोहरों एवं पुरातात्विक संपदाओं से अटी-पटी है.किंतु उत्तर वैदिक काल से लेकर से लेकर आज तक के इस क्रमबद्ध एवं विस्तृत इतिहास को नहीं लिखा जा सका.डीजी ने उत्खनन रिपोर्ट मिलने पर पुन: उत्खनन का दिया आश्वासन : पावा उन्नयन ग्राम समिति के संयोजक कुशेश्वर तिवारी ने बताया पिछले माह उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक डॉ राकेश तिवारी व उत्खनन के निदेशक शैयद जमाल हसन से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि डीजी ने बताया है कि पटना अंचल से पपौर उत्खनन का रिपोर्ट अभी नहीं आयी है. उन्होंने आश्वासन दिया कि रिपोर्ट आने के बाद पुन: उत्खनन कराने के लिए अनुशंसा दी जायेगी. इधर, अधीक्षण पुरातत्वविद् केसी श्रीवास्तव ने बताया कि पपौर में उत्खनन में मिले प्राचीन अवशेषों की जांच रिपोर्ट अभी नहीं आयी है. उन्होंने बताया कि पपौर के उत्खनन में प्राचीन आवासों के अवशेष, कार्बन, पॉट्री तथा कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं. उन्होंने कहा पपौर निश्चित तौर पर प्राचीन जगह है. अरेराज के उत्खनन रिपोर्ट देने के बाद उन्होंने सीवान के पपौर की उत्खनन रिपोर्ट डीजी को भेजने की बात कही.क्या कहते हैं कुशेश्वर तिवारी2015 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने पपौर में उत्खनन कार्य शुरू कर जिले के इतिहास को नये सिरे से जानने का मौका दिया है. उन्होंने बताया कि 2016-17 में पुन: पपौर की खुदाई करने का आश्वासन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक डॉ राकेश तिवारी ने दिया है.

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