बीते वर्ष का आर्थिक हाल
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जिले के बैंक व्यवसाय में 12 फीसदी की बढ़ोतरी
बीते वर्ष का आर्थिक हाल वित्तीय वर्ष 2014 – 15 में 7470 करोड़ का हुआ था कारोबार आबादी के बाइस फीसदी हुए बैंक खाताधारक गुजरे वर्ष में जिले की अर्थव्यवस्था ने नयी ऊंचाई हासिल की है. बैंकिंग कारोबार में तकरीबन 12 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 880 करोड़ का अतिरिक्त इजाफा हुआ है. बैंकों की […]
वित्तीय वर्ष 2014 – 15 में 7470 करोड़ का हुआ था कारोबार
आबादी के बाइस फीसदी हुए बैंक खाताधारक
गुजरे वर्ष में जिले की अर्थव्यवस्था ने नयी ऊंचाई हासिल की है. बैंकिंग कारोबार में तकरीबन 12 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 880 करोड़ का अतिरिक्त इजाफा हुआ है. बैंकों की सुविधाएं लोगों तक और सुलभ हुई हैं. इसके साथ ही कई दुस्वारियां भी बरकरार रहने से ग्राहकों को निराशा हाथ लगी है.
सीवान : बैंकिंग सेवाओं के विस्तार का नतीजा है कि जिले का कारोबार तेजी से बढ़ा है. वित्तीय विभाग के आकलन के मुताबिक मौजूदा वित्तीय वर्ष 2015-16 में अब तक बैंकों का कारोबार बढ़ कर 8350 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है, जिसमें जमा धन 6800 करोड़ तथा ऋण 1550 करोड़ रहा है. वर्ष 2014 – 15 में कारोबार 7470 करोड़ का हुआ था, जिसमें जमा धन 6070 करोड़ तथा ऋण 1400 करोड़ था.
बैंकों का हुआ तेजी से विस्तार : जिले में वर्ष 2015 में बैंक व उनकी शाखाओं का भी तेजी से विस्तार हुआ है. कुल 28 राष्ट्रीयकृत व प्राइवेट बैंक की 203 शाखाएं हैं, जिसमें वर्ष 2015 में दो दर्जन से अधिक बैंकों की शाखाएं खुलीं, जिसमें बंधन बैंक की तीन शाखाएं भी शामिल हैं. राष्ट्रीयकृत बैंकों में सर्वाधिक सेंट्रल बैंक व स्टेट बैंक की 17-17 शाखाएं तथा गैर राष्ट्रीयकृत की सबसे अधिक उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक की 84 शाखाएं हैं.
एटीएम की संख्या भी बढ़ी : जिले में एटीएम की सेवा का भी विस्तार हुआ है.तकरीबन मौजूद 132 एटीएम में से 40 नये एटीएम जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में खोली गयीं. एटीएम खुलने के साथ ही इसकी सुरक्षा के सवाल भी बढ़े हैं. अधिकतर एटीएम में सुरक्षा गार्ड न होने से परेशानी बरकरार है. खास बात है कि शाम ढलने के बाद अधिकतर एटीएम पर ताला लटक जाता है, जिससे ग्राहकों को परेशान होना पड़ता है.
एनआरआइ ग्राहकों पर रहा जोर : बैंकों ने अपनी सेवा में विस्तार के साथ ही राज्य में एनआरआइ ग्राहकों की जिले में अपेक्षाकृत अधिक संख्या को देखते हुए सेवा को सुलभ करने की कोशिश की है.एसबीआइ व केनरा बैंक ने एनआरआइ ब्रांच खोली है,वहीं अन्य बैंकों ने भी इनके सामान ही ग्राहक सुविधा को बढ़ाने का दावा किया है, जिसका असर देखने को मिलता है.
आठ लाख 12 हजार से अधिक ग्राहक : जिले में बैंक शाखाओं के खुलने के साथ ही ग्राहकों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है.आबादी के 22 फीसदी बैंक ग्राहकों की संख्या है. जिले की तकरीबन 37 लाख आबादी के सापेक्ष ग्राहकों का आंकडा आठ लाख 12 हजार से अधिक है. इसमें मात्र बचत व चालू खाता धारकों की संख्या शामिल है. बैंक प्रबंधन का कहना है कि एक ही व्यक्ति के कई बैकों में फिजुल के खाता खुले हुए हैं, जिससे ग्राहक से लेकर बैंक प्रबंधन दोनों परेशान होते हैं.
बैंकों पर बढ़ा अतिरिक्त बोझ : वर्ष 2015 में बैंकों पर सामान्य लेन-देन के अलावा अन्य कई योजनाओं के शुरू होने के साथ ही काम का बोझ भी बढ़ा है, जिसमें प्रधानमंत्री जन-धन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना के अलावा स्वर्ण मुद्राकरण योजना व स्वर्ण बांड योजना भी शामिल हैं.
इसके अलावा छोटे कारोबारियों के लिए शुरू की गयी मुद्रा योजना भी बैंकों के अतिरिक्त कार्यभार में शामिल हुई है. इसके तहत कारोबार के प्रथम स्टेज शिशु में 50 हजार, किशोर स्टेज में पांच लाख तथा तरुण स्टेज में 10 लाख तक ऋण का प्रावधान है.
बैंकों के खुले क्षेत्रीय व्यावसायिक कार्यालय : जिले की अर्थव्यवस्था में सुधार के क्रम में दो बैंकों के क्षेत्रीय व्यावसायिक कार्यालय खुलना बड़ी उपलब्धि है, जिसमें स्टेट बैंक व बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं.जबकि पूर्व में स्थापित यहां सेंट्रल बैंक का क्षेत्रीय व्यावसायिक कार्यालय यहां से अब मोतिहारी चला गया, जिससे ग्राहकों को निराशा हाथ लगी. खात बात है कि बैंक शाखाओ के प्रति शिकायत में क्षेत्रीय व्यवसायिक कार्यालय की भूमिका प्रमुख मानी जाती है.
साइबर क्राइम में तेजी से हुई है वृद्धि
कोरोबार बढ़ा, पर ग्राहकों की दुश्वारियां कम नहीं हुईं. बैंक शाखाओं के बढ़ने के साथ ही एटीएम भी बढ़े हैं, जिसके साथ ही साइबर क्राइम के औसत में भी वृद्धि हुई है. एटीएम कार्ड बदल कर रुपये निकालना, वेरीफिकेशन के नाम पर एटीएम का पासवर्ड व पिन नंबर लेकर रुपये निकालना, एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर धोखे से रुपये निकालने समेत साइबर क्राइम की घटनाएं शामिल हैं. एटीएम पर सुरक्षा गार्ड के न होने के कारण ग्राहकों को परेशान होना पड़ता है.
उधर, सभी बैंकों के अंदर व बाहर सीसीटीवी लगाने की योजना भी अधर में है. शहर के स्टेट बैंक व सेंट्रल बैंक के अलावा कमोबेश किसी भी बैंक में बाहर सीसीटीवी नहीं लगे हैं.जबिक आपराधिक गतिविधियां बाहर से ही शुरू होती हैं, जिसे देखते हुए प्रशासन ने यह योजना बनायी थी.
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