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तोड़-फोड़ के बाद नहीं सुधरी सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा

तोड़-फोड़ के बाद नहीं सुधरी सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा 20अप्रैल को आक्रोशित लोगों ने सदर अस्पताल में की थी तोड़-फोड़उसी समय से सदर अस्पताल में बंद हैं अधिकतर ओपीडीआठ महीने बाद भी नहीं चालू हो सका ऑपरेशन थियेटरतब से सिजेरियन व ऑपरेशन का भी काम है बाधितफोटो : 23 सदर अस्पताल.सीवान . वर्ष 2015 […]

तोड़-फोड़ के बाद नहीं सुधरी सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा 20अप्रैल को आक्रोशित लोगों ने सदर अस्पताल में की थी तोड़-फोड़उसी समय से सदर अस्पताल में बंद हैं अधिकतर ओपीडीआठ महीने बाद भी नहीं चालू हो सका ऑपरेशन थियेटरतब से सिजेरियन व ऑपरेशन का भी काम है बाधितफोटो : 23 सदर अस्पताल.सीवान . वर्ष 2015 जिले के लोगों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा नहीं रहा. अप्रैल माह की 20 तारीख को आक्रोशित लोगों ने उपचार में कमी का आरोप लगा कर सदर अस्पताल में तोड़-फोड़ कर आग लगा दी. इस घटना में सदर अस्पताल की करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ ही, दूसरी तरफ स्वास्थ्य सेवा ठप पड़ गयी. करीब एक सप्ताह तक इमरजेंसी सेवा भी बाधित रही. उसके बाद कठिन प्रयास के बाद जनरल ओपीडी, नेत्र ओपीडी व महिला ओपीडी को किसी तरह दो-तीन महीने बाद चालू किया गया, लेकिन शिशु रोग ओपीडी, पुराना ऑपरेशन थियेटर को आज तक चालू नहीं किया जा सका.आज भी नहीं हो पाता है आसानी से सिजेरियन व ऑपरेशन : पुराने ऑपरेशन थियेटर, जिसमें ऑपरेशन करने की सुविधा थी, तोड़-फोड़ की घटना के बाद उसे चालू नहीं किया जा सका. इसके कारण सदर अस्पताल में प्रसव कराने आने वाली महिलाओं के जटिल प्रसव का सिजेरियन आसानी से नहीं हो पाता है. करीब एक माह पहले नये ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन की व्यवस्था की गयी है, लेकिन महिलाओं को सिजेरियन कराने के लिए काफी परेशानी होती है. फिलहाल बिना पैरवी के सिजेरियन संभव नहीं है. पुराने ऑपरेशन थियेटर के नहीं चालू होने से गरीब मरीजों के हाइड्रोसील व हर्निया जैसे छोटे-मोटे ऑपरेशन करीब बंद ही हो गये हैं. सबसे ज्यादा परेशानी तो दुर्घटना में घायल होकर आनेवाले मरीजों को गंभीर जख्म होने पर उनका ओटी में प्राथमिक उपचार नहीं हो पाता है. महिला मरीज हो या पुरुष सभी मरीजों का खुले में प्राथिमक उपचार किया जाता है.मुफ्त में विकास का काम कराना महंगा पड़ा अस्पताल प्रशासन को : दिल्ली के एक समाजसेवी संगठन द्वारा सदर अस्पताल में मुफ्त में विकास का काम कराना लगता है महंगा पड़ गया. उस समाजसेवी संगठन ने तत्कालीन डीएम के सामने इतनी बड़ी अपनी डींग हांकी कि डीएम साहब उसके फेरे में आ गये तथा सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड, पुरुष वार्ड, पुराने ओटी का जीर्णोद्धार तथा टीबी वार्ड के पीछे वेस्ट पानी के लिए सोख्ता बनाने का आदेश दे दिया. समाजसेवी संगठन ने सबसे पहले इमरजेंसी वार्ड का काम 20 अप्रैल से शुरू किया, जो आज तक पूरा नहीं हो सका. पुरुष वार्ड, पुराना ओटी व सोख्ता कब बनेगा, यह तो समाजसेवी संगठन को चलानेवाले ही बता सकते हैं. इमरजेंसी वार्ड के जीर्णोद्धार का काम तो पूरा हो गया है, लेकिन बिजली की वायरिंग नहीं होने के कारण आपात कक्ष पुरुष वार्ड में ही संयुक्त रूप से चल रहा है.क्या कहते हैं अधिकारी आपात कक्ष को पुन: चालू करने के मामले को डीएम साहब स्वयं देख रहे हैं. जब तक काम करानेवाला समाजसेवी सेवी संगठन लिख कर नहीं देता है कि मैं आगे काम कराने में असमर्थ हूं, तब तक अस्पताल प्रशासन काम नहीं करा सकता है. अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा में पहले से काफी सुधार हुआ है.डॉ एमके आलम, उपाधीक्षक,सदर अस्पताल

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