दोपहिया वाहन के साथ फर्राटा भरते दिखते हैं स्कूली छात्र
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नाबालिग हाथों को रखें हादसों से दूर
दोपहिया वाहन के साथ फर्राटा भरते दिखते हैं स्कूली छात्र वाहन अधिनियम को ठेंगा दिखा करते हैं बाइक की सवारी कानून का नहीं दिखता है खौफ सड़क हादसों में आये दिन मौत व गंभीर रूप से घायल होने की घटनाओं का सबसे अधिक नाबालिग हर दिन शिकार हो रहे हैं.नाबालिग स्कूली छात्रों के ड्राइविंंग करने […]
वाहन अधिनियम को ठेंगा दिखा करते हैं बाइक की सवारी
कानून का नहीं दिखता है खौफ
सड़क हादसों में आये दिन मौत व गंभीर रूप से घायल होने की घटनाओं का सबसे अधिक नाबालिग हर दिन शिकार हो रहे हैं.नाबालिग स्कूली छात्रों के ड्राइविंंग करने पर रोक के प्रति न तो विद्यालय प्रशासन आगाह करता दिख रहा है और न ही जवाबदेह परिवहन व पुलिस विभाग के पदाधिकरी ही कोई कार्रवाई करते हैं. ऐसे में यह संकट परिवार व कानून के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है.
सीवान : सड़क हादसों में कमी लाने के लिए सरकारी तंत्र की तरफ से ठोस पहल होती नहीं दिख रही है. लिहाजा मोटर वाहन अधिनियम का सबसे अधिक उल्लंघन नाबालिग छात्र करते नजर आ रहे हैं .विशेष कर हाइ स्कूल व इंटर में अध्ययनरत छात्रों को सड़कों पर बेरोकटोक दोपहिया वाहन चलाते हर दिन देखा जाता है.
कैंपस के साथ ही कोचिंग संस्थानों में ऐसी तसवीर सबसे अधिक नजर आती है. ये वाहन चालक छात्र औसतन 13 से लेकर 16 वर्ष तक के रहते हैं, जिनका वाहन चलाना अपराध की श्रेणी में शामिल है. मोटर वाहन अधिनियम के उल्लंघन के इन मामलों में रोक के लिए कोई सख्ती न होने से यह शिकायत और बढ़ती जा रही है.
हर माह बनते हैं ढाई हजार ड्राइविंग लाइसेंस : जिले में हर माह ढाई हजार ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जिला परिवहन कार्यालय में आवेदन जमा होते हैं, जिसमें तकरीबन 50 फीसदी ही लर्निंग लाइसेंस धारक द्वारा स्थायी आवेदन प्रस्तुत किये जाते हैं. कंप्यूटरीकृत वाहन लाइसेंस धारक की संख्या जिले में 70 हजार से अधिक है, जिसमें 18 से 30 वर्ष की औसत उम्र की संख्या 60 प्रतिशत, 30 से 40 वर्ष की संख्या 25 प्रतिशत व अन्य की 15 प्रतिशत है.जबकि वाहन चैकिंग के दौरान आये दिन पकड़े जानेवाले चालकों में तकरीबन 25 प्रतिशत संख्या नाबालिग चालकों की होती है.
विद्यालय प्रबंधन की नहीं दिखती कोशिश : नाबालिग छात्रों के वाहन चलाने पर रोक के लिए विद्यालय प्रबंधन द्वारा कभी सार्थक पहल नहीं दिखती. हाल यह है कि शिक्षक तथा कोचिंग संचालकाें के सामने ही ये छात्र वाहन चलाते हुए दिखते हैं. इन छात्रों का दुस्साहस व अनुशासनहीनता साफ नजर आती है. इसके बाद भी नजीर के तौर पर भी जिले में अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं दिखती है, जिससे ऐसे छात्र भी कानून के प्रति बेपरवाह बने हुए हैं.
अभिभावक नहीं दिखाते जागरूकता : बेमौत मरने की घटनाओं पर रोक में अभिभावकों की प्रमुख भूमिका हो सकती है.हादसों के बाद भी अभिभावकों द्वारा इसे रोकने के लिए पहल नहीं दिखती है, जबकि कानून के उल्लंघन पर रोक के मामले में अभिभावक ही सबसे प्रमुख भूमिका नहीं निभा सकते हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
अभियान चला कर नाबालिग चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. विशेषकर नाबालिग चालकों के मामले में विशेष अभियान आगे चलाया जायेगा.
वीरेंद्र प्रसाद, डीटीओ,सीवान
नाबालिग चालकों के खिलाफ पुलिस टीम विशेष अभियान चलायेगी. इसके अलावा विद्यालय प्रबंधन को भी इसके लिए पत्र लिखा जायेगा.
सौरभ कुमार साह, एसपी,सीवान
विद्यालयों को पत्र लिख कर कैंपस में हर हाल में नाबालिग छात्रों के वाहन चला कर प्रवेश करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है, जिस पर अमल कराया जायेगा.
अखिलेश्वर प्रसाद, प्रभारी डीइओ,सीवान
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