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राजद ने चलाया सदस्यता अभियान

राजद ने चलाया सदस्यता अभियान मैरवा. राजद सदस्यता अभियान के तहत मैरवा के इंगलिश सेमरा व बड़गांव के कई टोले मे शनिवार को सदस्यता अभियान चलाया गया़ जिसमें 2 हजार लोगों को सदस्य बनाया गया़ इसकी जानकारी राजद युवा जिलामहासचिव सैयद इकबाल अहमद ने देते हुए बताया कि महागंठबंधन की सफलता के बाद लोग स्यवं […]

राजद ने चलाया सदस्यता अभियान मैरवा. राजद सदस्यता अभियान के तहत मैरवा के इंगलिश सेमरा व बड़गांव के कई टोले मे शनिवार को सदस्यता अभियान चलाया गया़ जिसमें 2 हजार लोगों को सदस्य बनाया गया़ इसकी जानकारी राजद युवा जिलामहासचिव सैयद इकबाल अहमद ने देते हुए बताया कि महागंठबंधन की सफलता के बाद लोग स्यवं इससे जुड़ना चाह रहे है जिससे हमारी पार्टी का सदस्यता अभियान तेजी से बढ़ रहा है़ इस दौरान विनोद यादव, गोबिंदा यादव, दिलीप यादव, मुस्तुफा अंसारी, मुनीलाल चौहान, हलचल चौहान, जयराम गोड़, श्रीराम गोड़, दारोगा सिंह, सोनू सिह, युनूस अंसारी सहित अन्य थे़ तीन गांवो में छायी रहती है विरानीदरौली- आपने अक्षय कुमार व सोनाक्षी सिन्हा द्वारा अभिनित फिल्म जोकर शायद देखी होगी इसमे तीन राज्यों की सीमाओं केा छूने वाला एक गांव भारत के नाम से गायब है़ ठीक इसके उलट जिले के दरौली प्रखंड में तीन ऐसे गांव है जो बिहार के राजनीतिक नक्शें में तो है लेकिन भोगोलिक नक्शे मे बात करे तो दशकों से यहां कोई आबादी ही नहीं रहती है़ जरा सोचे कि इन गांवों के लिए सरकारी योजनाओ के तहत इनके विकास के लिए योजना बनती होगी, लेकिन किसके लिए इन गांवों का अपनी जगह पर न होना गांव के बसने ,उजड़ने की दास्ता बताता है़ इन गांवो की दास्ता हमारी प्राचीन सभ्यता की दास्तां है़ बुजुगांर्े को तो नहीं लेकिन नौजवान पीढी केा जब यह जानकारी मिलेगी कि जिले में ऐसे भी गांव है जहां कोई नहीं रहता है और सभी सुविधाएं मुहैयां होती है तो वह आश्चर्यचकित हो जायेगी़ उन्हे लगेगा कि यह अजुबा है लेकिन ऐसा नहीं दशकों पहले जब गांव का नामकरण हुआ था लेकिन वर्तमान में वहां कोई नहंी रहता है गांव का नाम आज भी बड़े गर्व से लिया जाता है़यही नहीं अन्य गांवों की तरह इन गांवों का भी कागजात व नक्शें ंमे नाम चल रहा है़ मालूम हो कि जिले के दरौली प्रखंड का धर्म की नगरी से काफी पुरान नाता रहा है इस प्रखंड से होकर गुजर रही पवित्र सरयु नदी के तट पर हर पर्व पर श्रद्घालुओं की अपार भीड़ भी लगी रहती है़ वही प्रखंड का दोन जो गुरू द्रोण की कर्मस्थली है़ इसी तरह कृष्णपाली गांव के बारे मे विडंबना है कि भगवान कृष्ण का यहां पर लालन पालन हुआ था़ इसी तरह कुकुरभुक्का गांव है जहां गुरू द्रोण के शिक्षा देने से मना करने के बाद एकलब्य ने एकांत में धनुष विद्या सीखी थी इसी प्रखंड में तीन गांव ऐसे है जो बिना छप्पर के मौजा यानि बिना लोगो के बसाये हुए गांव है़ हम बात कर रहे है दरौली-मैरवा मुख्य मार्ग पर स्थित दो गांव श्यामबेदी व शोभनयक मठिया की तीसरी गावं इसी गांव मार्ग पर स्थित बलिया से ठीक पश्चिम स्थित भरसंडा है़ वहा पर कोई भी ब्यक्ति नहीं रहता है उनमे से भरसंडा व शोभनयक मठिया का इतिहास तो बिलुप्त हो चुका है़ उसके बारे में सिर्फ बुजुर्ग ही जानते है लेकिन श्यामबेदी गांव का नाम हर ब्यक्ति के जेहन में है यह इसलिए है कि पुनक व बढेया को जाने वाले यात्री यही से उतर कर पैदल अपने घर को जाते है़ इन तीनों गावों में एक ब्यक्ति नहीं रहता बुजुगार्े की माने तो श्यामबेदी के इतिहास की जानकारी है पर शोभनयक के बारे में उन्हे याद नहंी है उनके अनुसार मैरवा के शाही लोगों ने हरेराम ब्रह्म के परम भक्त श्यामबाबा को बलिया से लाकर यहां बसाया था उनके द्वारा ही इस गांव का करीब 52 बीघा जमीन दान दी गई , श्यामबाबा के कुल के कुछ लोग करोम में रहते है़ बाबा की मौत के बाद इस गांव मे एक ब्यक्ति का प्रवास नहंी हुआ बहरहाल इन गांवो ंके लिए सरकारी योजनाएं बनती रही होगी़

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