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हाइटेक हो रही सीवान अधिवक्ता संघ की लाइब्रेरी

हाइटेक हो रही सीवान अधिवक्ता संघ की लाइब्रेरीफोटो-01-अधिवक्ता संघ की लाइब्रेरीबार काैंसिल ने दिया एक लाख रुपये का अनुदान क्लिक करते ही अधिवक्ता पा सकेंगे रूलिंग की प्रतिसीवान.अधिवक्ताओं की 114 वर्ष पुरानी लाइब्रेरी के दिन बहुरने वाले हैं. लाइब्रेरी को हाइटेक करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है, जिससे अधिवक्ता न्यायिक क्षेत्र में आये दिन […]

हाइटेक हो रही सीवान अधिवक्ता संघ की लाइब्रेरीफोटो-01-अधिवक्ता संघ की लाइब्रेरीबार काैंसिल ने दिया एक लाख रुपये का अनुदान क्लिक करते ही अधिवक्ता पा सकेंगे रूलिंग की प्रतिसीवान.अधिवक्ताओं की 114 वर्ष पुरानी लाइब्रेरी के दिन बहुरने वाले हैं. लाइब्रेरी को हाइटेक करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है, जिससे अधिवक्ता न्यायिक क्षेत्र में आये दिन आनेवाले मुकदमों के विभिन्न फैसलों व सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के निर्णय संबंधित नयी रूलिंग से कंप्यूटर के माउस को क्लिक करते ही एक झटके में पा सकेंगे.अनुमंडल अधिवक्ता संघ ने की थी स्थापना : सारण जिले का जब सीवान अभिन्न अंग था, तब वर्ष 1901 में यहां अनुमंडल व्यवहार न्यायालय परिसर में अधिवक्ता संघ की लाइब्रेरी खुली थी, जिसमें अधिवक्ताओं के पुस्तक दान अभियान ने इसे लाइब्रेरी का स्वरूप प्रदान कर दिया. हालांकि शुरू से ही आर्थिक संकट के चलते लाइब्रेरी अपने विस्तारित स्वरूप को हासिल नहीं कर सकी.आर्थिक तंगी से बदहाल रही लाइब्रेरी : लाइब्रेरी की व्यवस्था में लगे अधिवक्ताआें का कहना है कि आजादी के पूर्व से लेकर वर्ष 1988 तक कभी-कभार राज्य सरकार अनुदान देकर लाइब्रेरी को संबल प्रदान करती रही. हालांकि सरकारी धन पर्याप्त न मिलने से सूरत नहीं बदल सकी. वर्ष 1988 के बाद से सरकारी मदद मिलना भी बंद हो गया. लिहाजा नयी पुस्तकों की खरीदारी की बात तो दूर, यहां मौजूद पुस्तकों का रख-रखाव भारी पड़ने लगा.अब हाल यह है कि लाइब्रेरी में पुस्तक बेतरतीब पड़ी हुई हैं. यहां वाचनालय के लिए कोई स्थान नहीं है.आइपीसी, सीआरपीसी, एडमीनिस्ट्रेशन एक्ट समेत अन्य नये कानूनों की जानकारी के लिए यहां पुस्तक उपलब्ध नहीं हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता बंगाली सिंह कहते हैं कि जरूरत की पुस्तक उपलब्ध न होने से यहां आनेवाले अधिवक्ताओं की संख्या काफी कम रहती है.बार कौंसिल की मदद से बदल रही सूरत : अधिवक्ता संघ की लाइब्रेरी के लिए बिहार बार काैंसिल ने एक लाख रुपये देने की घोषणा की है, जिसके क्रम में पहली किस्त के रूप में 50 हजार रुपये प्राप्त हुए हैं, जिससे एक कंप्यूटर सेट खरीदा गया है. पुस्तकालय के सचिव शंभु दत्त शुक्ल कहते हैं कि जल्द ही कंप्यूटरीकृत लाइब्रेरी शुरू हो जायेगी. इससे विधिक संबंधित जानकारी अधिवक्ताओं को आसानी से उपलब्ध होगी. साथ ही वकालतनामा , वेलफेयर टिकट, बेल बांड संबंधित जानकारियां कंप्यूटराइज होंगी.

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