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ठंड के बाद भी अलाव का नहीं दिख रहा सरकारी इंतजाम

ठंड के बाद भी अलाव का नहीं दिख रहा सरकारी इंतजाम फोटो-25-अलाव तापते लोग प्रत्येक अंचल में पिछले वर्ष चार हजार रुपये का हुआ था आवंटनसीवान. ठंड का कहर गहराने के बाद भी अलाव का सरकारी इंतजाम न होने से लोग परेशान हैं. गांव व कसबों में राहत के लिए लोग स्वयं के इंतजाम के […]

ठंड के बाद भी अलाव का नहीं दिख रहा सरकारी इंतजाम फोटो-25-अलाव तापते लोग प्रत्येक अंचल में पिछले वर्ष चार हजार रुपये का हुआ था आवंटनसीवान. ठंड का कहर गहराने के बाद भी अलाव का सरकारी इंतजाम न होने से लोग परेशान हैं. गांव व कसबों में राहत के लिए लोग स्वयं के इंतजाम के भरोसे हैं. ऐसे में गरीबों व जरूरतमंदों को अलाव तथा गरम कपड़ाें के अभाव में परेशान होना पड़ रहा है.अब तक नहीं आवंटित हुुई राशि : प्रत्येक वर्ष प्रशासन की तरफ से जिलों के सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने के लिए बजट जारी किया जाता है. हालांकि यह बजट इंतजाम की मांग के अनुसार नाकाफी होता है. प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि पिछले वर्ष प्रत्येक अंचल के लिए सरकार द्वारा अलाव के लिए चार-चार हजार रुपये जारी किये गये थे. यह बजट चंद चौराहों पर भी इंतजाम के लिए काफी कम साबित होता है.पिछले 15 दिनों से कड़ाके की ठंड के बाद भी स्थिति यह है कि शासन ने बजट जारी नहीं किया है.नगर पंचायत व नगर पर्षद भी राहत में है पीछे : नगरीय निकाय द्वारा अपने विभागीय बजट से प्रत्येक वर्ष अलाव का इंतजाम किया जाता है. यह ग्रामीण क्षेत्र के सापेक्ष बेहतर इंतजाम साबित होता है,जबकि इस बार नगर पर्षद व नगर पंचायतों द्वारा भी कोई इंतजाम नहीं किया गया है. नगर पर्षद के अध्यक्ष बबलू प्रसाद कहते हैं कि अलाव के लिए लकड़ी की खरीद की जा रही है. अगले एक-दो दिनों में शहर के प्रमुख चौराहों पर अलाव जलने लगेगा है. जलावन की लकड़ियों की खरीदारी में विलंब होने से यह परेशानी उत्पन्न हुुई है.स्वयं के भरोसे लड़ रहे ठंड से जंग : जिले के शहरी गरीब बस्तियों से लेकर ग्रामीण इलाकों में ठंड से परेशान लोग अपने स्वयं के इंतजाम से राहत के उपाय में जुटे हैं. कई स्थानों पर फेंके गये कूड़े को ही जला कर ठंड से लड़ते हुए गरीब नजर आ रहे हैं. उधर, ग्रामीण क्षेत्रों में राहत उपाय के प्रयास में सार्वजनिक स्थानों पर लगे पेड़ की टहनियों को काटने की भी शिकायत मिल रही है.

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