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माह भर खरमास, मई-जून में नहीं आस

माह भर खरमास, मई-जून में नहीं आस 16 जनवरी से 11 मार्च तक ही करें प्रयासनोट-शादी विवाह से संबंधित लोगो लगायें-खरमास के बाद मध्य जनवरी से अप्रैल तक है सर्वाधिक तिलक व शादी का मुहूर्त -लगन में वैवाहिक सामग्री व वाहन के लिए अधिक खर्च करने की होगी मजबूरीसीवान. वैवाहिक कार्यक्रम को लेकर बजनेवाली शहनाई […]

माह भर खरमास, मई-जून में नहीं आस 16 जनवरी से 11 मार्च तक ही करें प्रयासनोट-शादी विवाह से संबंधित लोगो लगायें-खरमास के बाद मध्य जनवरी से अप्रैल तक है सर्वाधिक तिलक व शादी का मुहूर्त -लगन में वैवाहिक सामग्री व वाहन के लिए अधिक खर्च करने की होगी मजबूरीसीवान. वैवाहिक कार्यक्रम को लेकर बजनेवाली शहनाई पर अब एक माह के लिए फिर विराम लग जायेगा. इसके बाद शुरू होनेवाली लग्न भी चंद दिन ही रहेगी. शुक्र अस्त रहने के चलते मई व जून में कोई हिंदू रीति से वैवाहिक कार्यक्रम नहीं हो पायेगा. लंबे इंतजार के बाद जुलाई माह में चंद मुहूर्त हैं. ऐेसे में अधिकतर लोगों की खरमास की समाप्ति के बाद ही अनुष्ठान करने की तैयारी होगी, जिसके चलते कम मुहूर्त में अधिक आयोजन के कारण लोगों को अधिक रकम इस पर खर्च करनी होेगी.वैवाहिक लग्न की शुरूआत 13 नवंबर को गोवर्धन पूजा के साथ ही शुरू हो गयी थी, जिसके चलते तिलकोत्सव व विवाहों में शहनाई की गूंज लगातार सुनाई पड़ती रही. अब एक बार फिर ऐसे आयोजनों पर खरमास की शुरुआत के चलते विराम लगने वाला है. मकर संक्रांति का कहे जानेवाले खरमास की शुरुआत आगामी 16 दिसंबर से होने जा रही है. यह एक माह तक रहेगा. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक खरमास में कोई भी मांगलिक आयोजन नहीं किये जाते हैं. इस दौरान ही आमतौर पर ठंड अपने चरम पर रहती है. इसके बाद 16 जनवरी से लेकर 11 मार्च तक 25 लग्न का मुहूर्त है. इसके बाद कर्क संक्रांति का खरमास 14 अप्रैल तक रहेगा. इस अवधि में भी वैवाहिक कार्यक्रम नहीं होंगे. इसके बाद चंद दिनों को छोड़ दो माह तक इंतजार करना पड़ेगा. फिर एक बार लगन की शुरुआत सात से 14 जुलाई तक होगी. लोगों का कहना है कि अप्रैल व मई में गरमी की छुट्टी होने व कृषि कार्य से छुटकारा रहने के कारण इस दौरान ही लोग आयोजन करना चाहते हैं. इस बार 30 अप्रैल से छह जुलाई तक शुक्र अस्त रहने के कारण वैवाहिक कार्यक्रम नहीं हो पायेंगे. जुलाई माह में चंद लग्न हैं. 15 जुलाई के बाद हरिशयन दोष के चलते वैवाहिक कार्यक्रम पर विराम लग जायेगा. ऐसी हालत में अधिकतर वैवाहिक कार्यक्रम ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक 16 जनवरी से 11 मार्च तक कर लेना ठीक होगा.ज्योतिषाचार्य पंडित उपेंद्र दत्त मिश्र कहते हैं कि कम लग्न में आसानी से संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाते हैं, जिसके कारण लोगों को अधिक खर्च करना पड़ता है. साथ ही इंतजाम में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वैवाहिक कार्यक्रम की लग्नजनवरी माह-तारीख 16,19, 20, 25, 26, 27, 28, 29, 31.फरवरी माह-तारीख 1, 4, 5, 16, 17, 21, 22, 23, 26, 28, 29.मार्च माह -तारीख 3, 4, 5, 10, 11.अप्रैल माह-तारीख 16, 17, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 25, 26, 27, 29.जुलाई माह-तारीख 7, 8, 9, 10, 11, 12,13,14.इसके बाद हरिशयन दोष के चलते गोवर्धन पूजा के बाद शुरू होगी लग्न.

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