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आयुर्वेद कॉलेज व अस्पताल को सूबे का मॉडल बनाने की कवायद शुरु

आयुर्वेद कॉलेज व अस्पताल को सूबे का मॉडल बनाने की कवायद शुरु कॉलेज के प्राचार्य कुलाधिपति के बुलावे पर राज भवन पटना गयेविदेशी सैलानियों को योग व आयुर्वेद चिकित्सा उपलब्ध कराने की है योजनादयानंद आयुर्वेद कॉलेज व अस्पताल का सूबे में है पहला स्थान15 तरह की महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक दवाओं का उत्पादन होता है कॉलेज मेंफोट-04- […]

आयुर्वेद कॉलेज व अस्पताल को सूबे का मॉडल बनाने की कवायद शुरु कॉलेज के प्राचार्य कुलाधिपति के बुलावे पर राज भवन पटना गयेविदेशी सैलानियों को योग व आयुर्वेद चिकित्सा उपलब्ध कराने की है योजनादयानंद आयुर्वेद कॉलेज व अस्पताल का सूबे में है पहला स्थान15 तरह की महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक दवाओं का उत्पादन होता है कॉलेज मेंफोट-04- दयांनद आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजफोटो:05 कॉलेज परिसर के बागीचे में लगे दुर्लभ औषधीय पौधेसीवान . राज्य में प्रथम स्थान पर रहनेवाला जिले का दयांनद आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की नींव सीवान के मालवीय बैद्यनाथ प्रसाद उर्फ दाढ़ी बाबा ने रखी थी. पिछले करीब एक दशक से इस कॉलेज व अस्पताल के विकास की गति कुछ धीमी-सी हो गयी थी. लेकिन सूबे के कुलाधिपति के प्रयास से लगता है कि इस कॉलेज के अब अच्छे दिन आने वाले हैं. कुलाधिपति चाहते हैं कि यह मेडिकल कॉलेज व अस्पताल योग व आयुर्वेद चिकित्सा के लिए एक मॉडल बने, जहां पर विदेशी सैलानी आकर योग व आयुर्वेद चिकित्सा का लाभ उठा सकें. कुलाधिपति महोदय ने इसके लिए प्राचार्य को आवश्यक निधि भी उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है. कुलाधिपति के प्रयास से अगर ऐसा हो हो गया, तो देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की जन्मभूमि व मौलाना मजहरुल हक की कर्मभूमि सीवान अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर उभर कर सामने आयेगा. कुलाधिपति का संदेश मिलते ही प्राचार्य डॉ प्रजापति त्रिपाठी उनसे मिलने के लिए राजभवन पटना के लिए रवाना हो गये हैं.सभी प्रकार के संसाधनों से सुसज्जित है कॉलेज : जिले का दयानंद आयुर्वेद कॉलेज व अस्पताल राज्य ही नहीं अपितु देश का ऐसा आयुर्वेदिक संस्थान है, जहां सभी प्रकार के संसाधन उपलब्ध हैं. कॉलेज में पढ़नेवाले छात्रों की व्यवस्था अलग तथा अस्पताल में दिखाने आनेवाले मरीजों के इंडोर और आउट डोर की व्यवस्था अलग है.कॉलेज हो या अस्पताल सभी जगह आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं. यही कारण है कि इस कॉलेज में पढ़ने के लिए देश के कोने-कोने से छात्र आते हैं. शहर के विभिन्न भागों में रहने वाले छात्रों के लिए कॉलेज आने-जाने के लिए बस की सुविधा भी उपलब्ध है. अस्पताल में 15 तरह की आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने का लाइसेंस प्राप्त है. करीब एक दशक पूर्व यहां की निर्मित दवाएं बाजार में भी बिकती थीं. लेकिन करीब एक दशक से कॉलेज व अस्पताल का विकास रुक जाने से दवाओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर नहीं हो सका. फिलहाल जो दवाएं बनती हैं, वह अस्पताल के काउंटर से मरीजों को उपलब्ध करायी जाती हैं. कॉलेज परिसर के बागीचे में सैकड़ों तरह के औषधीय पौधे लगाये गये हैं, जो छात्रों को प्रायोगिक कक्षाओं के अलावा आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में काम आते हैं.दयानंद आयुर्वेंद अस्पताल के सभी विभागों के ओपीडी में मरीज प्रतिदिन इलाज कराने के लिए आते हैं. मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर समय से सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं.क्या कहते हैं कॉलेज के प्राचार्य कुलाधिपति का संदेश मिलने पर उनसे मिलने के लिए पटना आया हूं. वे चाहते हैं कि दयानंद आयुर्वेद कॉलेज सूबे का मॉडल आयुर्वेद कॉलेज बने, जहां योग व आयुर्वेद चिकित्सा से मरीजों का समुचित इलाज हो.विदेशी सैलानियों को योग व आयुर्वेदिक चिकित्सा उपलब्ध कराने की योजना है.कॉलेज के संबंध में सभी सूचनाएं कुलाधिपति महोदय को उपलब्ध करायी जायेंगी. डॉ प्रजापति त्रिपाठी

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