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सदर अस्पताल रेफर नहीं होंगे मरीज

सीवान :सदर अस्पताल की लचर स्वास्थ्य सेवा को ठीक करने में नाकाम रहने पर सिविल सजर्न डॉ अनिल कुमार चौधरी ने सभी पीएचसी व रेफरल अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे मरीजों को सदर अस्पताल की जगह सीधे पीएमसीएच रेफर करें. सीएस के इस आदेश से सभी मेडिकल ऑफिसर आश्चर्य चकित हैं. मेडिकल ऑफिसरों […]

सीवान :सदर अस्पताल की लचर स्वास्थ्य सेवा को ठीक करने में नाकाम रहने पर सिविल सजर्न डॉ अनिल कुमार चौधरी ने सभी पीएचसी व रेफरल अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे मरीजों को सदर अस्पताल की जगह सीधे पीएमसीएच रेफर करें. सीएस के इस आदेश से सभी मेडिकल ऑफिसर आश्चर्य चकित हैं. मेडिकल ऑफिसरों का कहना है कि नियमानुसार वे सीवान सदर अस्पताल को ही रेफर कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में वे क्या करें.
स्वास्थ्य विभाग ने दुर्घटना में घायल मरीज,सीनियर सिटीजन, नवजात बच्च व गर्भवती महिला को रेफर करने की स्थिति में मुफ्त एंबुलेंस सेवा उपलब्ध करानी है.अगर मरीज को पीएमसीएच रेफर करते हैं, तो एंबुलेंस के तेल की व्यवस्था करना बड़ी समस्या है. वैसे एंबुलेंस के मैनुअल के अनुसार पीएचसी से सदर अस्पताल तक ही मरीज को सेवा देनी है. सिविल सजर्न के इस आदेश से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. लोग प्राइवेट गाड़ी रिजर्व कर अपने मरीज को सीवान लाकर प्राइवेट में ही इलाज कराना बेहतर मान रहे हैं.
नहीं बहाल हुई स्वास्थ्य सेवा : स्वास्थ्य विभाग ने 30 जून को राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में प्रतिनियुक्त डॉक्टरों व कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति तोड़ते हुए अपने मूल स्थान पर योगदान देने का आदेश दिया गया था. विभाग के इस आदेश के बाद सदर अस्पताल में मात्र सात डॉक्टर ही बच गये. डॉक्टरों की कमी को देखते हुए उपाधीक्षक ने ओपीडी सेवा बंद कर दी. मरीजों के विरोध को देखते हुए सीएस ने कुछ डॉक्टरों व कर्मचारियों को सदर अस्पताल में पदस्थापित करने का आग्रह किया, ताकि ओपीडी व इमरजेंसी सेवा बहाल की जा सके.
विभाग ने चार नये डॉक्टरों को पीएचसी से ट्रांसफर कर सदर अस्पताल में पदस्थापित किया गया तथा दूसरे जिलों से आये तीन डॉक्टरों की सेवा सदर अस्पताल में लेने का निर्देश दिया. विभाग के आदेश पर चार नये डॉक्टरों ने पीएचसी से आकर ज्वाइन कर लिया.वहीं दूसरे जिलों से आनेवाली एक महिला व दो पुरुष डॉक्टरों ने भी ज्वाइन कर लिया. अब सदर अस्पताल में नौ पुरुष व चार महिला डॉक्टर हैं. लोगों को उम्मीद थी कि अब ओपीडी सेवा बहाल होगी. लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत. आधे से अधिक डॉक्टर या तो छुट्टी लेकर या बिना बताये लंबी छुट्टी पर चले गये.ओपीडी चालू होने की बात तो दूर इमरजेंसी सेवा भी लचर हो गयी.
तीन दिनों से लंबित परची पर डीएस ने किया दस्तखत : सदर अस्पताल में महिलाओं के जटिल प्रसव कराने के लिए कोई महिला डॉक्टर न तो उपलब्ध हैं और न उनकी रोस्टर ड्यूटी बनी है. सदर अस्पताल में प्रसव कराने आने वाली महिलाओं को एएनएम या ए ग्रेड नर्स प्रसव कराती हैं. महिला स्वास्थ्यकर्मियों की परेशानी उस समय बढ़ जाती है, जब प्रसव जटिल हो जाता है. एक माह हो गया किसी महिला डॉक्टर की ड्यूटी नहीं लगी. कागज पर सदर अस्पताल की महिला इमरजेंसी चल रही है. गुरुवार को डीएस डॉ एमके आलम सदर अस्पताल के महिला वार्ड पहुंचे, तो स्टॉफ ने बताया कि डॉक्टर का दस्तखत नहीं होने के कारण प्रसूताओं को तीन दिनों से उनकी परची नहीं दी जा रही है. इस पर उपाधीक्षक ने तीन दिनों की लंबित करीब 27 परचियों पर दस्तखत किये.सदर अस्पताल में आज की तारीख में दो महिला डॉक्टर कागज में ड्यूटी पर हैं.
महिला डॉक्टर के इंतजार में मौत से जूझ रही थी प्रसूता : रघुनाथपुर प्रखंड के कौसड़ गांव की एक प्रसूता नेहा सिंह को ब्लीडिंग होने पर पीएचसी से सदर अस्पताल रेफर किया गया. करीब साढ़े सात बजे महिला जब सदर अस्पताल पहुंची, तो पुरुष इमरजेंसी में डॉक्टर ने देखा और स्थिति नाजुक देखते हुए स्लाइन, कुछ इंजेक्शन और ब्लड चढ़ाने की सलाह देते हुए महिला डॉक्टर से संपर्क करने को लिखा. इसके बाद मरीज को महिला वार्ड में भेजा गया. वहां पर नर्स ने स्लाइन लगा कर मरीज के परिजनों को ब्लड लाने के लिए कह दिया.नर्स ने बताया कि मुङो ड्यूटी रोस्टर का पता नहीं है. अभी प्रतिनियुक्ति टूटने के बाद नया ड्यूटी रोस्टर डॉक्टरों का बना नहीं है. उसने बताया कि वरीय अधिकारियों को सूचना दी है. उसने बताया कि प्रसूता महिला का यूट्रस रैपचर्ड हो जाने से ब्लीडिंग हो रही है. बिना डॉक्टर के महिला के पैपचर्ड यूट्रस का ठीक नहीं किया जा सकता है. थोड़ी ही देर में उपाधीक्षक डॉ एमके आलम आये तथा किसी महिला डॉक्टर को फोन कर आने को कहा. करीब 11 बजे तक कोई डॉक्टर महिला का उपचार करने नहीं आयी थीं.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
सिविल सजर्न का आदेश आया है कि मरीज को सदर अस्पताल रेफर नहीं करना है. उन्होंने पीएमसीएच रेफर करने का आदेश दिया है. नियमानुसार हम लोगों को सदर अस्पताल ही रेफर करना है. कुछ विशेष मरीजों को मुफ्त एंबुलेंस सेवा रेफर होने की स्थिति में देनी पड़ती है. पीएमसीएच रेफर करने पर एक तो एंबुलेंस के डीजल की परेशानी दूसरी मरीज की जान पर खतरा है.

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