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संसाधन कम, जिम्मेवारी अधिक

जिले का है दूसरा सबसे महत्वपूर्ण थाना, पर अब तक नसीब नहीं हो सका मॉडल भवन आजादी के पूर्व ही स्थापित मुफस्सिल थाना सीवान संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है. यहां जिम्मेवारी व कार्यो की तुलना में कर्मियों व सुविधाओं का घोर अभाव है. पहले यह थाना नगर थाने का हिस्सा था. बाद में […]

जिले का है दूसरा सबसे महत्वपूर्ण थाना, पर अब तक नसीब नहीं हो सका मॉडल भवन
आजादी के पूर्व ही स्थापित मुफस्सिल थाना सीवान संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है. यहां जिम्मेवारी व कार्यो की तुलना में कर्मियों व सुविधाओं का घोर अभाव है. पहले यह थाना नगर थाने का हिस्सा था.
बाद में यह अलग होकर मुफस्सिल थाना बना. कभी आंदर ढाला पर इस थाने का संचालन हुआ, तो कभी भाड़े के मकान में. 1985 में इसे गोपालगंज मोड़ के नजदीक अपना भवन नसीब हुआ. वहीं तीन कमरों में यह संचालित हो रहा है. नगर थाने के बाद सबसे महत्वपूर्ण इस थाने को अब तक मॉडल भवन नसीब नहीं हुआ. इस थाने पर नगर के भी एक तिहाई हिस्से ट्रैफिक, जेल आदि की भी जिम्मेवारी है.
सीवान : करीब डेढ़ लाख की आबादी कीजिम्मेवारी मुफस्सिल थाने के भरोसे है. गोपालगंज जिले का बॉर्डर व जेल, ट्रैफिक, स्कूल, कॉलेज, वीआइपी सुरक्षा आदि के कारण भी इसकी जिम्मेवारी और बढ़ जाती है.
साथ ही शहरी क्षेत्र में होने वाली घटना व गतिविधियों में भी इसे हाथ बंटाना पड़ता है. इस थाने से अलग हो कर महादेवा ओपी और धनौती ओपी थाना बना, लेकिन इन क्षेत्रों में होने वाली घटनाओं में भी इन्हें हाथ बंटाना पढ़ता है और प्राथमिकी आदि भी इसी थाने में दर्ज की जाती है.
ड्राइवर के सभी पद हैं खाली : नगर थाने के पास दो वाहन हैं, जो आवश्यकता के अनुरूप काफी नहीं हैं. वाहनों के परिचालन के लिए एक भी चालक की तैनाती नहीं है. इसके कारण होम गार्ड के भरोसे यह काम लिया जाता है. ट्रेंड चालक के अभाव के कारण जैसे-तैसे गाड़ियों का परिचालन होता है. वहीं हवलदार के सभी पद खाली है. साथ ही सिपाही के पद भी रिक्त हैं.
संसाधनों का घोर अभाव : थाने में संसाधनों के अभाव के कारण कार्यो के संपादन में काफी परेशानी होती है. थाने में पुराने स्वीकृत कार्य बल के अनुरूप ही कर्मियों की तैनाती है. विभिन्न क्षेत्रों में तीन गश्ती दल 24 घंटे कार्यरत रहते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में बलों की आवश्यकता होती है.
वर्तमान में कार्यरत बलों से किसी तरह बेहतर कार्य का प्रयास किया जाता है. कार्य के दबाव के अनुसार वर्तमान कार्य बल में वृद्धि की आवश्यकता है. मंडल कारा व आइबी इसी थाना क्षेत्र में अवस्थित हैं,जिसके कारण सुरक्षा की जिम्मेवारी और भी बढ़ जाती है.
क्या कहते हैं थानाध्यक्ष
थाने में जिम्मेवारी अधिक है और संसाधन कम. फिर भी उपलब्ध संसाधनों में ही बेहतर करने का प्रयास किया जाता है. अगर थानों में संसाधन बढ़े, तो कार्यो को और बेहतर ढंग से किया जा सकेगा.
विनय प्रताप सिंह, थानाध्यक्ष, मुफस्सिल सीवान
क्या कहते हैं एसपी
मुफस्सिल थाने में संसाधनों के विकास के लिए प्रयास जारी है. इसके लिए पुलिस मुख्यालय को भी लिखा गया है. थाने में आवश्यक कर्मियों का पदस्थापन किया जायेगा. मॉडल भवन निर्माण के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया है.
विकास वर्मन, पुलिस कप्तान, सीवान
एक नजर
पदनाम स्वीकृत कार्यरत
सब इंस्पेक्टर 03 02
एएसआइ 02 05
हवलदार 02 00
चालक 02 00
सिपाही ला. 11 00
चौकीदार 140 82
सशस्त्र बल चार सेक्शन. स्वीकृत बल वर्ष 1960 के अनुसार.

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