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तोड़फोड़ करनेवाले तीन लोगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
अस्पताल में तोड़-फोड़ करनेवाले तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. पकड़े गये लोगों में माले नेता जयशंकर कुमार, मुफस्सिल थाने के मझवलिया गांव का नीरज कुमार तथा महादेवा ओपी थाने के बिंदुसार हमीद का चंद्र मोहन बैठा शामिल हैं. इधर, घायल सअनि के बयान पर चार-पांच सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ शहर व अस्पताल […]
अस्पताल में तोड़-फोड़ करनेवाले तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. पकड़े गये लोगों में माले नेता जयशंकर कुमार, मुफस्सिल थाने के मझवलिया गांव का नीरज कुमार तथा महादेवा ओपी थाने के बिंदुसार हमीद का चंद्र मोहन बैठा शामिल हैं. इधर, घायल सअनि के बयान पर चार-पांच सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ शहर व अस्पताल में तोड़- फोड़ व हंगामा करने की एफआइआर दर्ज करायी गयी है.
एसपी विकास वर्मन ने बताया कि तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि घायल सअनि के बयान पर चार-पांच सौ लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करायी जायेगी.
प्राइवेट अस्पतालों में भी छात्रों ने की तोड़-फोड़
सोमवार को सड़क दुर्घटना में छह की मौत के बाद शहर के करीब आधा दर्जन प्राइवेट अस्पतालों को छात्रों ने निशाना बनाया. छात्रों ने डॉ रामेश्वर सिंह, डॉ दिनेश कुमार,डॉ आरती रानी पांडेय,डॉ आर किरन, डॉ इंद्र मोहन,डॉ संगीता चौधरी तथा डॉ रामा जी चौधरी के प्राइवेट नर्सिग होम में जम कर तोड़-फोड़ की. छात्र इतने उग्र थे कि इन अस्पतालों में भरती मरीज और उनके परिजन दहशत में आ गये. डॉ. रामाजी के नर्सिग होम का गेट तोड़ने का प्रयास जब छात्रों ने की, तो वहां पर मौजूद प्राइवेट गार्ड ने हवाई फायर कर छात्रों को भगाया. इसके बाद पुलिस को जब सूचना मिली, तो पुलिस पहुंची तथा आंसू गैस के गोले छोड़ कर छात्रों का भगाया.
पुलिस चौकसी के बीच कराया गया पोस्टमार्टम
सदर अस्पताल में बने वैकल्पिक पोस्टमार्टम हाउस में सड़क हादसे में मरे सभी मृतकों का शव का पोस्टमार्टम देर शाम तक हुआ. उस समय भी पुलिस की चौकसी बरकरार रही. इधर, पोस्टमार्टम हाउस के समीप कई पार्टियों के नेताओं की भीड़ लगी हुई थी. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव को परिजनों को सौंप दिया. वहीं मृतकों के परिजनों के आंखों में आंसू दिखायी दे रहा था. पोस्टमार्टम हाउस के बाहर लोगों की हुजूम दो पहर से हीं लगी हुई थी. जिधर देखें, उधर सभी की आंखों में छात्रों के मौत के बाद आंसू हीं दिखायी दे रहे थे.
व्यवस्था की चूक के कारण अस्पताल में तोड़फोड़
महाराजगंज. सीवान सदर अस्पताल में आक्र ोशित लोगों द्वारा तोड़फोड़ करने व आगजनी करने के मामले को महाराजगंज के भाजपा विधायक डॉ कुमार देवरंजन ने अस्पताल में कुव्यवस्था होने के लिए सरकार को जिम्मेवार ठहराया है. डॉ कुमार ने कहा कि नीतीश सरकार में डॉक्टर से लेकर अन्य अधिकारी भी बेलगाम हो गये हैं. जनता की सेवा में भारी कोताही की जा रही है. लोग परेशान होकर उग्र रूप ले लेते हैं.
सभी सरकारी संस्थाओं में अधिकारियों की मनमानी चल रही है.
आखिर यह कैसा प्रदर्शन, जिसमें अपना ही नुकसान
लोकतांत्रिक तरीके से जताएं विरोध, हिंसक प्रतिरोध घातक
तोड़फोड़ की घटनाओं की तीखी आलोचना करते हुए जेपी आंदोलन से जुड़े रहे जनकदेव तिवारी कहते हैं कि पूर्व में लोकतांत्रिक तरीके से लोग अपना विरोध जताते थे.अब हर घटनाओं का हिंसक प्रतिरोध करने की परंपरा बढ़ती जा रही है,पर ऐसे हालात के लिए हमारे हुक्मरान व प्रशासन ही जिम्मेदार है.समय से इनके कदम न उठाने से लोगों में गुस्सा पैदा होता है.
बड़हरिया थाना क्षेत्र में सड़क हादसे में आधा दर्जन लोगों की मौत के बाद सदर अस्पताल में तोड़फोड़ व आगजनी की घटना में पचास लाख से अधिक की संपत्ति के नुकसान होने के बाद पुलिस कार्रवाई में भले ही जुटी है, लेकिन सवाल उठता है कि हादसे के बाद ऐसे हालात पैदा करनेवाले वे कौन लोग थे?
पीड़ितों का इलाज कराने आये लोग हों या घटना के प्रति संवेदना जतानेवाले आमजन. अस्पताल में आगजनी व तोड़-फोड़ कर न तो घायलों को मदद पहुंचायी जा सकती है और न ही अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का इसे जायज तरीका ठहराया जा सकता है. आगजनी व तोड़फोड़ से बरबाद संपत्ति भी हम सबका ही है. शिक्षाविद उपेंद्र दत्त मिश्र कहते हैं कि ऐसी घटनाओं के बाद चंद शरारती लोगों की कोशिश को परिणाम से अनजान लोग तूल दे देते हैं, जिसका परिणाम अपनों के नुकसान के रूप में होता है.
सामाजिक कार्यकर्ता महात्मा भाई कहते हैं कि अस्पताल में तोड़-फोड़ की घटना को अंजाम देने के दौरान पुलिस तमाशबीन बनी रही. ऐसे वक्त पर प्रशासन के निर्णय खास मायने रखते हैं. सेवानिवृत्त अध्यापक हंसनाथ सिंह पटेल कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों में इलाज के प्रति लापरवाही की शिकायतों के क्रम में ही यह घटना एक परिणति है.
लगातार सरकारी अस्पताल आम आदमी के इलाज से दूर हो रहा है. जिसके चलते यह गुस्सा तोड़-फोड़ व आगजनी के रूप में प्रदर्शित हो रही है. फिर भी ऐसी घटनाओं को जायज नहीं ठहराया जा सकता.
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