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दुनिया का कोई धर्म नहीं रखता हिंसा में विश्वास : जैन मुनि
सीवान : राजस्थान के बासवाड़ा जिले के घाटोल से अपने धर्म का प्रचार करने व जैन धर्म के अनुयायियों को उपदेश देने दिगंबर जैन मुनि यादवेंद्र सागर सीवान पहुंचे. जैन मुनि ने करीब 15 हजार किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय की है. राजेंद्र पथ स्थित जैन आवास में अपने अनुयायियों को उपदेश देते हुए […]
सीवान : राजस्थान के बासवाड़ा जिले के घाटोल से अपने धर्म का प्रचार करने व जैन धर्म के अनुयायियों को उपदेश देने दिगंबर जैन मुनि यादवेंद्र सागर सीवान पहुंचे. जैन मुनि ने करीब 15 हजार किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय की है. राजेंद्र पथ स्थित जैन आवास में अपने अनुयायियों को उपदेश देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया को कोई धर्म हिंसा में विश्वास नहीं रखता है. ईसा मसीह ने भी जीव मात्र की रक्षा की है.
उन्होंने कहा कि अहिंसा धर्म का पालन करें. आज के परिवेश में हो रही आपराधिक घटनाओं के पीछे उन्होंने लोगों द्वारा किया जा रहा तामसी भोजन बताया. उन्होंने कहा कि तामसी भोजन से शरीर में उत्तेजना होती है तथा मनुष्य अपराध कर बैठता है. जैन मुनि ने बताया कि वे दिन में एक बार आहार ग्रहण करते है. तीन से चार माह बाद केश लोचन किया जाता है. करीब एक सप्ताह के प्रवास के दौरान शांति विदान व पदमावति विदान कार्यक्रम होगा. मुनि का उपदेश सुनने के लिए आसपास के जिलों के जैन धर्म के अनुयायी आ रहे हैं.
मनुष्य अनेक चित्त वाला होता : महाश्रमण
गुठनी . अहिंसा यात्रा प्रणोता आचार्य महाश्रमण ने मठई के राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय में ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य अनेक चित वाला होता है. कभी वह क्रोध करता है , तो कभी क्षमा मांगता है. कभी उसमें अहंकार स्पष्ट होने लगता है, तो कभी विनम्रता का भाव दिखायी देता है. कभी बड़ा लालची तो कभी संतोषी दिखता है.कभी सरल तो कभी वक्र.
इस प्रकार अनेक प्रकार के चित वाला आदमी हो जाता है. इस दौरान अहिंसा यात्रा के द्वारा तीन प्रकार की भावनाओं का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.
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