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अगले सत्र में भी 50 फीसदी खाली रह जायेंगी नवोदय विद्यालय की सीटें
सीवान : करीब दो दशक पूर्व सीवान जिले में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की शिक्षण संस्था जवाहर नवोदय खुला, तो लोगों को लगा कि जिले के मेधावी बच्चों का कल्याण होगा.जमीन मिलने के 12 वर्षो बाद भी भवन निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो सका है. भवन की कमी के कारण प्रत्येक साल 80 की […]
सीवान : करीब दो दशक पूर्व सीवान जिले में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की शिक्षण संस्था जवाहर नवोदय खुला, तो लोगों को लगा कि जिले के मेधावी बच्चों का कल्याण होगा.जमीन मिलने के 12 वर्षो बाद भी भवन निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो सका है. भवन की कमी के कारण प्रत्येक साल 80 की जगह 40 छात्रों का ही नामांकन होता है.ऐसे में अगले सत्र में भी 50 फीसदी सीटें खाली रह जाने की उम्मीद है.
प्रारंभ में यह विद्यालय शहर में महिला शिक्षक ट्रेनिंग संस्थान के परिसर में चला. 2007 में अपना भवन बन जाने के बाद यह विद्यालय करमली हाता में आ गया. मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने भवन निर्माण करने के लिए एजेंसी सीपीडब्ल्यूडी को जिम्मेवारी दी है.सीपीडब्ल्यूडी ने कोलकाता के रौनक बिल्डर्स को काम करने के लिए ठेका दिया है.
निर्माण करने वाली कंपनी भवन निर्माण का कार्य इतना धीरे करा रही है कि एक तरफ से भवन बन रहा है, तो दूसरे तरफ से टूट रहा है. विद्यालय के प्राचार्य ने सीवान दौरे के क्रम में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा से भवन निर्माण पूरा नहीं होने की बात बतायी. उन्होंने यह भी बताया कि भवन की कमी के कारण 80 की जगह 40 बच्चों का ही प्रत्येक साल नामांकन हो रहा है.
अन्य पाठ्यक्रमों के लिए दूसरे जिलों में माइग्रेट होते हैं छात्र
सेकेंड फेज के भवन निर्माण कार्य पूरा नहीं होने से जहां प्रत्येक साल सीवान के 40 बच्चों का कम नामांकन हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ दसवीं के बाद प्लस टू , कॉमर्स, आर्ट्स, आइटी, ऑफिस सेक्रेटरीशिप, लाइब्रेरी साइंस तथा बायोटेक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई करने के लिए सीवान के छात्रों को दूसरे जिले में माइग्रेट होकर पढ़ने के लिए जाना पड़ता है.
निर्माण एजेंसी अगर सेकेंड फेज का निर्माण कार्य पूरा कर देती, तो उपयुक्त पाठ्यक्रमों के अलावा कई अन्य पाठ्यक्रमों की पढ़ाई सीवान जवाहर नवोदय विद्यालय में शुरू हो जायेगी. एजेंसी पर जब विभाग ने 2012 में दबाव बनाया, तो एक साल के अंदर कार्य पूरा करने का दिया. इस पर तत्कालीन प्राचार्य ने 2012 में 80 बच्चों का नामांकन किया था, लेकिन बाद में समय से काम पूरा नहीं होने पर 40 बच्चों का ही नामांकन हुआ. निर्माण एजेंसी को प्रथम फेज का कार्य करीब पांच करोड़ 36 लाख 14 हजार तथा द्वितीय फेज का कार्य दो करोड़ 37 लाख 87 हजार में कराना था.
क्या बनना था सेकेंड फेज के भवन निर्माण में
ब्यॉज डोरमेट्री- 05
गल्र्स डोरमेट्री-05
क्वार्टर टाइप वन-02
क्वार्टर टाइप टू-02
क्वार्टर टाइप थ्री-08
गेस्ट हाउस-01
क्या कहते हैं प्राचार्य
भवन की कमी के कारण प्रत्येक साल 80 की जगह 40 छात्रों का ही नामांकन किया जाता है. इसके अलावा भवन की कमी के कारण दसवीं के बाद के कई पाठ्यक्रमों की पढ़ाई शुरू नहीं की जा रही है. प्लस टू में केवल विज्ञान में पढ़ाई होती है. भवन निर्माण करने वाली एजेंसी को दोनों फेज के भवन का निर्माण करना था. इस संबंध में कई बार एजेंसी व विभाग को निर्माण कार्य पूरा कराने के लिए लिखा गया है.
उपेंद्र मोची, प्राचार्य
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