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पीओ के बिना ही हो रही जन सुनवाई

मनरेगा : करोड़ों खर्च हुई धनराशि के ऑडिट पर ही उठने लगे हैं सवाल मनरेगा के तहत खर्च किये गये करोड़ों रुपये के ऑडिट पर ही तरह -तरह के सवाल उठने लगे हैं. हालांकि शासन की ओर से ऑडिट में पूरी तरह से पारदर्शिता बरतने का निर्देश दिया गया था, इसके बावजूद अनियिमितता में अधिकारियों […]

मनरेगा : करोड़ों खर्च हुई धनराशि के ऑडिट पर ही उठने लगे हैं सवाल
मनरेगा के तहत खर्च किये गये करोड़ों रुपये के ऑडिट पर ही तरह -तरह के सवाल उठने लगे हैं. हालांकि शासन की ओर से ऑडिट में पूरी तरह से पारदर्शिता बरतने का निर्देश दिया गया था, इसके बावजूद अनियिमितता में अधिकारियों के द्वारा परदा डालने की बात कही जा रही है.
सीवान :मनरेगा के नाम पर करोड़ों रुपये विकास व मजदूरी पर खर्च हुई धनराशि के ऑडिट पर ही अब सवाल उठने लगा है.शासन ने ऑडिट के दौरान पूरी तरह पारदर्शिता बरतने तथा जांच अनियमितता पाये जाने पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है.जबकि हालात यह है कि ज्यादातर पंचायतों में जन सुनवाई के दौरान दोषियों पर कार्रवाई के लिए नामित अफसर ही नदारद रह रहे हैं. ऐसे में अनियमितता पर अधिकारियों द्वारा ही परदा डालने के आरोप लगने लगे हैं.
जिले में सामाजिक अंकेक्षण निदेशालय के आदेश पर पिछले 01 फरवरी से सोशल ऑडिट की प्रक्रिया जारी है, जो आगामी 21 फरवरी तक चलेगा. जिसके अनुसार जीरादेई प्रखंड के जीरादेई ग्राम पंचायत, दरौंदा प्रखंड के मड़सरा,पचरूखी प्रखंड के भरतपुरा,दरौली प्रखंड के बेलांव व अमरपुर में दो चरणों में यह प्रक्रिया पूरी होगी. जिसमें 2 व 3 फरवरी को ग्राम सभा का आयोजन किया गया. जिसमें जांच के लिए सात सदस्यीय अंकेक्षण दल गठित किये गये. जिसमें मनरेगा मजदूर, अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के सदस्य,महिला व सेवानिवृत्त शिक्षक को शामिल किया गया है.साथ ही टीम के सहयोग के लिए अलग से ग्राम पंचायत के ही चार लोगों को नामित किया गया है.
जांच के नाम पर हो रही खानापूर्ति : सोशल ऑडिट को पारदर्शी बनाने के लिए ग्राम पंचायत के ही निवासियों को ही हिस्सेदार बनाया गया है.जिसमें ग्राम सभा में ऑडिट के लिए टीम गठन,इसके बाद ग्राम पंचायतों में कराये गये कार्यो में से तीन योजनाओं की भौतिक सत्यता,खर्च का विवरण तथा शिकायतों की सुनवाई भी की जानी है.इसके पश्चात अंत में चिह्न्ति कमियों व शिकायतों का खुली बैठक में चर्चा तथा कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी.
हालात यह है कि खुली बैठक में ऑडिट टीम, मुखिया,रोजगार सेवक,पीओ व अन्य अधिकारी तथा ग्रामीण को उपस्थित रहना है.अब तक की हुई खुली बैठक में स्थिति है कि पीओ नदारद रह रहे हैं. इसके अलावा रोजगार सेवक को छोड़ अन्य कोई जिले से अफसर मौजूद नहीं थे.जबकि अनियमितता के मामले में उन्हें ही कार्रवाई करनी है.ऐसे में ऑडिट पर सवाल उठना स्वाभाविक है.
क्या कहते हैं निदेशक
सोशल ऑडिट के दौरान हड़ताल पर होने के चलते पीओ उपस्थित नहीं रह रहे हैं. इसके बाद भी रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई की जायेगी.
कुमार रामानुज
निदेशक, लेखा प्रशासन एवं स्व नियोजन, डीआरडीए

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