सीवान : अब दियारा काशीदत्त गांव के लोगों को सरयू नदी के तटबंध पर प्लास्टिक तान कर रहने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा. इनके पास अब अपना भी छत होगा. जिला प्रशासन ने इनके पुनर्वास के लिए पहल शुरू कर दी है. उन्हें पांच-पांच डिसमिल जमीन बसने के लिए अभियान बसेरा के तहत देने का फैसला जिला प्रशासन ने किया है. यह गांव कुछ दशक पूर्व बाढ़ आने के कारण कटाव से सरयू नदी में विलीन हो गया था. इसके बाद से गांव के लोग विस्थापित होकर नदी के तटबंध पर सपरिवार समेत रहते थे.
इस समस्या को लेकर प्रभात खबर ने 12 अप्रैल के अंक में प्रमुखता से खबर का प्रकाशन प्रथम पेज पर नक्शे में बसा है गांव, पर धरातल से गायब शीर्षक से प्रकाशित किया. इसके बाद प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लेकर जांच कराया और पांच-पांच डिसमिल जमीन देने का फैसला लिया है. यह एक ऐसा दरौली प्रखंड का दियारा काशीदत्त गांव है जो मानचित्र में तो बसा है, लेकिन धरातल पर उसका कोई अता-पता नहीं. साढ़े पांच दशक पूर्व यह गांव सरयू नदी की कोख में समा गया था. समय के साथ यहां से पलायन करने वाले लोगों ने अन्य जगह शरण ली, जो लोग बाद में उन गांवों के वाशिंदे हो गये. इनमें से ऐसे भी दर्जनों परिवार हैं, जिन्हें खराब माली हालात के चलते नयी जगह कोई ठिकाना नहीं मिला.
पुरखों की जमीन के लालच व उनसे जुड़ी यादों को दिलों में समेटे हुए आसपास ही ये पड़े रहे. किसी चमत्कार की उम्मीद में अपनी कई पीढ़ियों को गुजार चुके इन परिवारों का बाढ़ से बचाव के लिए बांध सहारा बना हुआ है. वहां उनकी पूरी गृहस्थी बस गयी है.
भूमि उपलब्ध होते ही अभियान बसेरा के तहत दे दिये जायेंगे कागजात
डीआरडीए के प्रबंध पर्षद की बैठक में उठा था मुद्दा : दरौली के विधायक सत्यदेव राम ने डीआरडीए के प्रबंध पर्षद की बैठक में भी दियारा काशीदत्त गांव के मामला को प्रमुखता से रखा था. उन्होंने कहा था कि सरयू नदी के कटाव के कारण अब ये गांव विलीन हो गया है. गांव के गरीब मजदूर नदी के तटबंध पर प्लास्टिक आदि तान कर सपरिवार आश्रय लिए हुए हैं.
फलस्वरूप विस्थापित गरीब लोगों को वहां से हटाया जा रहा है. आखिर ये लोग कहा जायेंगे. उन्होंने इस दौरान बताया था कि नजदीक ही एक पोखरा है. जिसके किनारे उन विस्थापित लोगों को बसाया जा सकता हैं.
इन दस परिवार के लोगों को दी जायेंगी अभियान बसेरा के तहत भूमि
दियारा काशीदत्त गांव के दस परिवार को पांच-पांच डिसमिल जमीन देने का फैसला जिला प्रशासन ने लिया है. भूमि उपलब्ध होते ही इन सभी परिवारों के लिए अभियान बसेरा के तहत पांच डिसमिल जमीन का अभिलेख तैयार कर किया जायेगा. जिसमें सुरेश राजभर, शेषनाथ यादव, शिवशंकर राजभर, त्रिभुवन राजभर, गजरामज राम, हरेराम राम, महंत राम, गोख्तार राम व श्रीराम राम शामिल है. इस गांव की जांच वरीय उप समाहर्ता सह प्रभारी पदाधिकारी आपदा प्रबंधन ने स्थानीय अंचलाधिकारी से कराया था.
जिसमें प्रशासन को जानकारी हुई कि 20 परिवार पलानी डाल कर बसे हुए है. इनमें 10 परिवार ऐसे है जिनका निजी जमीन बैनामा खरीदे है तथा अन्य बांध के किनारे बसे व्यक्तियों का जमीन दियारा में है.