चैनपुर : स्थानीय बाजार में मुख्य सड़क बरसात की कौन कहे गर्मी व सर्दी के मौसम में भी झील में तब्दील दिखायी दे रही है. यहां का नजारा इस कदर है कि मुख्य सड़क पर सौ से दो मीटर तक सड़क पर दो से तीन फुट पानी भरा हुआ है. यह पानी बाजार वासियों के घरों व दुकानों से निकलने वाला गंदा पानी है. जिससे होकर बाजार वासी व राहगीर गुजरने के बाध्य है.
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जल निकासी बंद होने से सड़क पर आ जाता है नालियों का पानी
चैनपुर : स्थानीय बाजार में मुख्य सड़क बरसात की कौन कहे गर्मी व सर्दी के मौसम में भी झील में तब्दील दिखायी दे रही है. यहां का नजारा इस कदर है कि मुख्य सड़क पर सौ से दो मीटर तक सड़क पर दो से तीन फुट पानी भरा हुआ है. यह पानी बाजार वासियों के […]
इसकी समाधान की दिशा में स्थानीय प्रशासन पहल नहीं कर रहा है, बल्कि मूक दर्शक बना हुआ है. मालूम हो कि चैनपुर बाजार की नाली का जल निकासी मार्ग के बंद हो जाने से नालियों का पानी सड़क पर जमा हो गया है. जिसमें लगातार वृद्धि हो रही है. बाजार के उतरीभाग के नालियों का पानी एसएच-89 में बने पुलिया के नीचे से निकलकर सड़क के किनारे मौजूद खाली हिस्सों व गड्ढ़ों में फैल जाता था. परंतु सड़क के पार मकानों के निर्माण होने व मिट्टी भराई के चलते निकास बंद हो गया है.
कई माह से बाजार के उत्तरी भाग में नालियों का गंदा पानी सड़क पर जमा हो रहा है. सड़क पर गंदा पानी जमा होने से कई दुकानें बंद हो चुकी है, वहीं बाजार जानेवाले लोगों को रास्ता बदलकर लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है. बाजार के लोगों में आक्रोश व्याप्त है. वे लोग इस समस्या को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित अधिकारियों से मिल चुके है. परंतु अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गयी है.
कई बाद प्रदर्शन कर चुके है बाजार वासी : बिन बरसात जल जमाव से निजात दिलाने के लिए बाजार वासी कई बार मांग कर चुके है. परंतु पदाधिकारियों के उदासीनता बने रहने के चलते उक्त समस्या बरकरार है. साथ ही सरकार के स्वच्छता मिशन की भी पोल खुल रही है. इस समस्या के निदान के लिए बाजार वासी कई बार सड़क पर भी उतर चुके है परंतु समस्या जस की तस बनी हुई है. बाजार के टुनटुन मियां, अल्ताफ अली, मिश्रीलाल, सफदर राईन, विकास पटेल, पवन प्रसाद, राजेंद्र साह का कहना है कि इस समस्या के समाधान के लिए हम कहां जाये कुछ समझ में नहीं आ रहा है.
कई बार वरीय अधिकारियों को इसकी सूचना से अवगत करा दिया गया है. लेकिन कोई अमल नहीं हो पाया है. अब तो आंदोलन ही मात्र एक रास्ता बचा हुआ है.
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