Coronavirus in Bihar: कोरोना संक्रमण को लेकर पिछले 10-11 महीने से इंडो-नेपाल बॉर्डर ( Indo-Nepal Border) बंद रहने से बेटी-रोटी का रिश्ता प्रभावित हो रहा है. खास बात यह है कि लगन के इस मौसम में भी बॉर्डर खोले जाने तथा वाहनों के परिचालन की गुंजाईश कम ही बन रही है. इससे दोनों देश के सीमावर्ती क्षेत्र (सीतामढ़ी) के वासिंदों में आक्रोश गहराता जा रहा है.
मालूम हो कि भारत और नेपाल के बीच सदियों से बेटी और रोटी का रिश्ता कायम है. दोनों देश की सीमा खुली रहने से न सिर्फ लोगों की आवाजाही होती है, बल्कि एक दूसरे देश के वाहनों का भी सीमा क्षेत्र में परिचालन किया जाता है. लेकिन, कोरोना संक्रमण के बाद बॉर्डर सील होने के बाद से रिश्तों में गरमाहट कम होने लगी है.
जानकारी के मुताबिक, बॉर्डर सील होने से पहले ही सीमावर्ती क्षेत्र में शादियां तय हो चुकी थी. यहां तक कि एक वर्ष पूर्व से ही दोनों देश में एक-दूसरे के यहां कई शादियों को लेकर मंगनी तक हो चुकी थी. बाद में इन शादियों को अगले वर्ष तक के लिए टालना पड़ गया. अब जब लगन जोरो पर है, तब बॉर्डर बंद रहने से लोग असमंजश की स्थिति में फंस गये हैं.
नेपाल सरकार ने अपने क्षेत्र की सीमा को कुछ शर्तों के साथ पैदल आवाजाही को लेकर खोल दिया गया है, लेकिन भारतीय क्षेत्र में सीमा खोलने को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है. रीगा विधानसभा क्षेत्र विधायक मोतीलाल प्रसाद बताते है कि बॉर्डर को खोलकर पुनः बंद करना सीमांचल के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.
सीतामढ़ी के गौर नगरपालिका वार्ड नंबर-9 सिर्सिया निवासी दयाभूषण सिंह कहते हैं कि अप्रैल माह से लेकर मई तक कई शादियां भारतीय क्षेत्र मे तय हो चुकी है, अगर सीमा नहीं खुली तो इन शादियों को टालने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा. वहीं, भारतीय सीमावर्ती क्षेत्र से भी कई बरात नेपाल जाना है, जिसे बॉर्डर खुलने का इंतजार है.
Posted By: Utpal kant