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सवालों के घेरे में डॉक्टर की एफआइआर

सीतामढ़ीः नगर के सदर अस्पताल के सामने निजी नर्सिग होम के चिकित्सक डॉ सुनील कुमार सिन्हा द्वारा नगर थाने में एफआइआर दर्ज कराना सवालों के घेरे में है. जच्चा की लापरवाही से मौत होने का आरोप लगा कर भूप भैरो गांव के दर्जनों लोगों ने परिजनों के साथ दो दिसंबर की सुबह क्लिनिक में हंगामा […]

सीतामढ़ीः नगर के सदर अस्पताल के सामने निजी नर्सिग होम के चिकित्सक डॉ सुनील कुमार सिन्हा द्वारा नगर थाने में एफआइआर दर्ज कराना सवालों के घेरे में है. जच्चा की लापरवाही से मौत होने का आरोप लगा कर भूप भैरो गांव के दर्जनों लोगों ने परिजनों के साथ दो दिसंबर की सुबह क्लिनिक में हंगामा कर तोड़ फोड़ किया था.

पब्लिक को शांत करने के लिए नगर इंस्पेक्टर उमेश चंद्र तिवारी ने तब लापरवाही बरतने वाले चिकित्सक डॉ सिन्हा तथा उनके कंपाउंडर को गिरफ्तार करने के लिए चौबीस घंटे का समय दिया था. मगर पुलिस अपनी हीं बात पर घिर गयी जब चिकित्सक की ओर से कुछ देर बाद हीं एफआइआर दर्ज करा दी गयी. हालांकि पुलिस की ओर से यह कहा गया कि चिकित्सक स्वयं एफआइआर का आवेदन लेकर नहीं आये थे. इधर अब तक चिकित्सक को गिरफ्तार नहीं किये जाने तथा झूठा मुकदमा दर्ज कराने को मृतका(जच्चा) शीला देवी के पति संजय प्रसाद ने एसपी को आवेदन देकर गुहार लगाया है. आवेदन की प्रतिलिपि तिरहुत प्रक्षेत्र के डीआइजी को भी भेजी गयी है. संजय ने कहा है कि बिचौलियों द्वारा उसे दिग्भ्रमित कर डॉ सुनील कुमार सिन्हा के क्लिनिक में ले जाकर जबरन भरती करा दिया. डॉक्टर ने ऑपरेशन नहीं कराने पर जच्च व बच्चा दोनों पर खतरा बताया.

परिजन को यह भी बताया गया कि सरकारी अस्पताल की सजर्न डॉ रजनी सिन्हा द्वारा यहां ऑपरेशन किया जायेगा. जिस पर भरोसा करके उसने ऑपरेशन की स्वीकृति दे दी. परंतु महिला चिकित्सक की गैरमौजूदगी में उनके पति डॉ सुनील कुमार सिन्हा एवं उनके सहयोगी द्वारा ऑपरेशन कर दिया गया. इसके बाद मरीज की हालत बिगड़ने लगी और तीन घंटे के बाद हीं उसकी मौत हो गयी. लापरवाही से मौत होने की बाबत उसने नगर थाने में डॉक्टर व उसके सहयोगी के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराया.

इस संबंध में नगर इंस्पेक्टर ने 24 घंटा के भीतर डॉक्टर को गिरफ्तार करने की बात कही, लेकिन एक सप्ताह से ज्यादा गुजरने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं की जा सकी है. इतना हीं नहीं दोषी चिकित्सक के द्वारा उसके विरुद्ध थाने में एफआइआर भी दर्ज करा दी गयी. पीड़ित ने सवाल उठाया है कि बिना चिकित्सक के थाना में उपस्थित हुए पुलिस ने एफआइआर कैसे कर दी गयी है?

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