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भूकंप में मकान ध्वस्त, रह रहे दूसरे के घर

फोटो नंबर- 22 रामबाबू महतो का ध्वस्त खपरैल मकान — रामबाबू के लिए भूकंप बना अभिशाप — सरकारी सहायता नही मिली तो कर्ज लेकर खड़ा करना पड़ेगा मकान– दूसरे के घर सपरिवार शरणार्थी बन कर रह रहा रामबाबूसुप्पी (सीतामढ़ी) : प्रखंड के बरहरवा पुनर्वास के रामबाबू महतो कल तक खुद की मेहनत से बनाये खपरैल […]

फोटो नंबर- 22 रामबाबू महतो का ध्वस्त खपरैल मकान — रामबाबू के लिए भूकंप बना अभिशाप — सरकारी सहायता नही मिली तो कर्ज लेकर खड़ा करना पड़ेगा मकान– दूसरे के घर सपरिवार शरणार्थी बन कर रह रहा रामबाबूसुप्पी (सीतामढ़ी) : प्रखंड के बरहरवा पुनर्वास के रामबाबू महतो कल तक खुद की मेहनत से बनाये खपरैल मकान में पत्नी व बच्चों के साथ रह रहे थे. अब वे दूसरे के घर शरण लिये हुए है. मंगलवार को भूकंप के झटके से उनका खपरैल मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गया. छह कमरे में से एक भी नहीं बचा कि उसमें खुद व परिवार की अन्य सदस्यों का सर छुपा सके. यह भूकंप उनके लिए अभिशाप ही साबित हुआ. बीडीओ संजय पाठक व सीओ रितेश वर्मा ने उक्त पीडि़त का हाल जाना है. बताया कि पीडि़त को सरकारी लाभ दिया जायेगा. — बीपीएल सूची में नाम नहीं रामबाबू महतो को करीब एक एकड़ जमीन है. उनका नाम बीपीएल सूची में नहीं है. इसी कारण उन्हें इंदिरा आवास का लाभ नहीं मिल सका है. उनकी ऐसी स्थिति भी नहीं है कि वे पक्का का मकान बना सके. खेती व मजदूरी से परिवार का पेट ही भर पाता है. पक्का मकान बनाना उनके लिए एक सपना ही है. श्री महतो कहते है कि काश इंदिरा आवास योजना का लाभ मिला होता तो शायद ही उनका मकान ध्वस्त होता और वे पूरे परिवार के साथ दूसरे के घर शरणार्थी बन कर रहते. पड़ोसी केदार महतो के घर उनके पूरे परिवार का रहना-सहना हो रहा है. रामबाबू को तीन पुत्र व एक पुत्री है. सबसे बड़ा पुत्र राम ईश्वर 13 वर्ष का है. घर में अकेला कमाने वाला रामबाबू का कहना है कि अगर प्रशासन से सरकारी सहायता नहीं मिली तो इस ध्वस्त मकान को फिर से खड़ा करना कर्ज पर पैसा लिए संभव नहीं है.

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