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अफवाहों से छिनी चैन, सोशल मीडिया से फैल रहा भ्रम
सीतामढ़ी : पिछले तीन दिनों से लोगों के आंखों की नींद गायब है. छोटे बड़े मकानों की ऊपरी मंजिल के फ्लैटों में रहनेवाले लोग शाम ढलते हीं चादर, तकिया और दरी लेकर खाली मैदान की ओर चले जा रहे हैं. सभी के चेहरों पर अब भी दहशत, आशंका और इसके बीच फैली अफवाह चैन छीन […]
सीतामढ़ी : पिछले तीन दिनों से लोगों के आंखों की नींद गायब है. छोटे बड़े मकानों की ऊपरी मंजिल के फ्लैटों में रहनेवाले लोग शाम ढलते हीं चादर, तकिया और दरी लेकर खाली मैदान की ओर चले जा रहे हैं.
सभी के चेहरों पर अब भी दहशत, आशंका और इसके बीच फैली अफवाह चैन छीन चुका है. भूकंप के बड़े झटकों से पहले से खौफजदा लोगों को अफवाह मास्टरों ने और भयभीत कर दिया है. लोग घरों में बैठ कर अमेरिकी नासा वैज्ञानिकों से लेकर वास्टएप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर फैलायी जा रही अफवाहों पर सहज हीं विश्वास करने लगे हैं. पढ़े लिख लोग भी इन अफवाह फैलाने वाली बातों पर यकीन कर प्रलय का गुणा भाग कर रहे हैं.
उधर प्रशासन की ओर से ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से लगातार प्रचारित किया जा रहा है कि अफवाहों पर बिल्कुल ध्यान न दें, बावजूद लोगों के दिलो दिमाग पर छाया खौफ समाप्त नहीं हो पा रहा है. शनिवार शाम से पानी जहरीला होने की अफवाह ने लोगों को बेचैन कर दिया था. स्थिति यह थी कि चापाकल पानी भरने एवं उसे स्टोर करने की होड़ मच गयी थी.
रविवार शाम के बाद उलटे चांद को लेकर अच्छे खासे पढ़े लिखे लोग प्रलय की आशंका मान बैठे थे. सोशल मीडिया से फैली यह खबर इतना कु प्रचार पाया कि मोबाइल पर एक दूसरे से आसमान की ओर निहारने की बातें की जाने लगी. यहां तक कि बड़े-बड़े पंडित सरीखे लोग भी इसे अनहोनी मान कर व्याख्या करने लगे थे.
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