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… जिसको भी देखिए यहां मतलब का यार है

सीतामढ़ी : बथनाहा प्रखंड के माधोपुर गांव में चैत नवरात्र के अवसर पर भव्य कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता सत्येंद्र मिश्र व मंच संचालन गीतकार गीतेश ने किया. राम किशोर सिंह चकवा की भक्ति परक रचना के साथ कवि सम्मेलन का आगाज हुआ. गीतकार गीतेश की रचना ‘ अर्थ पर […]

सीतामढ़ी : बथनाहा प्रखंड के माधोपुर गांव में चैत नवरात्र के अवसर पर भव्य कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता सत्येंद्र मिश्र व मंच संचालन गीतकार गीतेश ने किया. राम किशोर सिंह चकवा की भक्ति परक रचना के साथ कवि सम्मेलन का आगाज हुआ. गीतकार गीतेश की रचना ‘ अर्थ पर मेरी पकड़ नहीं है, फकीर हूं कहीं मेरा घर नहीं है’ ने महफिल को जीवंत बना दिया. शराफत अली दिलकश की रचना ‘इस दौर में किसी को किसी से न प्यार है, जिसको भी देखिए यहां मतलब की यार है’ ने जहां आज के सच को बयां किया, वहीं युवा शायर सैयद अलाउद्दीन ने अपनी शायरी ‘जंग हो कोई भी हम हार नहीं सकते, पगड़ी सर से कभी हम उतार नहीं सकते’ से श्रोताओं की जबरदस्त तालियां बटोरी. मुरलीधर झा मधुकर की कविता ‘यूं हीं हंसती रही जिंदगी, गम छुपाती रही जिंदगी’, गुफरान राशिद की गजल ‘ पतझड़ में भी लगेंगे फसलें बहार की, आंखों से कोई झील बहा कर तो देखिए’ एवं सत्येंद्र मिश्र की रचना ‘समर्पित भाव में भगवान होता है’ ने भरपूर वाहवाही लूटी. तौहिद अश्क की गजल ‘प्यार हर जाये न हसरत की जरा भी बाकी’, बच्चा प्रसाद विह्वल की रचना ‘इस दुनिया में प्यार की बातें कौन कहां अब करते हैं’ एवं सफी आजिज की गजल ‘क्यूं देखते हो आखिर ऐसे नजर बदल के, कह दो तो चला जाऊं तेरे शहर से निकल के’ पर खूब तालियां बजी.

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