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मानवाधिकार के होते है चार स्तंभ

पुपरी : अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर बुधवार को मानवाधिकार प्रतिष्ठान संस्थान के अनुमंडल संयोजक सह अधिवक्ता बद्रीनाथ मिश्र की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वर्तमान परिवेश में मानव की भूमिका, संगठन स्थापना का उद्देश्य समेत अन्य बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा किया गया. वक्ताओं ने कहा कि 10 दिसंबर […]

पुपरी : अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर बुधवार को मानवाधिकार प्रतिष्ठान संस्थान के अनुमंडल संयोजक सह अधिवक्ता बद्रीनाथ मिश्र की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वर्तमान परिवेश में मानव की भूमिका, संगठन स्थापना का उद्देश्य समेत अन्य बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा किया गया. वक्ताओं ने कहा कि 10 दिसंबर 1948 को युनाइटेड नेशन्स की जेनरल एसेंबली ने सभी सदस्य देशों से अपील किया कि वे इस घोषणा को प्रचार करे और देश व प्रदेशों के राजनैतिक स्थित पर आधारित भेदभाव के विचार किये बिना विशेषत: स्कूलों और अन्य शिक्षा संस्थानों में इसके प्रचार, प्रदर्शन, पाठन और व्याख्या का प्रबंधन करे. वक्ताओं ने कहा कि मानव अधिकारों को सामान्यत: मनुष्य के लिए प्रासंत्रिक अधिकारों के रूप में लिया जाता है. जिसे वह जाति, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनैतिक या अन्य शर्त राष्ट्रीय या समाजिक कारण, संपत्ति, जन्म या अन्य स्तर के भेदभाव के बिना स्वतंत्र रूप से उपयोग में लाता है. मानवाधिकार के चार स्तंभ क्रमश: जीवन, स्वतंत्रता, समानता व गरिमा है. मौके पर हेमंत गिरी, संजय गिरी, भोगेंद्र गिरी, राजकुमार मंडल, परमानंद मंडल, अभय कुमार, किशोरी कांत झा व विमल कुमार कर्ण समेत अन्य मौजूद थे.

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