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असहाय महसूस कर रही थी पुलिस

सीतामढ़ी/परिहारः जिले के परिहार प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, मसहां के बच्चों पर पुलिस द्वारा लाठियां चटकाये जाने से खैरवा कांड की याद ताजा हो गयी. उक्त कांड को लोग अब तक भूल नहीं पाये हैं. इसी बीच इस ताजा कांड से एक बार फिर पुलिस की बर्बरता सामने आ गयी. काश! खैरवा कांड से […]

सीतामढ़ी/परिहारः जिले के परिहार प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, मसहां के बच्चों पर पुलिस द्वारा लाठियां चटकाये जाने से खैरवा कांड की याद ताजा हो गयी. उक्त कांड को लोग अब तक भूल नहीं पाये हैं. इसी बीच इस ताजा कांड से एक बार फिर पुलिस की बर्बरता सामने आ गयी. काश! खैरवा कांड से परिहार पुलिस सबक ली होती तो यह घटना नहीं होती.

क्या है खैरवा कांड

प्रखंड के मध्य विद्यालय, खैरवा के बच्चों ने छात्रवृत्ति व पोशाक राशि की मांग को लेकर ही सड़क जाम किया था. इसकी सूचना मिलने पर सहायक अवर निरीक्षक बच्चू सिंह बीएमपी जवानों के साथ मौके पर पहुंचे थे. उनके कहने पर जवानों ने बच्चों पर इस कदर लाठियां चटकायी थी जैसे ये बच्चे कोई आतंकी हो. उस दौरान ग्रामीणों की ओर से यह कहा गया था कि पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच बच्चों से यह जानने की कोशिश नहीं किये कि किस कारण से सड़क जाम किया गया है. बच्चों को नादान जान पुलिस लाठियां चला दी जो पुलिस की एक बड़ी गलती थी. बता दें कि उग्र बच्चों व उनके अभिभावकों में से किसी ने एक बीएमपी जवान की राइफल छीन ली थी. यह बात अलग है कि उक्त राइफल घटना के दिन हीं घटना स्थल से करीब आधा किलोमीटर पर एक खेत से बरामद कर लिया गया था. इस मामले में खास बात यह थी कि बच्चों ने पोशाक राशि व छात्रवृत्ति नहीं मिलने की शिकायत हर सक्षम पदाधिकारियों से की थी. जब किसी ने नन्हें बच्चों की जायज मांगों को नहीं सुनी तो आजिज आ कर बच्चे सड़क जाम करने का निर्णय लिये थे. अधिकारी गंभीर होकर बच्चों की मांगों पर कार्रवाई किये होते तो उस दिन न तो बच्चों को सड़क जाम करने की नौबत आती और न हीं बच्चों की इस कार्यशैली से क्षुब्ध होकर पुलिस को लाठियां चटकाने का मौका मिलता.

उन्हें छोड़ खुद हुए गायब

मसहां कांड में बच्चों से घिर जाने के बाद जैसे-तैसे बीडीओ व थानाध्यक्ष वहां से गायब हो गये. फिर भी बच्चों के कब्जे में पुलिस की गाड़ी व आधा दर्जन पुलिस कर्मी रहे. लाठियां खाने से बच्चों का गुस्सा काफी बढ़ गया. पुलिस व बीडीओ के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. बच्चों की कड़वी बातों को सुन पुलिस वालों का चेहरा देखते बन रहा था. वे अपने को असहाय महसूस कर रहे थे. उनके चेहरे पर खौफ नजर आ रहा था. उन्हें डर था कि कहीं बच्चे लाठियां चटकाने का बदल न ले लें. खैर! प्रमुख ने समय पर पहुंच मामले को शांत करा दिया. अब पुलिस अधिकारी इनकार कर रहे हैं तो बीडीओ व ग्रामीण इस सच्चई को स्वीकार कर रहे हैं. जांच के बाद स्पष्ट हो पायेगा कि बच्चे जख्मी हुए तो आखिर कैसे? ग्रामीणों का कहना है कि खैरवा कांड की पुनरावृति की गयी है.

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