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बच्चों को मिली बगैर गलती की सजा

सीतामढ़ी : मानवाधिकार संगठन लोक स्वातंत्र्य संगठन (पीयूसीएल) की जांच टीम ने जिले के बाजपट्टी थाना के पथराही गांव में दलित परिवार के दो बच्चों की गरदन मरोड़ कर तथा पीट-पीट कर की गयी हत्या मामले की जांच कर की. जांच टीम में पीयूसीएल के जिलाध्यक्ष डॉ आनंद किशोर, उपाध्यक्ष ब्रजमोहन मंडल, जिला समिति के […]

सीतामढ़ी : मानवाधिकार संगठन लोक स्वातंत्र्य संगठन (पीयूसीएल) की जांच टीम ने जिले के बाजपट्टी थाना के पथराही गांव में दलित परिवार के दो बच्चों की गरदन मरोड़ कर तथा पीट-पीट कर की गयी हत्या मामले की जांच कर की.

जांच टीम में पीयूसीएल के जिलाध्यक्ष डॉ आनंद किशोर, उपाध्यक्ष ब्रजमोहन मंडल, जिला समिति के सदस्य अधिवक्ता लक्ष्मण मंडल ने विगत आठ जून को पथराही गांव जाकर पीड़ित परिवार, ग्रामीण, बाजपट्टी थानाध्यक्ष एवं पुपरी एसडीपीओ के अलावा मामले के अनुसंधानकर्ता से बात कर घटना की जानकारी ली तथा घटनास्थल का भी मुआयना किया. जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री, राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, डीजीपी एवं पीयूसीएल के अध्यक्ष को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजा है. पूरी तहकीकात के बाद जांच टीम ने आठ बिंदुओं में अपने निष्कर्ष देते हुए छह सुझाव दिये हैं
. टीम ने सभी पक्षों की राय के बाबत सही पाया है कि फूल बाबू एवं रामा बैठा की हत्या में संजय सिंह एवं अरुण सिंह शामिल है तथा यह हत्या आम तोड़ने को लेकर हुई है. इस हृदय विदारक घटना में जो सजा बच्चों को दी गयी वैसी कोई गलती बच्चों ने नहीं की थी. हत्या के 11 घंटे बाद पुलिस को सूचना मिलने, गांव में पुलिस गश्ती नहीं होने, यहां तक की गांव के चौकीदार की प्रतिनियुक्ति बाजपट्टी बाजार में होने से स्पष्ट होता है कि गांव की सुरक्षा का प्रशासन की नजर में कोई महत्व नहीं है.
सीओ की गलती की हुई उल्टी प्रतिक्रिया: कानून व्यवस्था की पकड़ ढीली होने का ही परिणाम है कि समाज के दबंग व्यक्ति खुद सजा तय कर लेते हैं. अरुण सिंह को गिरफ्तार कर छोड़ने का प्रशासन का निर्णय गलत था, उसी की प्रतिक्रिया में ग्रामीणों ने बाजपट्टी में सड़क जाम किया. इतनी बड़ी मार्मिक घटना में सीओ ने सूझ-बूझ से काम नहीं लेकर दबंगता दिखाते हुए पीड़ितों के परिजनों के खिलाफ कानून की 10 धाराओं में यहां तक कि मद्य निषेध की धारा में भी मामला दर्ज कराया है, जिसकी उल्टी प्रतिक्रिया हो सकती थी और मामला भड़क सकता था.
आम तोड़ने को लेकर हुई फूल
बाबू व रामा की हत्या
बाजपट्टी थाना क्षेत्र के पथराही
गांव में हुई घटना
पीयूसीएल की टीम ने की घटनास्थल की जांच
मुख्यमंत्री, अध्यक्ष मानवाधिकार आयोग व डीजीपी को भेजी
जांच रिपोर्ट
पुलिस की भूमिका पर उठाया सवाल
10 लाख मुआवजा व मिले सरकारी नौकरी: हत्या में ऑटो तथा अन्य एक-दो व्यक्तियों की संलिप्तता की एक माह बाद भी जानकारी नहीं होना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है. जांच टीम ने अपने सुझाव में दोनों बच्चों की हत्या को राष्ट्रीय क्षति बताते हुए कहा है कि चूंकि जनता सरकार के अधीन होती है, इसलिए इस प्रकार के जीवन क्षति के मामले में मृतक के माता-पिता के जीवन की सुरक्षा के लिए 10 लाख रुपया की आर्थिक सहायता तथा एक बच्चे को सरकारी नौकरी दिया जाना चाहिए.
गांव की सुरक्षा को बने ठोस नीति: हत्या में जो सामंती प्रवृत्ति दृष्टिगोचर हो रही है तथा लूंज-पूंज प्रशासनिक व्यवस्था जिसमें थाना से सात तथा चार किमी पर हुई हत्या की सूचना थाना को 11 घंटे बाद मिलती है, इसमें सुधार के लिए सरकार की विशेष जिम्मेवारी बनती है. ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस गश्ती नहीं होना, चौकीदार की बाजार में ड्यूटी, ग्रामीण सुरक्षा के प्रति लापरवाही को दर्शाता है. सरकार को गांवों की सुरक्षा पर ठोस नीति बनानी चाहिए. इतनी बड़ी हृदय विदारक घटना में भी सूझ-बूझ से काम नहीं लेनेवाले सीओ की आमलोगों के बीच प्रतिनियुक्ति से सरकार को परहेज करना चाहिए. अरुण सिंह को गिरफ्तार कर छोड़ देनेवाले पुलिस पदाधिकारियों की जांच कर उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए.

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