छपरा के मंडल कारा में छापेमारी के दौरान मिले मोबाइल से उठे सवाल, जानिए कैदियों तक कैसे पहुंचता है आपत्तिजनक सामान

Raid Conducted In Chhapra Jail सरकार के निर्देश के आलोक में मंडल कारा छपरा में मंगलवार को प्रभारी डीएम सह डीडीसी अमित कुमार व एसपी सायली धूरत सावला राम के नेतृत्व में लगभग दो घंटे तक की गयी छापेमारी में कारा के भीतर से पांच मोबाइल व दो चार्जर जब्त किये गये. इस अवसर पर सदर एसडीओ अरुण कुमार सिंह, मढ़ौरा एसडीओ विनोद कुमार तिवारी के अलावा डेढ़ सौ पदाधिकारियों व पुलिस की टीम ने पूर्वाह्न नौ बजे से 11 बजे तक विभिन्न वार्डों में छापेमारी की.

By Prabhat Khabar | November 24, 2020 4:41 PM

Raid Conducted In Chhapra Jail सरकार के निर्देश के आलोक में मंडल कारा छपरा में मंगलवार को प्रभारी डीएम सह डीडीसी अमित कुमार व एसपी सायली धूरत सावला राम के नेतृत्व में लगभग दो घंटे तक की गयी छापेमारी में कारा के भीतर से पांच मोबाइल व दो चार्जर जब्त किये गये. इस अवसर पर सदर एसडीओ अरुण कुमार सिंह, मढ़ौरा एसडीओ विनोद कुमार तिवारी के अलावा डेढ़ सौ पदाधिकारियों व पुलिस की टीम ने पूर्वाह्न नौ बजे से 11 बजे तक विभिन्न वार्डों में छापेमारी की.

लगभग दो घंटे तक चली छापेमारी के दौरान कारा के भीतर शौचालय, नालियों या अन्य स्थानों पर बंदियों द्वारा छिपाकर रखे गये पांच मोबाइल व दो चार्जर जब्त किये गये. प्रशासनिक छापेमारी को लेकर कैदियों में हड़कंप देखा गया. अचानक हुई छापेमारी के दौरान काराधीक्षक मनोज कुमार सिन्हा व कारा के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.

इस संबंध में काराधीक्षक द्वारा भगवान बाजार थाने में अज्ञात बंदियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. मालूम हो कि औसतन हर माह में कम से कम दो मोबाइल या अन्य आपत्तिजनक सामान जब्ती के मुकदमे कारा प्रशासन द्वारा थाने में दर्ज कराये जाते है. परंतु, शहर के बीच एनएच 19 व घनी बस्ती में अवस्थित छपरा कारा में बंदियों के परिजन आसपास के मकानों या जेल की चाहरदिवारी से सटे सड़क से आपत्तिजनक सामान व मोबाइल, शराब, गांजा, भांग, चरस आदि सामान एक साजिश के तहत फेंकते है.

कभी-कभी कारा के मुख्य गेट के पास भी जिला प्रशासन की ओर से आपत्तिजनक सामान जब्त किये जाते है. ऐसी स्थिति में प्रशासन या कारा के कर्मियों व पदाधिकारियों की माने तो मंडल कारा की भौगोलिक स्थिति कारा के भीतर आपत्तिजनक सामान पहुंचाने में सबसे बड़ी सहायक साबित हो रही है.

जब तक मंडल कारा का स्थानांतरण घनी आबादी से दूर नहीं होता है. तब तक आपत्तिजनक सामानों के कारा के भीतर जाने पर पुर्णत: रोक लगाना कारा प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर है. एनएच के किनारे अवस्थित कारा से कभी बंदी दिन दहारे सिढ़ी लगाकर भागने में सफल होते है तो कभी वाहन खड़ी कर पलायन की योजना बनाते है. ऐसी स्थिति में बंदियों की कारगुजारी पर नियंत्रण पाना कारा प्रशासन के लिए निश्चित तौर पर मुश्किल हो रहा है.

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