जिले के पीएचइडी में बड़ा घोटाला हुआ है. पिछले आठ साल के दौरान 120 करोड़ का गबन किया गया है. सीएजी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. कई योजनाओं में काम नहीं होने के बावजूद भुगतान कर दिया गया. मामले में विभाग के अवर सचिव ने जांच के आदेश दिये हैं.
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समस्तीपुर पीएचइडी में 120 करोड़ का घोटाला
जिले के पीएचइडी में बड़ा घोटाला हुआ है. पिछले आठ साल के दौरान 120 करोड़ का गबन किया गया है. सीएजी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. कई योजनाओं में काम नहीं होने के बावजूद भुगतान कर दिया गया. मामले में विभाग के अवर सचिव ने जांच के आदेश दिये हैं. समस्तीपुर : लोक […]
समस्तीपुर : लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण प्रमंडल समस्तीपुर में पेयजल आपूर्ति व शौचालय योजना मद में 120 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला सामने आया है. घोटाला वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2015-16 के बीच का है. आठ साल के दौरान हुई इस लूट का खुलासा महालेखाकार की रिपोर्ट में हुआ है.
समस्तीपुर पीएचइडी में
इसमें हाथ से लिखी रसीद पर लाखों का भुगतान दिखाया गया है. जबकि, अधूरे कार्य पर व्यय भी किये गये हैं. चापाकल का निर्माण, मरम्मत के साथ बीपीएलधारी के बदले अन्य को लाभान्वित करने का भी खुलासा हुआ है.
रिपोर्ट में पता चला है कि कार्यपालक अभियंता ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर संवेदक को राशि का भुगतान कर राजस्व की क्षति पहुंचायी है. सीएजी ने रिपोर्ट में खुलासा करते हुए निरीक्षण प्रतिवेदन संख्या 84/ 2008-09 में कहा है कि संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत बीपीएलधारी परिवार को 1200 रुपये की राशि प्रोत्साहन के रूप में दी जानी थी. इसमें लाभान्वित को 300 रुपये अंशदान करना था, जो मजदूरी या सामग्री के रूप में किये जा सकते थे. योजना के तहत 80 ऐसे लाभार्थियों 0.96 लाख की राशि दी गयी, जिसका नाम बीपीएल सूची में दर्ज ही नहीं है.
लाखों खर्च कर दिये, नहीं मिला पानी
स्टैंड पोस्ट के निर्माण पर भी दो लाख 79 हजार का गलत तरीके से भुगतान किया गया. समस्तीपुर अवर प्रमंडल में ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं पर लाखों रुपये तो खर्च कर दिये गये, लेकिन लोगों को इसका लाभ नहीं मिला. इस तरह के व्यय को भी सीएजी ने पकड़ते हुए विभाग व सरकार को सूचना दी थी. इनमें मउ धनेशपुर उत्तर, मउ धनेशपुर दक्षिण, विभूतिपुर, नरहन,मेयारी, सलेमपुर परोरिया व दलसिंहसराय से जुड़ी हुई योजनाएं हैं. इनमें राशि खर्च करने के बाद भी समय पर योजनाएं पूरी नहीं हुईं.
1.09 करोड़ का नहीं हुआ समायोजन
वर्ष 2008-09 में 1.09 करोड़ रुपये की राशि बतौर अग्रिम निकाल ली गयी, लेकिन इसका समायोजन नहीं किया गया. जबकि नियम के अनुसार पूर्व के लंबित अग्रिम होने पर दूसरा या आगे अग्रिम देने का प्रावधान नहीं है. संबंधित वित्तीय वर्ष के अंत तक सभी अग्रिम का समायोजन करना अनिवार्य है. कार्यपालक अभियंता लोक स्वास्थ्य प्रमंडल, समस्तीपुर के लेखा परीक्षा के दौरान प्रकल्प से संबंधित रोकड़ पंजी व अन्य अभिलेखों की नमूना जांच में पाया गया कि 31 मई 2009 तक एक करोड़ नौ हजार की राशि का समायोजन नहीं किया गया. ऐसा अधिकारियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया.
आठ साल के दौरान कई योजनाओं में हुआ गबन, वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2015-16 तक हुई लूट
हाथ से लिखी रसीद पर कर दिया लाखों का भुगतान
राशि खर्च करने के बाद भी पूरी नहीं हुईं योजनाएं
चापाकल मद में 34.04 लाख का भुगतान. अवर प्रमंडल रोसड़ा, दलसिंहसराय व समस्तीपुर में मरम्मत व नये चापाकल की स्थापना पर 34.04 लाख की राशि का भुगतान किया गया. आपात स्थिति में ही ऐसा किया जा सकता है. ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अंतर्गत सिंघिया बुजुर्ग (उत्तर) में संवेदक की ओर से 11 लाख 19 हजार 117 रुपये का कार्य कराया गया. जबकि, चार प्रतिशत अधिक पर भुगतान 11 लाख 63 हजार 882 रुपये कर दिया गया. यह योजना वर्ष 2007-08 की है.
पुरानी पाइप को उखाड़ 75.19 लाख किये खर्च. योजना में एक और बात सामने आयी कि संवेदक ने पुराने पाइप को उखाड़ कर स्टॉक कर लिया. इस तरह 75.19 लाख रुपये का व्यय बेकार में चला गया. टावर के लिए नलकूप निर्माण में भी प्राक्कलित राशि से तीन प्रतिशत अधिक पर मे. अमित कंस्ट्रक्शन के साथ एकरारनामा हुआ. योजना में 17 हजार 199 रुपये अधिक भुगतान किया गया. आश्चर्य की बात तो यह है कि राइजिंग मेन व वितरण प्रणाली के कार्य के लिए तीसरे चलंत लेखा बिल में संवेदक को छह लाख 79 हजार 837 रुपये का भुगतान किया गया.
क्षेत्रीय मुख्य अभियंता करेंगे जांच
आरटीआइ के तहत गबन का का खुलासा होने के बाद मामले की जांच का जिम्मा क्षेत्रीय मुख्य अभियंता को सौंपा गया है. मुजफ्फरपुर जिले के बलहा निवासी व आरटीआइ कार्यकर्ता अमित कुमार मंडल की ओर से निकाली गयी सूचना के आधार पर बिहार सरकार के मुख्य सचिव के पास शिकायत की गयी थी. शिकायत के बाद अवर सचिव राजेंद्र प्रसाद सिंह ने पीएचइडी मुजफ्फरपुर के क्षेत्रीय मुख्य अभियंता को पत्रांक 971 दिनांक 30 नवंबर 16 को पत्र भेज कर जांच का आदेश दिया है. साथ ही जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है.
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