समस्तीपुर : भगवान सूर्यदेव के प्रति भक्ति और अटल आस्था का अनूठा छठ पर्व पर इस बार खास संयोग बन रहा है़ भक्त सूर्य आनंद योग में छठ मैया का पूजन करेंगे़ पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानि चार नवंबर को शुरू होगा, जो सप्तमी यानि सात नवंबर को सूर्यदेव को अर्घ देकर व्रत परायण से समापन होगा़ मंडल कारा के कारा अधीक्षक नंद किशोर रजक ने बताया कि पहला अर्घ रविवार को होगा और चंद्रमा के गोचर में रहने से सूर्य आनंद योग का संयोग करीब 12 सालों बाद बनेगा़ यह परिवार में सुख समृद्धि और खुशहाली लाने वाला साबित होगा़
इस बार मंडल कारा में 17 पुरुष व 13 महिला बंदी छठ व्रत करेंगे़ कारा प्रशासन के द्वारा पूजन सामग्री, धोती, गंजी, साड़ी आदि उपलब्ध करायी जाती है़ बंदी छठ मैया का पूजन मंडलकारा परिसर में बने तालाब में करेंगे़ सभी बंदी मिलकर तालाब की सफाई व सजावट करते हैं.
कुएं के साथ दफन हो रही है पुरानी परंपरा : शहर से लेकर गांव तक कुंआ का अस्तित्व समाप्त होने से छठ की एक पुरानी परंपरा भी दफन होती जा रही है़ बता दें कि पहले छठ से पूर्व खरना का प्रसाद कुआं के पानी से ही व्रती तैयार करते थे़ इसकी अनिवार्यता मानी जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे कुंओं के खत्म होने के कारण लोगों को इस परंपरा को तिलांजलि देना पड़ा़ वर्तमान में कुंओं के अभाव में अब चापाकल के पानी से ही लोग प्रसाद तैयार करने लगे हैं.
यही स्थिति गांवों की भी हो गयी है़ यद्यपि बीच के दौर में पुराने कुंओं के जीर्णोद्धार से लेकर नये कुओं के निर्माण के लिए सरकारी योजनाएं भी चली और काफी राशि भी खर्च की गयी, लेकिन योजना से आच्छादित कुंओं की स्थिति पूर्ववत है़ अधिकांश कुएं कूड़े कचरे से भरे हुए हैं और कई का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो गया है़
व्रतियों ने बताया कि वे लोग पहले खरना का प्रसाद कूप के पानी से तैयार किया करते थे़ कुंआ का पानी ही शुद्ध माना जाता है, लेकिन पूर्व में जिस कूप का पानी वे लोग उपयोग करते थे, अब वह कूप सूख चुका है़ ऐसे में मजबूरन चापाकल के पानी से ही छठ का प्रसाद बनाना पड़ता है़
17 पुरुष व 13 महिला बंदी करेंगे छठ व्रत