समस्तीपुर : सरकार किसानों को अल्पवृष्टि के कारण हुए नुकसान की भरपायी के लिए आज से तीन महीने पहले ही डीजल अनुदान के लिए राशि निर्गत कर दी, परंतु दुर्भाग्य यह है कि जिले के एक भी किसान को डीजल अनुदान की राशि अब तक नहीं मिली है.
प्रखंड विकास पदाधिकारियों को न तो जिलाधिकारी के कड़े आदेश का डर है और न ही प्रधान सचिव के द्वारा भेजे गये कड़े पत्र की कोई चिंता है. इधर, किसान परेशान हैं. अल्पवृष्टि के कारण किसानों के द्वारा किसी तरह लगाये गये धान की फसल सूख रहे हैं, परंतु इसकी चिंता प्रखंड के अधिकारियों को नहीं है.
आलम यह है कि 28 अगस्त को जिलाधिकारी ने वितंतु संवाद भेजकर सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को दो दिनों का अल्टीमेटम देते हुए उपावंटित राशि की निकासी कर डीजल अनुदान के लिए आवेदन देने वाले किसानों को राशि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. परंतु कोई असर नहीं. दो सितंबर को फिर जिलाधिकारी के हवाले से जिला कृषि पदाधिकारी ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को वायरलेस मैसेज भेजवाये परंतु स्थिति यह है कि अभी तक एक भी प्रखंड ने डीजल अनुदान की राशि की निकासी नहीं की है.
जब निकासी ही नहीं होगी तो फिर वितरण कैसे किया जायेगा. इससे जहां किसानों में सरकार के सिस्टम के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है. वहीं उसके फसलों की स्थिति भी दिनोंदिन खराब होती जा रही है.
अनुदान के लिए 27 हजार 429 आवेदन हुए प्राप्त
डीजल अनुदान के लिए अब तक जिले के विभिन्न प्रखंडों में 27 हजार 429 आवेदन प्राप्त हुए हैं. 24 हजार 3 हेक्टयर की सिंचाई के लिए यह आवेदन प्राप्त हुए हैं. इसमें 12 हजार 388 आवेदनों को समीक्षा के बाद स्वीकृत किये गये हैं. जिन्हें डीजल अनुदान दिया जाना है. आश्चर्य की बात तो यह है कि अब तक इसमें से एक भी किसान को अनुदान का भुगतान नहीं किया गया है.
जबकि जिले में डीजल अनुदान के लिए सरकार के द्वारा 22 करोड़ 53 लाख 48 हजार रुपये आज से तीन महीने पहले ही उपलब्ध करा दिये गये हैं. इतना ही नहीं कृषि विभाग के प्रधान सचिव अमृतलाल मीना ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर यह भी कहा है कि भेजी गयी राशि को खर्च करने के बाद जरुरत पड़ने पर राशि का डिमांड करें. डिमांड करने के 24 घंटे के अंदर डीजल अनुदान मद में राशि उपलब्ध करायी जायेगी. बावजूद अब तक इस राशि का खर्च नहीं किया जाना आम लोगों के समझ से पड़े है.
बैंक खाता से या नकद भी कर सकते हैं भुगतान
प्रधान सचिव ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि जो किसान बैंक खाता के माध्यम से राशि लेना चाहते हैं, उन्हें आरटीजीएस के माध्यम से उनके खाता में राशि ट्रांसफर कर दी जाये. जिनके पास बैंक खाता नहीं है, उन्हें नकद भी भुगतान की जा सकती है. इसके अलावा प्रधान सचिव ने यह भी कहा है कि डीजल के लिए किसी पेट्रौल पंप को अधिकृत भी नहीं किया जाये. किसान को जहां से सुविधा हो वे वहां से डीजल ले सकते हैं.
चाहे वह प्रखंड के भीतर हो या फिर प्रखंड के बाहर का हो. सीमावर्ती क्षेत्र में यदि दूसरे जिले में अवस्थित पेट्रौल पंप से भी डीजल लिया है तो उसे अनुदान दिया जाये.