बेकार पड़ीं फॉगिंग मशीनें

समस्तीपुर : बदलते मौसम के साथ मच्छरों की तादाद भी बढ़ गयी है़ इससे डेंगू व मलेरिया जैसी घातक बीमारियों से लोग पीड़ित हो रहे हैं. इसके बावजूद नगर परिषद प्रशासन द्वारा शहर में फॉगिंग नहीं करायी जा रही है़ वहीं समय के साथ मच्छर भी बाहुबली होते जा रहे हैं. उन पर नीम की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 20, 2017 12:45 PM
समस्तीपुर : बदलते मौसम के साथ मच्छरों की तादाद भी बढ़ गयी है़ इससे डेंगू व मलेरिया जैसी घातक बीमारियों से लोग पीड़ित हो रहे हैं. इसके बावजूद नगर परिषद प्रशासन द्वारा शहर में फॉगिंग नहीं करायी जा रही है़
वहीं समय के साथ मच्छर भी बाहुबली होते जा रहे हैं. उन पर नीम की पत्तियों का असर तो दूर कॉइल मैट्स, मस्क्यूटो लिक्वीडेटर भी बेअसर हो गये हैं. बीते 10 से 15 साल में उन्होंने जनसंख्या के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा लिया है़ उसका नकारात्मक असर यह सामने आ रहा है कि 12 से 15 दिन में पानी में पनपने वाले लार्वा अब हफ्ते भर में पैदा होने लगे हैं. साफ व दूषित जल दोनों ही मच्छरों के घर हो गये हैं. रात की तरह दिन में भी मच्छर डंक चुभा रहे हैं.
इसके बावजूद शहर में फॉगिंग नहीं करायी जा रही है़ शहरी क्षेत्र में नगर परिषद के पास कहने को करीब दो दर्जन फॉगिंग मशीनें हैं. इसका इस्तेमाल गिने-चुने व किसी खास दिनों में की जाती है. शहरवासियों को इसका सीधा लाभ नहीं मिल पाता है़ गोदाम में सभी मशीन धूल फांक रही है़
इसके इस्तेमाल के लिए भी रोस्टर तैयार नहीं है. नाले में पनप रहे मच्छर के लार्वा को मारने के लिए नप के पास कोई व्यवस्था नहीं है. यही हाल स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया विभाग की है़ इस विभाग का सारा सिस्टम कार्यालय के बंद कमरों में संचालित की जाती है़ इनके पास सारी व्यवस्था रहते समस्या का निदान नहीं हो पाता है.
शाम होते ही घरों में जलने लगता है क्वाइल : शहर की सफाई व्यवस्था से परेशान लोगों ने शाम होते ही मच्छरों से निजात पाने के लिए बाजार की ओर रुख कर लिया है.
व्यवसायियों की माने तो प्रतिदिन इस शहर में दो सौ से अधिक मच्छर भगवाने वाले क्वाइल, अगरबत्ती का प्रयोग करते हैं. बावजूद जब तक इसका असर घरों में बना रहता है तब तक मच्छरों से छुटकारा मिलता है. असर खत्म होते ही सभी नप को कोसने लगते हैं.

Next Article

Exit mobile version