यहां क्रिकेट, कबड्डी, खो-खो या दूसरे अन्य खेलों के खिलाड़ी नहीं वरन, बोतलों, सिगरेट व चीलम के साथ शराबी व गंजेड़ी ही नजर आते हैं. स्टेडियम परिसर में प्रवेश करने के साथ ही गांजे की महक लोगों को मदहोश कर देती है. तो जगह-जगह जाम टकराते लोग आगे बढ़ने से रोकते हैं. इन सबों के बीच ईल बातों की लगातार फब्बतियां चलती है. जिस कारण कुछ खेलने के उद्देश्य से जाने वाले बच्चों या सुबह-शाम व्यायाम के लिए जाने वाले लोगों को अपना पांव लौटा लेना पड़ता है. स्टेडियम के मैदान से लेकर सीढ़ियों पर जगह-जगह पड़ी शराब की बोतलें, पानी के बोतल, भूंजा के पैकेट, अधजली सिगरेट ही मैदान क ी नयी पहचान क राती है.
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स्टेडियम नहीं, यह है शहर का ओपेन मयखाना
सहरसा सदर: वर्षो से नहीं, सहरसा का एकमात्र आउटडोर स्टेडियम दशकों से उपेक्षित है. विभाग की उदासीनता एवं प्रशासन की लापरवाही ने अब इसका अस्तित्व ही समाप्त कर दिया है. स्टेडियम आज तक खेल-कूद से पहचान बनाने में कामयाब नहीं हो सका. अब यह मैदान पूरी तरह शराबियों व नशेड़ियों की गिरफ्त में चला गया […]
सहरसा सदर: वर्षो से नहीं, सहरसा का एकमात्र आउटडोर स्टेडियम दशकों से उपेक्षित है. विभाग की उदासीनता एवं प्रशासन की लापरवाही ने अब इसका अस्तित्व ही समाप्त कर दिया है. स्टेडियम आज तक खेल-कूद से पहचान बनाने में कामयाब नहीं हो सका.
अब यह मैदान पूरी तरह शराबियों व नशेड़ियों की गिरफ्त में चला गया है.
प्रशासन की सख्ती नहीं रहने के कारण यह स्थल खिलाड़ियों की जगह अब शराबियों, गंजेड़ियों व बदमाशों का ठिकाना बन कर रह गया है. आसपास के लोग तो बताते हैं कि अपराधी यहां खाने-पीने के बाद यहीं से अपराध की योजना भी बनाते हैं.
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