कुनबे सहित मारे गये ”फेसबुकिया अर्जुन”!

सासाराम कार्यालय : शहर के चुनावी महाभारत के पहले ही अध्याय में कुनबा सहित फेसबुकिया अर्जुन मारे गये. फेसबुकिया अर्जुन चुनाव के दौरान इतना दावा किया मानो शहर की जनता उनके बिना रहना नहीं चाहती. चेयरमैन की कुरसी उनके बिना रो रही हो. जनता ने उनकी हालत ऐसी की कि पूरे कुनबे को प्रत्येक वार्ड […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 26, 2017 10:27 AM
सासाराम कार्यालय : शहर के चुनावी महाभारत के पहले ही अध्याय में कुनबा सहित फेसबुकिया अर्जुन मारे गये. फेसबुकिया अर्जुन चुनाव के दौरान इतना दावा किया मानो शहर की जनता उनके बिना रहना नहीं चाहती. चेयरमैन की कुरसी उनके बिना रो रही हो.
जनता ने उनकी हालत ऐसी की कि पूरे कुनबे को प्रत्येक वार्ड में नीचे से पहला स्थान दिया, गोया वोट का सैकड़ा भी नहीं लगा सके. अब हालत ऐसी है कि घर से लेकर उनकी फेसबुक तक पर सन्नाटा पसरा है. शिक्षक से नेता बनानेवाले गायब हैं. लोगों ने कहा कि समाज सेवा बातों से नहीं होती, उसके लिए काम भी करना पड़ता है.
चंद नौसिखुओं के कहने पर मास्टर साहेब अपने को चुनावी महाभारत के अर्जुन समझ बैठे थे.हालत यह हुई कि चेयरमैन के युद्ध से पहले ही कुनबा सहित टूटे घड़े की तरह जनता ने सड़क पर फेंक दिया. एक ने सलाह दी, बोलो कम. शहर की समस्या के लिए काम करो. पहले घर में द्रौपदी लाओ. अगले चुनाव का इंतजार करो, और फिर उसे शहर की रानी बनाने का सपना देखो.

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