नगर पर्षद के सफाईकर्मियों के साथ शहर से गायब हो गये स्वच्छाग्रही

सासाराम कार्यालय : स्वच्छ भारत अभियान का शुभा रंभ दो अक्तूबर 2014 को प्रधानमंत्री ने एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में किया थी. लक्ष्य था 2019 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी 150वीं जयंती पर स्वच्छ भारत बना सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि देने का. उस दिन से तीन वर्षों तक रोहतास जिले में लगा कि मुहल्ले की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 21, 2020 7:37 AM

सासाराम कार्यालय : स्वच्छ भारत अभियान का शुभा रंभ दो अक्तूबर 2014 को प्रधानमंत्री ने एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में किया थी. लक्ष्य था 2019 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी 150वीं जयंती पर स्वच्छ भारत बना सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि देने का.

उस दिन से तीन वर्षों तक रोहतास जिले में लगा कि मुहल्ले की गली, सड़क, स्टेशन व बस पड़ाव सहित कोई भी सार्वजनिक स्थल अब गंदा नहीं दिखेगा. तब आमजन के अलावा बड़ी संख्या में समाजसेवी, नेता, जनप्रतिनिधि, अफसर इस अभियान के तहत सड़कों पर झाड़ू लगाते फिरते थे. हर तरफ स्वच्छता की धूम थी.
खूब फोटो सेशन होते थे. नगर पर्षद पर भी जो की उसका मूल कार्य होने के बावजूद सफाई के लिए बहुत दबाव था, तभी तो सरकार ने भी सफाई के लिए उसे एनजीओ की मदद लेने और भारी भरकम रकम चुकता करने की छूट दे दी थी. लेकिन, आज जब शहर को उन दिनों हाथ में झाड़ू लेने वालों की जरूरत है, तो कोई समाजसेवी, नेता, जनप्रतिनिधि, अफसर दिखाई नहीं पड़े रहे हैं.
यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी को आदर्श माननेवाले भी गायब हैं. नप में सफाईकर्मियों ने हड़ताल की है. उनका लोकतांत्रिक अधिकार है. अपनी मांग है. शहर के लोगों को भी कुछ जरूरत और मांग है कि शहर में सफाई हो, पर इस विकट समस्या पर कुछ करना तो दूर कोई पूछने वाला भी नहीं है.
सांसद लगाते थे झाड़ू: याद होगा, शहर के रेलवे स्टेशन पर सासाराम सांसद छेदी पासवान कई बार स्वच्छता अभियान चला चुके हैं. आज उनकी तबीयत ठीक नहीं. पर, उनके साथ झाड़ू लगाने व फोटो खिंचाने वाले भी गायब हैं. वे सड़क पर स्वच्छता अभियान का नारा भी नहीं लगा रहे हैं. हां, इतना जरूर कर रहे हैं कि इस परिस्थिति में भी नगर पर्षद के कर्ताधर्ताओं को दबी जुबान से कोस कर अपनी उपस्थिति चौक-चौराहों पर दर्ज करा रहे हैं.
मुख्य पार्षद व कार्यपालक भी लगाती थीं झाड़ू
स्वच्छता अभियान के उस दौर में नगर पर्षद की मुख्य पार्षद कंचन देवी व नगर कार्यपालक पदाधिकारी कुमारी हिमानी एक साथ सड़क पर झाड़ू लगाती थीं. उस समय लोगों के जेहन में यह आया था कि यह दिखावा है, जो आज सच हो रहा है. सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं. ऐसे में अगर हमारे जनप्रतिनिधि लोगों की मदद के लिए लोगों के साथ स्वच्छता अभियान में जुट जाते, तो शहर की ऐसी दुर्दशा नहीं होती.
अनिश्चितकालीन है हड़ताल
सफाईकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल है. सीपीआइ के नेता अशोक बैठा ऐलान कर चुके हैं कि 21 फरवरी को पटना में प्रदर्शन होगा. इसके बाद ही हड़ताल पर कोई विचार होगा. ऐसे में हड़ताल के 17 दिन बीत हो चुके हैं. अभी और कितने दिन हड़ताल रहेगी, यह कहना मुश्किल. शहर की जनता की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, जो कभी एक बड़ा आंदोलन का रूप ले सकता है. इसमें भी लोचा है कि वार्ड के मुखिया पार्षद गुटों में बंटे हैं. ऐसे में जनता को ही कुछ न कुछ करना होगा.

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