अब टूट चुके हैं वोटर और नेता के बीच के रिश्ते

चेनारी (रोहतास) : दले परिवेश में चुनाव प्रचार में काफी चकाचौंध है. प्रत्याशी चुनाव प्रचार में पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं. आज नेता के साथ प्रचारकों की लंबी कतार है, लेकिन नेता व मतदाता के बीच आत्मीय लगाव की कमी देखने को मिल रही है. यही कारण हैं प्रत्याशी अपने को जनता के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 20, 2019 6:00 AM

चेनारी (रोहतास) : दले परिवेश में चुनाव प्रचार में काफी चकाचौंध है. प्रत्याशी चुनाव प्रचार में पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं. आज नेता के साथ प्रचारकों की लंबी कतार है, लेकिन नेता व मतदाता के बीच आत्मीय लगाव की कमी देखने को मिल रही है. यही कारण हैं प्रत्याशी अपने को जनता के बीच में कमजोर पा रहे हैं. जिसके कारण पार्टी या दल के बड़े चेहरों को चुनाव प्रचार में उतारा जा रहा है. भीड़ जुटाई जा रही है. बड़े-बड़े वादे किये जा रहे हैं.

पहले प्रत्याशी ही मतदाताओं के बीच अपनी छाप छोड़ते थे. उनके व्यक्तित्व से जनता प्रभावित होती थी. लोग उत्साह से मतदान करते थे. आज बदले परिवेश में पुरानी बातें देखने को नहीं मिल रही है. अब प्रत्याशियों को प्रचारकों का सहारा ले पड़ रहा है.
चुनाव दर चुनाव बदले परिवेश को नजदीक से देखते आए 102 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी बलदेव आजाद बताते हैं कि समय के साथ साथ चुनाव का हर तरीका बदल गया है. प्रखंड मुख्यालय स्थित चेनारी पंचायत के भरंदुआ मोहल्ला निवासी (स्वतंत्रता सेनानी) बलदेव अाजाद इस उम्र में भी मतदान के प्रति काफी जागरूक हैं.
अन्य मतदाताओं को भी लोकतंत्र के महापर्व में भागीदारी निभाने के लिए जागरूक कर रहे हैं. बीती बातों को याद करते हुए कहते हैं कि आज भले ही संसाधन बढ़ गये हैं. चुनाव प्रचार करने का तरीका बदल गया है. 80 के दशक तक प्रत्याशी मस्ती के साथ चुनाव प्रचार करते थे. तब पैदल व जीप से चुनाव प्रचार होता था.
तांगा व बैलगाड़ी से मतदाता मतदान केंद्र पर जाते थे. अधिकतर मतदाता उत्साह के साथ पैदल लंबी दूरी तय कर मतदान करने जाते थे. किसी गांव में अगर एक साथ दो प्रत्याशी आ गये और कार्यकर्ताओं के साथ उनकी मुलाकात हो गयी तो उनका व्यवहार मित्रवत होता था. यह समाज में अलग संदेश देता था.
102 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी ने सुनायी पुराने दौर में होने वाली प्रचार की बातें
विपक्षी बोलते थे, पूड़ी भी खाना, मिठाई भी खाना, कोठरिया (मतदान केंद्र) में जाकर बदल जाना
अच्छे प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करें
मतदान केंद्र के बगल में प्रत्याशियों द्वारा खानपान का भी इंतजाम होता था. इसी बीच विपक्षी बोलते थे, पूरी भी खाना, मिठाई भी खाना, कोठरिया (मतदान केंद्र) में जाकर बदल जाना. जिसका अर्थ होता था खाइए किसी का, लेकिन मतदान केंद्र में अपने विवेक के अनुसार मतदान कीजिए. किसी लोभ लालच में पड़कर गलत प्रत्याशी का चयन मत करिए. आज लोगों को निर्भीक होकर निष्पक्ष ढंग से अच्छे प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करना चाहिए.

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