पाकिस्तान के जेल में करीब चार साल तक टॉर्चर होने के बाद 2015 में अहियापुर के सोनियापुर लौटे मजदूर रामदास सहनी (35) की मौत पटना में हो गयी. वह कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित था. परिजनों ने उसको बेहतर इलाज के लिए गत 25 फरवरी को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के क्रम में शुक्रवार की सुबह उसकी मौत हो गयी. पोस्टमार्टम के बाद उसका शव गांव लाया गया. इसके बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया. मृतक के चार छोटे-छोटे बच्चे भी हैं. रामदास सहनी की मौत के बाद परिजनों में चीत्कार मचा है. परिजनों का आरोप है कि बिहार वापस आने के बाद सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली. केवल एक राशन कार्ड बना दिया गया.
लाहौर जेल में किया गया था टॉर्चर
मृतक के पिता का कहना है कि करीब 12 साल पहले उसका पुत्र रामदास सहनी घर से समस्तीपुर के पूसा स्थित अपने ससुराल गया. वहां से वह अमृतसर घूमने चला गया. घूमने के दौरान रामदास ने पाकिस्तान के सीमा में प्रवेश कर गया. वहां, पाकिस्तानी जवानों ने रामदास को पकड़ कर लाहौर स्थित जेल में डाल दिया. करीब चार वर्षों बाद रामदास को रिहा किया गया. लाहौर जेल में रामदास को बुरी तरह टॉर्चर किया जा रहा था. गरम पानी में डालकर रखा जाता था. पिटाई भी की जाती थी. वहां से वापस आने के बाद उसका दिमागी हालत खराब हो गया था. वह अधिकांश समय बीमार रह रहा था. इस बीच बीते 25 फरवरी को उसकी तबीयत काफी खराब हो गयी. परिजन उसको इलाज के लिए एसकेएमसीएच लेकर पहुंचे. यहां से उसका बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच रेफर किया गया था. जहां उसकी मौत हो गयी.
2013 में जेल से छुटा था रामदास
मीडिया में रामदास के पाकिस्तान के जेल में बंद होने की खबर प्रकाशित होने के बाद उसकी रिहाई की कोशिश शुरू की गयी. तत्कालीन विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने मामले का सत्यापन कराने के बाद उसकी रिहाई की प्रक्रिया शुरू करवायी. करीब चार महीनों की कोशिश के बाद वो भारत लौट पाया. पाकिस्तान से आने के बाद काफी दिनों तक उसे अमृतसर के रेडक्रास सोसाइटी अस्पताल में भर्ती करा गया.