पशु अस्पतालों की तुलना में एक ितहाई हैं डॉक्टर
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13 डॉक्टरों के जिम्मे इलाज
पशु अस्पतालों की तुलना में एक ितहाई हैं डॉक्टर 13 डॉक्टरों के भरोसे चल रहे जिले के 50 पशु चिकित्सालय 14 प्रखंडों में 13 लाख 50 हजार है कुल पशुओं की संख्या औसतन 20 हजार पशुओं का ही हो पाता है टीकाकरण पशुपालकों की जान सांसत में पूर्णिया : जिले के पशुपालन विभाग में डॉक्टरों […]
13 डॉक्टरों के भरोसे चल रहे जिले के 50 पशु चिकित्सालय
14 प्रखंडों में 13 लाख 50 हजार है कुल पशुओं की संख्या
औसतन 20 हजार पशुओं का ही हो पाता है टीकाकरण
पशुपालकों की जान सांसत में
पूर्णिया : जिले के पशुपालन विभाग में डॉक्टरों की घोर कमी है.आलम यह है कि पशु अस्पतालों की तुलना में पशु चिकित्सकों की संख्या महज एक तिहाई है. जिले में 50 पशु चिकित्सालय हैं जो मात्र 13 डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं. जबकि जिले के 14 प्रखंड में 13 लाख 50 हजार पशुओं की संख्या है. वैकल्पिक उपाय के तौर पर पशुपालन विभाग ने एक डॉक्टर को रोस्टर के आधार पर चार-चार पशु चिकित्सालयों की जवाबदेही दे रखी है. टीकाकरण, जांच से लेकर उपचार तक करना है. नतीजतन डॉक्टर को खोजने में ही चार दिन बीत जाते हैं और इलाज के अभाव में कई पशु असमय काल कवलित हो जाते हैं.
टीकाकरण से आगे नहीं बढ़ पा रहा विभाग : पशु चिकित्सकों की कमी के कारण टीकाकरण से आगे के काम में विभाग पस्त है. हालांकि टीकाकरण में भी उसकी उपलब्धि पचास फीसदी भी नहीं हो पाती है. औसतन 20 हजार पशुओं का टीकाकरण हो पाता है. पशुओं को सरकारी स्तर से अभियान चलाकर प्रकार का टीका दिया जाता है, जिसमें एचएस और बीक्यू टीका, एफएमबी टीका, पीपीआर टीका, और ब्रुसोसलिस टीका शामिल है. पशु चिकित्सक डा अंजनी कुमार सिन्हा ने बताया कि वर्तमान में 18 हजार पशुओं का टीकाकरण किया गया है. अब 20 अप्रैल से पुन: टीकाकरण अभियान चलाया जायेगा. टीकाकरण के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है.
पशु संपदा के विकास की योजना नदारद : राज्य सरकार ने पशुपालन विभाग तो खोल दिया है, लेकिन विभाग से किसानों व पशुपालकों को कोई खास लाभ नहीं मिल रहा है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार ने पशुपालन के संबंध में आज तक कोई योजना या खाका तैयार नहीं किया है. जबकि सरकार पशुपालन के लिए करोड़ों रुपया खर्च कर रही है. किसानों का भविष्य खेती और पशुपालन पर ही निर्भर रहता है. कृषि कार्य के लिए सरकार विभिन्न अनुदान दे रही है और कई योजनाएं भी हैं जिसके तहत किसान को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलता है. लेकिन पशुपालन से किसान पूरी तरह निराश हैं.
जिले में सरकारी आंकड़ा के अनुसार कुल पशुओं की संख्या 13 लाख 50 हजार है. जबकि लोगों की संख्या करीब 30 लाख है. जिले में गाय की संख्या 6 लाख 50 हजार है. भैंस की संख्या 75 हजार से एक लाख के बीच है और बकरी व भेंड़ की संख्या छह लाख है.
पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए समेकित योजना का अभाव है. पशुओं का टीकाकरण और मेडिकल उपचार की व्यवस्था है. जिले में सिर्फ 13 पशु चिकित्सक प्रभार में हैं. सेवा प्रदान करने में बहुत ही मुश्किल हो रही है.
रंजीत कुमार सिन्हा, पशुपालन पदाधिकारी, पूर्णिया
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