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अतिक्रमण हटाना होगी बड़ी चुनौती अड़चन. स्वच्छ व सुंदर शहर की राह आसान नहीं

स्मार्ट सिटी और सरकार के निश्चय को धरातल पर उतारने के लिए सर्वप्रथम निगम को शहर में नासूर बन चुके अतिक्रमण की समस्या से जूझना पड़ेगा. शहर के नालों और सड़कों पर अतिक्रमण का आलम यह है कि अतिक्रमण के कारण कई योजनाएं अधर में लटकी हैं और निगम अपने ही फैसले से किनारा कर […]

स्मार्ट सिटी और सरकार के निश्चय को धरातल पर उतारने के लिए सर्वप्रथम निगम को शहर में नासूर बन चुके अतिक्रमण की समस्या से जूझना पड़ेगा. शहर के नालों और सड़कों पर अतिक्रमण का आलम यह है कि अतिक्रमण के कारण कई योजनाएं अधर में लटकी हैं और निगम अपने ही फैसले से किनारा कर खानापूर्ति में लगा हुआ है.

पूर्णिया : सरकार के तीन निश्चय कार्यक्रम में शामिल हर घर तक सड़क-नाला पर निगम ने कवायद आरंभ कर दिया है. मकसद शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलाना है, लेकिन इस राह में कई ऐसी अड़चनें हैं, जो निगम के मकसद पर पानी फेरने के लिए तैयार हैं. दरअसल स्मार्ट सिटी और सरकार के निश्चय को धरातल पर उतारने के लिए सर्वप्रथम निगम को शहर में नासूर बन चुके अतिक्रमण की समस्या से जूझना पड़ेगा. शहर के नालों और सड़कों पर अतिक्रमण का आलम यह है कि अतिक्रमण के कारण कई योजनाएं अधर में लटकी हैं और निगम अपने ही फैसले से किनारा कर खानापूर्ति में लगा हुआ है. विडंबना यह है कि न्यायालय व सरकार द्वारा अतिक्रमण पर कड़े निर्देश के बावजूद शहर में अतिक्रमण के विरुद्ध अभियान ठंडे बस्ते में है.
ठंडे बस्ते में पांच वर्ष पहले का निर्णय : वर्ष 2011 के अपने ही फैसले और नियमावली में दर्ज प्रस्ताव को निगम भूल गया है. 2011 के 08 अगस्त को निगम की बैठक में शहर की सभी सड़कों का भौतिक सत्यापन कर सूची बनाने के साथ-साथ शहर की सड़कों को अतिक्रमण मुक्त करने के साथ नालों से भी अतिक्रमण हटाने के प्रस्ताव पर सहमति बनी थी, जो निगम के प्रस्ताव पुस्तिका के प्रस्ताव संख्या 02 में दर्ज है. पर, समय के साथ खुद के निर्णय को ही नगर निगम भूल गया है.
निर्माण में नियमों की हो रही उपेक्षा : हालात यह है कि जब नगर निगम ही अपने खुद के बनाये नियमों पर कायम नहीं है तो आम लोग कितना नियम-कायदे की परवाह कर रहे होंगे, बखूबी समझा जा सकता है. विडंबना तो यह है कि शहर में होटल, मॉल, मकान, गोदाम, मार्केट व दुकानों का निर्माण बिना नक्शा निगम से पास कराये हो रहा है और नगर निगम को इस बात की जानकारी भी नहीं है. इसके कारण निर्माण कार्य में लगे लोगों द्वारा सरकारी जमीन, सड़क, नाला पर धड़ल्ले से अतिक्रमण कर निर्माण कराया जा रहा है.
बेतरतीब शहर का कोई रहबर नहीं
कई विकासपरक योजनाएं लटकी हैं
अतिक्रमण को लेकर निगम के संवेदन शून्यता का हाल यह है कि शहर के ड्रेनेज, मुख्य नाला, लिंक, नालियां व शहर की मुख्य सड़क से लेकर लिंक सड़कें अतिक्रमण की चपेट में है. अतिक्रमण का यह सिलसिला लगातार शहर में जारी है. इसके कारण कई महत्वपूर्ण व विकासपरक योजनाएं जिसमें आम आदमी को राहत और शहर को सुसज्जित बनातीं, अधर में लटकी हुई हैं. वहीं निगम के प्रयास के अभाव में बेतरतीब तरीके से हर रोज शहर में विस्तार जारी है.
यहां फंसी हैं योजनाएं
अतिक्रमण के पेच में फंसी योजनाओं में सिक्स लेन सड़क, जो गुलाबबाग सोनौली चौक से लोहापट्टी तक सिमट कर रह गया है, चित्रवाणी रोड स्थित 08 लाख की लागत से बनने वाली सड़क एक निजी होटल के अतिक्रमण के कारण अधूरा पड़ी है, तो गुलाबबाग का मुख्य ड्रेनेज, जो सोनौली चौक से मनुषमारा धार में जुड़ता है, जिससे गुलाबबाग के नालियों का पानी निकलता है, अतिक्रमण का शिकार होकर बंद पड़ा है. इतना ही नहीं शहर का मुख्य ड्रेनेज व लालगंज नाला भी अतिक्रमण का शिकार है. ऐसे में बिना अतिक्रमण समाप्त किये स्मार्ट सिटी व स्वच्छ शहर का सपना साकार होना आसान नहीं है.

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