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प्रेशर में काम करते हैं चिकित्सक

हाल . सदर अस्पताल में पद 59 की जगह मात्र 26 डॉक्टर ही पदस्थापि पूर्वोत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पिछले कुछ वर्षों से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. सदर अस्पताल में सृजित पद 59 की तुलना में मात्र 26 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं. आधे से कम संख्या में डॉक्टर होने के कारण […]

हाल . सदर अस्पताल में पद 59 की जगह मात्र 26 डॉक्टर ही पदस्थापि

पूर्वोत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पिछले कुछ वर्षों से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. सदर अस्पताल में सृजित पद 59 की तुलना में मात्र 26 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं. आधे से कम संख्या में डॉक्टर होने के कारण इलाज के लिए आने वाले मरीजों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है.
पूर्णिया : सदर अस्पताल में इलाज के लिए जो मरीज अहले सुबह यहां पहुंचते हैं, उन्हें निबंधन, काउंसेलिंग, जांच व दवा लेने में शाम हो जाती है. स्वास्थ्य विभाग भी डॉक्टरों की कमी से परेशान है. ऐसे में अहम सवाल है कि बिना डॉक्टर के सबको आरोग्य सुख कैसे मिल पायेगा.
पांच डॉक्टर लंबे समय से छुट्टी पर : सदर अस्पताल में पदस्थापित 30 डॉक्टरों में से पांच डॉक्टर लंबे समय से छुट्टी पर हैं. इनमें चार मेडिसिन विभाग एवं एक इनटी विभाग के डॉक्टर शामिल हैं.
समस्या यह है कि छुट्टी में गये इन डॉक्टरों की जगह दूसरे चिकित्सक को रखा भी नहीं जा सकता है. ऐसे में महज 25 डाक्टरों के कंधे पर सदर अस्पताल के हजारों मरीजों की जिम्मेवारी है. सबसे बुरा हाल बाल रोग विभाग का है. यहां महज एक ही डॉक्टर तैनात है. उसकी बेचारगी देखते ही बनती है. एक बाल रोग विशेषज्ञ के भरोसे ओपीडी, वार्ड राउंड, एसएनसीयू वार्ड तक संचालित हो रहा है. ऐसे में ड्यूटी में लगे डॉक्टरों द्वारा सेवा देना किसी युद्ध जीतने से कम नहीं है.
इलाज के नाम पर होती है खानापूर्ति
व्यवस्था के आगे अस्पताल प्रशासन बेबस
सृजित पद की तुलना में आधे से कम डॉक्टर होने का दंश झेल रहे सदर अस्पताल एक साथ कई पीड़ा से जूझ रहा है. डॉक्टरों में प्राय: भागमभाग की स्थिति बनी रहती है. इस भागमभाग में मरीजों का इलाज मात्र खानापूर्ति बन कर रह गया है. चार घंटे के अंतराल में हर एक डॉक्टर को सवा सौ से भी अधिक मरीजों को देखनी बाध्यता है. ऐसे में डॉक्टर इलाज के नाम पर खानापूर्ति के अलावा और क्या कर सकते हैं. अस्पताल के पदाधिकारियों का मानना है कि इतने कम संसाधन में जो भी सुविधा यहां उपलब्ध करायी जा रही है, वह अन्य जिला अस्पतालों की तुलना में बेहतर है. पदाधिकारियों के दावों में भी दम है. यदि यहां बेहतर सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो फिर यहां इलाज के लिए मारामारी कैसे मची रहती.
ओपीडी में बढ़ जाती है परेशानी
सदर अस्पताल के ओपीडी में रोजाना 11 सौ के आसपास मरीज पहुंचते हैं. विभिन्न विभागों के 11 सौ मरीजों को काउंसेलिंग करने का जिम्मा महज आठ डॉक्टरों पर होता है. सर्वाधिक भीड़ मेडिसिन विभाग व स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में देखने को मिलती है. इन दोनों विभागों से परामर्श के लिए सुबह के सात बजे से ही कतार लगना आरंभ हो जाता है. इस कतार में सबसे पहले निबंधन के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है. उसके बाद काउंसेलिंग, फिर जांच और अंतिम पायदान पर दवा लेना होता है. इन प्रक्रियाओं से गुजरने में मरीजों को पूरे दिन लग जाता है. कई मरीजों को तो दूसरे दिन का भी चक्कर लग जाता है. सदर अस्पताल के ओपीडी में मरीजों का इलाज करा पाना आसान नहीं है.
सदर अस्पताल एक नजर में
विभाग डॉक्टर
मेडिसिन 11
सर्जरी 04
हड्डी 04
आंख 02
इएनटी 03
स्त्री 03
बच्चा 01
मुर्च्छक 02
कुल 30
कम संसाधन, फिर भी बेहतर सेवा
डॉक्टरों की कमी, संसाधनों के अभाव के बीच हम मरीजों को बेहतर सेवा देने में सफल रहे हैं. डॉक्टर की कमी का मामला विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष रखा गया है. उम्मीद है शीघ्र सदर अस्पताल को डॉक्टर मिल जायेंगे.
डॉ एमएम वसीम,सिविल सर्जन

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