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नहीं दिखते खरीदार, बाजार पड़ा सुस्त

बढ़ने लगी ठंड. नोटबंदी के बाद अब ठंड का असर, जनजीवन के साथ कारोबार हो रहा प्रभावित मोदी सरकार की ओर से की गयी नोटबंदी का एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है. इतना ही नहीं पहले लोगों को नोटबंदी के कारण परेशानी हुई. अब लगातार पड़ रही कड़ाके की ठंड के कारण आम […]

बढ़ने लगी ठंड. नोटबंदी के बाद अब ठंड का असर, जनजीवन के साथ कारोबार हो रहा प्रभावित

मोदी सरकार की ओर से की गयी नोटबंदी का एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है. इतना ही नहीं पहले लोगों को नोटबंदी के कारण परेशानी हुई. अब लगातार पड़ रही कड़ाके की ठंड के कारण आम लोगों के साथ-साथ व्यापािरयों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह है बाजार सूना है.
पूर्णिया : ठंड के तल्ख तेवर से आम जन जीवन ही नहीं कारोबारी बाजार भी ठहर गया है. नोटबंदी के बाद एक महीने से अधिक समय से बाजार की हालत कुछ अच्छी नहीं थी. अब ठंड ने रही-सही कसर पूरी कर दी है. खाद, बीज, सीमेंट, छड़, कपड़ा, रेडिमेड, जूता-चप्पल, आभूषण, सब्जी से लेकर हीटर और गीजर तक का बाजार मंदा है. शीतलहर के बावजूद गरम कपड़ों के बाजार में गरमी देखने को नहीं मिल रही है.
वहीं किसानों को फसल प्रभावित होने का भी भय सताने लगा है. पिछले तकरीबन दस दिनों से जारी ठंड के लगातार तल्ख होते तेवर के कारण बाजारों में भीड़ कम होती जा रही है, जिसके कारण कारोबार खासा प्रभावित हुआ है. हालांकि धूप निकलने के बाद सड़कों पर लोग निकलते जरूर है लेकिन आवश्यक काम निबटा कर जल्द घर पहुंच घरों में कैद होना मुनासिब समझ रहे हैं.
गीजर और हीटर भी पड़ा ठंडा : ठंड के मौसम में सबसे बुरा हाल तो इलेक्ट्रिक बाजार का है. कड़ाके की ठंड के बावजूद इलेक्ट्रिक बाजार में गर्मी की जगह ठंडी ही ठंडी दिख रही है. गीजर व हीटर कारोबारी हितेन दास के अनुसार ऐसा लग रहा है कि इस वर्ष कारोबार सिमट कर 25 से 30 फीसदी पर आ जायेगा. कहा कि नोटबंदी का असर पहले से ही बाजार पर नजर आ रहा था. उम्मीद थी कि ठंड बढ़ते ही बिक्री बढ़ेगी लेकिन ठंड इस कदर पड़ेगी कि घरों से लोग निकल कर बाजार तक आने से भी बचेंगे ऐसी उम्मीद नहीं थी. कारोबारी दीपक, सौरव और रतन की मानें तो नोटबंदी और ठंड दोनों के कारण बाजार सुस्त है.
हर तरफ है ठंड का असर : ठंड का असर कृषि मंडी, अनाज मंडी, किराना, लोहा, सीमेंट व खाद के बाजारों में दिख रहा है. ठंड के कारण बाजार सुना पड़ा है. खुश्कीबाग के सब्जी मंडी, कृषि मंडी, गुलाबबाग तथा शहर के भट्ठा बाजार इत्यादि सभी जगहों पर लगभग हालात एक समान ही है. लग्न अब महज दो चार दिन ही बचा है लेकिन सर्राफा बाजार में बिक्री नहीं है. सर्राफा कारोबारी बताते हैं कि नोटबंदी के बाद तो सर्राफा बाजार वैसे ही सुना पड़ गया था. लेकिन खुदरा खरीदारों की खरीदारी की उम्मीद थी. शादी ब्याह का मौसम है लेकिन ठंड के कारण बाजार में खरीदार नहीं है.
किसानों की बढ़ी चिंता : तैयार फसलों की बिक्री के लिए बाजार और नगदी के अभाव में अगली रबी की खेती में जैसे- तैसे जुटे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें बढ़ गयी है. कई मुसीबतों और मशक्कत के बाद रबी, राई, गेहूं, मक्का इत्यादि की फसल लगा चुके किसान अब बढ़ी ठंड और बर्फीली हवा के साथ पड़ते पाला की वजह से फसल प्रभावित होने की शंका से परेशान है. जानकारों की माने तो जिस कदर पछुआ हवा बर्फ वाली ठंड के साथ लगातार बनी हुई है ऐसे में रबी सहित गेहूं का फसल प्रभावित हो सकता है जो किसानों की मुश्किलें बढ़ा सकता है.
नोटबंदी के बाद ठंड का कहर बाजार तक नहीं पहुंच रहे खरीदार
08 नवंबर के बाद नोटबंदी के कारण वैसे भी बाजारों में खरीदार कम पड़ गये थे. बाद में कैशलेस कारोबार और निकासी की कमी से व्यापार जहां सिमट कर आधे पर आ गया था, वही अब ठंड की वजह से खरीदार बाजारों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. दुकानदार जहां सुबह सवेरे दुकानें खोल ग्राहकों का इंतजार करते हैं वहीं 11 बजे के बाद निकलती धूप तीन बजे तक खत्म हो जाती है. महज तीन से चार घंटे के समय में बाजार अपनी रफ्तार जब तक पकड़ता है ग्राहक वापस लौटने लगते हैं. ऐसे में जब नोटबंदी के बाद लोग स्थिति सामान्य होने की उम्मीद लगाये बैठे थे, ठंड की वजह से फिर एक बार स्थिति और सामान्य हो गयी है.
गरम कपड़ों के कारोबार पर बड़ा प्रभाव
ठंड को लेकर रेडिमेड कारोबारियों के सजे-सजाये सपने स्याह पड़ने लगे हैं. कैशलेस कारोबार के लिए बाजार व खरीदार पूरी तरह तैयार नहीं है. गरम कपड़ों के भारी स्टॉक हैं लेकिन खरीदार ही बाजार से गायब हैं. बाजार की यह स्थिति कारोबारियों के लिए अप्रत्याशित है. खुश्कीबाग और भट्ठा बाजार के कपड़ा कारोबारियों के अनुसार ब्रांडेड कपड़ा, लहंगा, साड़ी, कंबल, कोट इत्यादि की बिक्री ठप पड़ी हुई है. दरअसल मूल वजह यही है कि नोटबंद से बाद से अब तक बाजार की स्थिति सामान्य नहीं हो पायी है. अन्यथा अन्य वर्षों में दिसंबर माह में गर्म कपड़ों का बाजार परवान पर रहता था.

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