पूर्णिया : शुक्रवार को भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मानकविहीन व अवैध पैथोलॉजी तथा प्रसव केंद्रों पर छापेमारी की, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. गुरुवार को भी छापेमारी में कुछ हासिल नहीं हुआ था, लेकिन जिस तरह अवैध संचालकों को सेंटर छोड़ कर भागना पड़ा, उससे स्पष्ट हो गया कि यहां धड़ल्ले से अवैध पैथोलॉजी और प्रसव केंद्रों का धंधा फल-फूल रहा है.
ऐसा नहीं है कि विभाग की ओर से पहली बार इस तरह के अभियान चलाये गये हैं. समस्या यह है कि स्वास्थ्य विभाग व प्रसव तथा पैथोलॉजी माफियाओं के बीच शह और मात का खेल लंबे समय से चल रहा है. विभाग की कार्रवाई की एक आहट मात्र से ऐसे माफिया तुरंत अपनी रणनीति में बदलाव कर लेते हैं. यही कारण है कि हर बार विभाग को ऐसे माफियाओं पर अंकुश लगाने में विफलता हाथ आती है. गुरुवार को हुए छापेमारी की रिपोर्ट टीम ने सिविल सर्जन को सौंप दी है. अब देखना दिलचस्प होगा कि ऐसे अवैध संचालकों पर विभाग क्या कार्रवाई करती है.
विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में : विभाग में कई लोग पदस्थापित हैं, जिनके घरों की रसोई का खर्च इन्हीं अवैध धंधेबाजों के बलबूत चलता है. लिहाजा विभाग की ओर से भी ऐसे कारोबारियों का अप्रत्यक्ष रूप से बचाव ही किया जाता है.
मसलन छापेमारी से पूर्व इस प्रकार की सूचना को लीक किया जाता है. गुरुवार की शाम पोस्टमार्टम रोड पर विभाग की कार्रवाई जिन सेंटरों पर चल रही थी, उन सेंटरों के कर्ता-धर्ता बाहर दुकान पर बैठ कर चाय-समोसे का मजा ले रहे थे.
बताया जाता है कि ऐसे लोगों की जान-पहचान विभाग के कई बड़े लोगों से है. यही कारण है कि हर बार कार्रवाई विफल हो जाती है. इन्हीं कर्मियों की वजह से प्रसव व पैथोलॉजी माफिया विभाग के साथ शह और मात का खेल जारी रहता है. निहित स्वार्थ के लिए विभाग घृतराष्ट्र की भूमिका में रहता है और गरीब मरीजों की जिंदगी के साथ इन सेंटरों पर सरेआम खिलवाड़ होता है.