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काझा कोठी में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन

केनगर/पूर्णिया. काझा कोठी परिसर में भी राजकीय समारोह का आयोजन किया गया. मौके पर स्व शास्त्री की प्रतिमा पर माल्यार्पण के उपरांत सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. प्रार्थना सभा की शुरुआत संत पीटर्स हिंदी मीडियम के छात्र-छात्राओं द्वारा बाइबिल पर आधारित प्रार्थना गीत के साथ हुआ. इसके उपरांत मदरसा अंजुमन इस्लामियां के अब्दुल […]

केनगर/पूर्णिया. काझा कोठी परिसर में भी राजकीय समारोह का आयोजन किया गया. मौके पर स्व शास्त्री की प्रतिमा पर माल्यार्पण के उपरांत सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. प्रार्थना सभा की शुरुआत संत पीटर्स हिंदी मीडियम के छात्र-छात्राओं द्वारा बाइबिल पर आधारित प्रार्थना गीत के साथ हुआ. इसके उपरांत मदरसा अंजुमन इस्लामियां के अब्दुल कैयुम व कारी तुफैल अहमद द्वारा कुरान की कलावत पढ़ी गयी. भट्ठा बाजार गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी लक्ष्मण सिंह बेदी द्वारा भी प्रार्थना का प्रस्तुतीकरण किया गया. वही गढ़बनैली के उदय नारायण राय ने सुरदास का भजन ‘ रे मन मुरख, जनम गमायो

’ प्रस्तुत किया. जबकि विजय कुमार दास द्वारा कबीर पंथ भजन प्रस्तुत किया गया. भजन व प्रार्थना के माध्यम से स्व शास्त्री के आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गयी. मौके पर एसडीसी अजय कुमार ठाकुर, सदर डीसीएलआर रवि राकेश, बीडीओ मनीष कुमार सिंह आदि मौजूद थे.

भारतीय राजनीति के कबीर थे भोला पासवान : आलोक
पूर्णिया. बुजुर्ग समाज द्वारा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की 102 वीं जयंती कचहरी परिसर स्थित नगर निकाय पेंशनर परिवार कार्यालय में बुधवार को आयोजित किया गया. उपस्थित लोगों ने स्व शास्त्री के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बुजुर्ग समाज के अध्यक्ष भोलानाथ आलोक ने कहा कि स्मृति शेष भोला पासवान शास्त्री बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे और एक बार केंद्र में भी मंत्री रहे. बावजूद जिस प्रकार उन्होंने पूरी जिंदगी फटेहाली में बीतायी, उसी प्रकार आज उनका परिवार फटेहाल जिंदगी जी रहा है. वजह यह रही कि उन्होंने राजनीति को कभी पेशा नहीं बनाया. वे भारतीय राजनीति के कबीर थे और शासन की चादर ओढ़ कर कबीर की तरह जस की तस रख दी.
वहीं समारोह की अध्यक्षता कर रहे डा नीलांबर सिंह ने कहा कि स्व शास्त्री देश की राजनीति में हमेशा अपवाद के रूप में जाने जाते रहेंगे. प्रारंभ से ही वे गांधीवादी विचारधारा के रहे और आजादी की लड़ाई में उन्होंने अहम भूमिका निभायी. जो यह दर्शाता है कि उन्होंने राजनीति को अर्थोपार्जन का जरिया नहीं बनाया. मंच संचालन आलोक कुमार ने किया. इस मौके पर श्याम लाल पासवान, गौतम वर्मा, मो शाहिद हुसैन, अवधेश कुमार सिंह, परिमल मित्रा, केदारनाथ साह, अर्जुन पासवान, दिलीप कुमार दीपक, अहमद हसन दानिश, शिवलाल शर्मा व्यथित आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये.
स्व शास्त्री के तैलचित्र पर माल्यार्पण करते बुजुर्ग समाज के सदस्य.

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