पूर्णिया : शहर के चौराहे और बाजार में वेंिडंग जोन की चाहे लाख कवायद प्रशासन कर ले, लेकिन इस कार्य में सफलता मिलना आसान नहीं है. वजह यह है कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा है. एक तरफ वेंिडंग जोन को लेकर निगम व प्रशासन जमीन की जुगत में हैं, वहीं दूसरी तरफ सड़क किनारे सरकारी जमीनों पर दबंग कब्जा कर भाड़ा वसूल रहे हैं.
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300 दुकानें हैं िकराये पर
पूर्णिया : शहर के चौराहे और बाजार में वेंिडंग जोन की चाहे लाख कवायद प्रशासन कर ले, लेकिन इस कार्य में सफलता मिलना आसान नहीं है. वजह यह है कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा है. एक तरफ वेंिडंग जोन को लेकर निगम व प्रशासन जमीन की जुगत में हैं, वहीं दूसरी तरफ सड़क किनारे […]
यह सब कुछ प्रशासन के नाक के नीचे चल रहा है. स्थिति यह है कि इस खेल में कई वैसे लोग भी शामिल हैं, जो खुद बिहार सरकार अथवा पीडब्ल्यूडी की जमीन पर अवैध कब्जा कर दुकान भाड़े पर चला रहे हैं और दूसरी तरफ वेडिंग जोन के लिए लड़ाई भी लड़ रहे हैं. हालांकि अवैध कब्जे और भाड़े की वसूली के इस खेल से परदा उठने लगा है. वेडिंग जोन की लड़ाई लड़ने वाले लोगों में भी अब इस वजह से वैचारिक मतभेद उभर कर सामने आने लगा है.
तीन हजार रुपये प्रतिमाह तय है भाड़ा : अनुमानित आंकड़े के अनुसार आरएनसाह चौक, गिरजा चौक, लाइन बाजार, खुश्कीबाग, गुलाबबाग के सोनौली चौक, राममोहनी चौक, मंडी समिति गेट एवं जीरो माइल एनएच के दोनों तरफ तकरीबन 300 दुकानें सरकारी जमीन पर कब्जा कर भाड़े पर लगायी गयी हैं. झोंपड़ीनुमा बनी 12×12 की दुकान प्रतिमाह तीन हजार के किराये पर उपलब्ध हैं. इन झोंपड़ियों में दुकान सजाने वाले दुकानदार ससमय भाड़ा भी चुकाते रहे हैं. क्योंकि जरा सा विलंब होने पर तथाकथित मालिक दुकान खाली कराने में भी विलंब नहीं करते हैं.
निगम से लेकर प्रशासन तक को है पता : विडंबना तो यह है कि टाउन वेडिंग कमेटी ने इस अवैध कब्जे को लेकर निगम और अनुमंडल पदाधिकारी को भी आवेदन सौंपा था. 22 अगस्त को एक गरीब दुकानदार से सरकारी जमीन के अवैध कब्जाधारी रानी देवी द्वारा जबरन जुडिसियल स्टांप पर किरायानामा बनवाकर तीन हजार रुपये किराया वसूली की शिकायत लिखित रूप से की गयी थी. फिर भी प्रशासन की नींद नहीं टूटी है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस मामले का पता स्थानीय पुलिस को भी था और पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका मध्यस्थ की रही थी.
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