पूर्णिया : भरगामा की बीबी असरफुल ने मार्च 2015 में तीन लाख रुपये फानूस बैंक में इस उम्मीद में लगा दिये थे कि 75 दिन के बाद जब यह छह लाख रुपया हो जायेगा, तो वे अपनी बेटी का निकाह धूमधाम से कर पायेंगे, पर ऐसा हो न सका और बीबी असरफुल की बेटी आज भी बिन ब्याही है.
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फानूस प्रकरण : बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की सक्रियता बढ़ी
पूर्णिया : भरगामा की बीबी असरफुल ने मार्च 2015 में तीन लाख रुपये फानूस बैंक में इस उम्मीद में लगा दिये थे कि 75 दिन के बाद जब यह छह लाख रुपया हो जायेगा, तो वे अपनी बेटी का निकाह धूमधाम से कर पायेंगे, पर ऐसा हो न सका और बीबी असरफुल की बेटी आज […]
चकमका के राजकुमार ने 2.50 लाख इस उम्मीद में लगाये थे कि एकमुश्त पांच लाख रुपये हो जायेंगे तो फूस की जगह पक्के का मकान बनायेंगे. हालात यह है कि पक्का मकान तो बना नहीं, फूस का घर भी अब मरम्मत के इंतजार में जमींदोज होने की कगार पर है. ‘ थमते-थमते थमेंगे ये आंसू, रोना है यह हंसी नहीं ‘ जैसे हालात से वैसे हजारों निवेशक गुजर रहे हैं, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई फानूस बैंक ऑफ विनोबा ग्राम के हाथों लुटा डाली है. अब उनकी स्थिति सांप भागने के बाद लकीर पीटने वाली है. लेकिन हैरानी की बात यह है
कि इन निवेशकों को आज भी इस बात की उम्मीद है कि उनके रुपये वापस लौट जायेंगे. इसके लिए बकायदा वे प्रयासरत भी हैं. दरअसल इस उम्मीद की वजह यह है कि बीच-बीच में फानूस बैंक ऑफ विनोबा ग्राम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से जुड़े लोगों की सक्रियता और आश्वासन उनके लिए संजीवनी का काम कर रहा है. हालांकि कह पाना कठिन है कि फरेबियों की इस जमात की सचमुच यह कवायद है या फिर फर्जीवाड़ा की एक नयी इबारत लिखने की तैयारी की जा रही है.
पूर्णिया में मिलता रहा है संरक्षण : फानूस ने अपने कुछ मित्रों के साथ मिल कर पूर्णिया में ही फानूस बैंक ऑफ विनोबा ग्राम की बुनियाद रखी थी. यही वजह थी कि हमेशा पूर्णिया को ही फानूस और उसके शार्गिदों ने अपना अड्डा बनाये रखा. जब फानूस ने जमीन की खरीद-फरोख्त में करोड़ों का निवेश किया तो तब भी उसका ठिकाना पूर्णिया ही बना रहा. इसकी वजह यह थी कि कई सफेदपोश और राजनेताओं का संरक्षण उसे पूर्णिया में मिलता रहा.
यहां तक कि जब फानूस के अच्छे दिन थे तो उसकी रातें भी एसी कमरे में पूर्णिया या सिलीगुड़ी के होटलों में गुजरती थी. अब फानूस की मौत के बाद जिन जमीन दलालों ने फानूस के करोड़ों रुपये डकार लिये या फिर अंत तक फानूस के गुनाह के साझीदार रहे, वे अब भी फानूस के शार्गिदों के संरक्षक बने हुए हैं. सरसी और बनमनखी थाना क्षेत्र के दो अपराधी पृष्ठभूमि के जमीन दलाल आज भी उनके संरक्षक बने हुए हैं.
कई एजेंटों ने मुजफ्फरपुर को बनाया ठिकाना : मरहूम फानूस का सबसे करीबी सिकंदर अब जेल से जमानत पर रिहा हो चुका है. वह निर्धारित तिथि पर न्यायालय में उपस्थित भी होता रहा है. लेकिन सिकंदर बांकी समय विनोबा ग्राम में कभी नजर नहीं आता है. साथ ही फानूस के अधिकांश शागिर्द पुलिस की फाइल में फरार है. यह अलग बात है कि गाहे-बगाहे सभी प्रमुख एजेंट कहीं न कहीं नजर आ जाते हैं. मंगलवार को सिकंदर को मुजफ्फरपुर में शहर के एक रिहायशी इलाके में देखा गया. खास बात यह है कि उसके साथ फानूस के सबसे विश्वस्त चालक राजू को भी देखा गया है.
इसके अलावा दोनों के साथ चार नेपाली लड़कियां भी मौजूद थी. सूत्र बतलाते हैं कि सिकंदर और राजू के अलावा कई अन्य एजेंटों ने मुजफ्फरपुर को ठिकाना बना रखा है. पुलिस की नजरों से दूर ऐसे कई ठग गिरोह के सदस्य ऐश भरी जिंदगी जी रहे हैं, जबकि करोड़ों रुपये गंवा चुके निवेशक दर-दर की ठोकर खा रहे हैं.
फानूस बैंक ऑफ विनोबा ग्राम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के सदस्यों की सक्रियता लगातार बनी हुई है. मिली जानकारी अनुसार अररिया जिला के रानीगंज थाना क्षेत्र के भौरहा गांव में 01 सितंबर की रात इन सदस्यों की महत्वपूर्ण बैठक हुई. गौरतलब है कि भौरहा में मरहूम फानूस के मौसेरे बहनोई मो फारूख और चचेरा बहनोई मो फकरूद्दीन का घर है. बैठक में फानूस के सबसे खास शागिर्द सिकंदर का सबसे विश्वसनीय व्यक्ति डा इंसुल हक,
फानूस के पिता मो गुलाम, मौसेरा भाई मो इजहाक और एजेंट मो फिरोज और मो मौजम मौजूद था. बैठक में कुछ दबंग निवेशकों के पैसे को वापस करने पर विमर्श हुआ, लेकिन अंतिम रूप से रजामंदी नहीं हो पायी. अगली बैठक बकरीद के बाद होने की संभावना बतायी जा रही है.
दिसंबर 2015 में भी हुई थी अहम बैठक
फानूस की मौत के बाद निवेशकों का लगातार दबाब एजेंटों पर बना रहा. खासकर मुरलीगंज, जानकीनगर, भरगामा, कुमारखंड आदि क्षेत्र के निवेशक कभी भी विनोबा ग्राम धमक कर पैसे की मांग करने लगते थे. इसी दौरान दिसंबर के अंतिम सप्ताह में विनोबा ग्राम में ही पैसे वापसी को लेकर एक बैठक हुई थी
बैठक में शरीक अररिया से आये हुए फानूस के एक रिश्तेदार ने उस वक्त बैठक में कहा था कि 07 करोड़ रुपये शीघ्र ही उपलब्ध हो जायेगा और उसे निवेशकों के बीच बांटा जायेगा. उस बैठक में बकायदा एक सूची भी तैयार की गयी थी. लेकिन निवेशकों की उम्मीद पर अंतत: पानी फिर गया. यही वजह रही कि निराश निवेशकों ने अंतत: लोकहित याचिका के जरिये उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
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