पूर्णिया : शहरी क्षेत्र में नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से संपत्ति कर एवं रिक्त भूमि कर को लेकर बनाये गये प्रावधानों में संशोधन की राह आसान नहीं है. यह दीगर बात है कि बीते दिनों शहर में नगर संघर्ष समिति की ओर से चलाये गये आंदोलन के बाद निगम के बोर्ड और स्थायी समिति पर दबाव बना था. लेकिन नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद की ओर से जारी पत्र के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि निगम की ओर से विभाग के तय कर निर्धारण पर ही संपत्ति और रिक्त भूमि का कर वसूला जायेगा. इसमें अब नगर निगम का कोई हस्तक्षेप नहीं चलेगा.
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तय दर पर वसूला जायेगा टैक्स
पूर्णिया : शहरी क्षेत्र में नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से संपत्ति कर एवं रिक्त भूमि कर को लेकर बनाये गये प्रावधानों में संशोधन की राह आसान नहीं है. यह दीगर बात है कि बीते दिनों शहर में नगर संघर्ष समिति की ओर से चलाये गये आंदोलन के बाद निगम के बोर्ड और […]
तल्ख है विभाग के तेवर : संपत्ति कर, रिक्त भूमि कर एवं किराया मूल्य के आधार पर कर की वसूली को लेकर प्रधान सचिव की ओर से जारी पत्र में सशक्त स्थायी समिति के अध्यक्ष एवं मुख्य नगरपालिका पदाधिकारी को नगरपालिका अधिनियम 2007 को लागू करने का निर्देश जारी किया गया है. नगरपालिका सशक्त स्थायी समिति कार्य संचालन नियमावली 2010 की धारा 10(4)(क) के अनुसार कोई प्रस्ताव जो राज्य सरकार के निर्णय के विरुद्ध होगा उसे पारित नहीं करने का सख्त निर्देश जारी किया गया है.
जारी निर्देश में मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कर वसूली निर्धारित संपत्ति कर के आधार पर ही होगा जो न्यूनतम नौ प्रतिशत है. वहीं संपत्ति कर, रिक्त भूमि कर एवं संपत्ति कर वार्षिक किराया मूल्य के आधार ही लेने का सख्त निर्देश देते हुए अधिनियम का अनुपालन अक्षरश: करने का निर्देश जारी किया है.
फंस सकता है पेच, राह नहीं होगा आसान : जारी निर्देश के अनुपालन में नगर निगम को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. बीते दिनों जिस कदर टैक्स वृद्धि के बाद नगर संघर्ष समिति की ओर से चरणबद्ध आंदोलन किया गया था, वह
आश्वासनों के बाद बड़ी मुश्किल से थमा था. लेकिन सच तो यह है कि टैक्स वृद्धि का मामला आज भी समाप्त नहीं हुआ है और आम लोगों के लिए टैक्स वृद्धि आज भी एक मुद्दा है. अलबत्ता टैक्स वसूली को लेकर विभाग के सख्त निर्देश के बाद निगम की कर वसूली की राह आसान नहीं होगी. वहीं नगर निगम के लिए यह स्थिति पसोपेश की होगी. एक तरफ राज्य सरकार का निर्देश जिसका अनुपालन नियम संगत होगा तो दूसरी तरफ आम नागरिकों की वजह से राह आसान नहीं होगा.
टैक्स वृद्धि और रिक्त भूमि को लेकर चला था आंदोलन : दरअसल संपत्ति कर के साथ रिक्त भूमि पर लगे कर एवं कर वृद्धि को लेकर नगर संघर्ष समिति ने वर्ष 2015 में ही आंदोलन का शंखनाद कर दिया था. कई महीनों तक चले आंदोलन में रिक्त भूमि से कर हटाने एवं कर वृद्धि में संशोधन की लगातार मांग के बाद जन दबाव में निगम की बोर्ड ने जन हित में फैसला लिया था और आंदोलन थम गया था. लेकिन जिस कदर विभाग कर वसूली पर अडिग है
संभावना जतायी जा रही है कि शहर में फिर से आंदोलन की राह पर लोग चल पड़ेंगे. ऐसे में नगर निगम के पास बहुत कुछ कर पाने की स्थिति नहीं होगी, क्योंकि नियम और कायदे से नगर निगम को जकड़ दिया गया है. जाहिर है आने वाले दिनों में आंदोलन के कई रंग देखने को मिल सकते हैं.
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