पूर्णिया : फानूस बैंक ऑफ विनोबा ग्राम के निदेशक फानूस जब तक जिंदा रहा, आम लोगों के बीच एक रहस्य बना रहा और मौत के बाद भी रहस्य ही बना हुआ है. वजह स्पष्ट है कि मामूली पढ़े-लिखे फानूस ने वित्तीय प्रबंधन का ऐसा हैरतअंगेज जाल फैलाया कि उसमें हजारों लोग रातोरात निवेशक बन गये और देखते ही देखते फानूस बैंक ऑफ विनोबा ग्राम की संपत्ति सैकड़ों करोड़ में पहुंच गयी.
वित्तीय प्रबंधन के जानकार भी माथापच्ची करते रह गये कि महज दो से तीन महीने में किस तरह से नोट दोगुना हो जा रहा है. हालांकि जब तक यह रहस्य उजागर होता, फानूस की मौत हो गयी, जो आज भी रहस्य बना हुआ है. फानूस भले ही खाक में सुपुर्द है, लेकिन जाते-जाते भी उन्होंने अपने रिश्तेदारों और शार्गिदों को लखपति और करोड़पति बना डाला. यह अलग बात है कि वैसे हजारों निवेशक जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी की जमापूंजी फानूस बैंक में जमा की थी, आज दाने-दाने के लिए मोहताज हैं.
रिश्तेदारों पर फानूस की रही असीम कृपा : फानूस अपने रिश्तेदारों के लिए उद्धारक बन कर सामने आया. बीपीएल परिवार से ताल्लुक रखने वाले फानूस के अधिकांश रिश्तेदार बीपीएल श्रेणी के ही थे. ऐसे में जब अचानक फानूस की दुनिया बदल गयी तो फानूस ने अपनों की भी दुनिया बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ा. फानूस भले ही अब इस दुनिया में नही है, लेकिन उनके रिश्तेदार मौज भरी जिंदगी जी रहे हैं और उनकी पूरी दुनिया ही बदल चुकी है.
फानूस का चचेरा भाई फरहान हो या चाचा फकरूद्दीन, दोनों लग्जरी वाहन का मालिक है. फानूस का चचेरा बहनोई भरगामा निवासी मो मुन्ना और फारबिसगंज निवासी मो सलाउद्दीन स्कॉर्पियो की सवारी कर रहा है. कोसी विभाग में मामूली नौकरी करने वाला चचेरा बहनोई मो मुस्ताक और मो हाफिज अब लग्जरी वाहन का मालिक है. इसी प्रकार कल तक कटिहार के एक डॉक्टर के यहां कंपाउंडर रहा चचेरा बहनोई सलाउद्दीन अब कटिहार के विनोदपुर में करोड़ों के जमीन और फ्लैट का मालिक बना हुआ है. जबकि फानूस के ससुराल के लोगों ने सुपौल के त्रिवेणीगंज बाजार में महंगा जमीन का प्लॉट खरीद रखा है.
शार्गिदों की देखते ही देखते बदली दुनिया : कम पढ़ा-लिखा होने के बावजूद फानूस ने जब नोट दुगुना करने का काला कारोबार आरंभ किया तो उसने बकायदा बोर्ड ऑफ डायरेक्टर का गठन किया. इसमें कुल 40 लोगों को शामिल किया गया. जिसमें प्रमुख रूप से मो सिकंदर, मो मुस्लिम, जुबेर, मन्नान, मो बबलू, मो फरहान आदि शामिल था. इसके बाद फानूस के कुछ नजदीकी रिश्तेदार भी इसमें शामिल थे. वहीं बतौर एजेंट 150 लोगों को इस काले धंधे से जोड़ा गया था
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के सदस्य तो करोड़पति बने ही, एजेंटों ने भी करोड़ों का कारोबार किया. मो मन्नान ने अपने ससुराल अरजपुर में आलीशान घर का निर्माण कराया है और इसी वर्ष उसने सुपौल में भव्य तरीके से बहन की शादी संपन्न करायी है. मो बबलू, जो कल तक टमटम चलाता था, अब अररिया के मोहनी में 15 एकड़ जमीन का मालिक बन चुका है. मो फरहान ने कटिहार में जमीन खरीदी और वहां अब ट्रैक्टर गैराज चल रहा है. कल तक जो विनोबा ग्राम गुमनामी के बीच रह रहा था,
फानूस की वजह से आर्थिक मानचित्र पर अचानक उभर कर सामने आया. अधिकांश फूस के घरों के सामने लग्जरी वाहन लगने लगे और जिनकी हैसियत साइकिल पर चलने की नहीं थी, वे अपाचे और इंटायशर की सवारी करने लगे. वहीं फानूस फैक्टर इस तरफ काम करने लगा कि देखते ही देखते फूस के घर की जगह मकानें बनने लगी. लेकिन फानूस की मौत के साथ ही सारी कवायद थम गयी.
कई सफेदपोश व राजनेता भी हुए लाभान्वित
मो फानूस का यह काला कारोबार यूं ही संचालित नहीं हो रहा था, बल्कि इसे सफेदपोशों और राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त था. फानूस के बैंक में सफेदपोश नेताओं से लेकर बड़े राजनेताओं ने डूबकी लगायी. यही वजह है कि जनवरी 2015 में विनोबा ग्राम में बड़ी पुलिसिया कार्रवाई के बावजूद फानूस का धंधा बेरोकटोक जारी रहा. इसमें स्थानीय पुलिस की भी महती भूमिका रही. स्थानीय लोगों के बीच जारी चर्चा के अनुसार कोसी और सीमांचल के दो बड़े नेता का फानूस को संरक्षण प्राप्त था.
वहीं छुटभैया नेताओं ने आरंभिक दौर में ही अच्छी-खासी रकम इस बैंक से हासिल किया था. मधेपुरा जिला के मुरलीगंज, कुमारखंड और बिहारीगंज के कई छुटभैया नेताओं ने लाखों रूपये करोड़ों में तब्दील कराया. वहीं मुरलीगंज के कई व्यवसायी भी फानूस बैंक के माध्यम से मालामाल हुए तो कुछ की जमापूंजी भी फानूस के साथ ही डूब गयी. इसके अलावा सहरसा, अररिया, कटिहार, किशनगंज, खगड़िया आदि जिले के भी कई सफेदपोश इस धंधे में मालामाल हुए.