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स्मार्ट सिटी की राह मुश्किल

नगर निगम . लंबा इंतजार, पांच महीने में पार करना है पहला पड़ाव यूं तो पूिर्णया स्मार्ट िसटी की िलस्ट मेें शामिल हो गया है, लेकिन इसे सचमुच स्मार्ट िसटी बनने की राह में अभी कई अवरोध सामने हैं. मानकों के अनुसार हर घर में शौचालय का होने भी जरूरी है, िजसमें पूिर्णया अभी काफी […]

नगर निगम . लंबा इंतजार, पांच महीने में पार करना है पहला पड़ाव

यूं तो पूिर्णया स्मार्ट िसटी की िलस्ट मेें शामिल हो गया है, लेकिन इसे सचमुच स्मार्ट िसटी बनने की राह में अभी कई अवरोध सामने हैं. मानकों के अनुसार हर घर में शौचालय का होने भी जरूरी है, िजसमें पूिर्णया अभी काफी पीछे है. और हर घर में शौचालय बनाना केन्द्र और राज्य सरकार की प्राथमिकता सूची में शािमल है ़
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पूर्णिया : पूर्णिया शहर की स्मार्ट सिटी के दौड़ में शामिल होने के राह में कई अवरोध हैं. स्मार्ट सिटी के मानकों को पूरा करने के लिए निगम को कई आंतरिक बाधाओं के साथ-साथ तय मानकों को पूरा करने में एड़ी-चोटी एक करनी होगी. फिलहाल अरबन इंडिया के तहत किये गये सर्वे में देश के 500 शहरों के लिस्ट में पूर्णिया शामिल तो हो गया है,
लेकिन इस स्पर्धा में भी आगामी पांच महीने में स्वच्छता सर्वेक्षण की सूची के किस रैकिंग पर हमारा शहर आता है, यह भी कहना मुश्किल है. वह इसलिए कि स्मार्ट सिटी के पहले पायदान पर ही इस अभियान की सफलता के राह में कई रोड़े हैं. ऐसे में स्मार्ट सिटी की राह न तो आसान दिख रहा है, बल्कि इंतजार की घड़ी भी बड़ी लंबी होगी.
यहां फंस सकता है पेच : इस अभियान की सफलता में सबसे बड़ा पेच है नगर निगम में कर्मियों की कमी. उपलब्ध जानकारी अनुसार नगर निगम में कर्मियों की स्थिति आवश्यकता से काफी कम है. प्राप्त जानकारी अनुसार वर्ष 2000 में नगरपालिका के समय जहां 256 कर्मचारी नियुक्त थे, तब शहर की आबादी तकरीबन 01 लाख से कम थी. लेकिन वर्ष 2002 में नगर परिषद और 2005 में नगर निगम के गठन और शहर की आबादी सवा तीन लाख होने के बाद आज कर्मियों की संख्या घट कर तकरीबन 135 से 40 रह गयी है. ऐसे में इस अभियान की सफलता में बड़ा पेंच कर्मियों की कमी भी साबित हो सकता है.
सोर्स ऑफ इनकम भी है समस्या
स्वच्छता मिशन को लेकर वैसे तो नगर निगम लगातार कवायदों में जुटा है, निगम के अधीन आने वाले इलाकों में शौचालय निर्माण जारी भी है, लेकिन सड़क, नाला, सफाई को लेकर निगम का वित्तीय आमदनी भी राह का रोड़ा बन सकता है. दरअसल बीते कई वर्षों से नगर निगम खुद का तय वित्तीय आमदनी की टारगेट को भी पूरी नहीं कर पा रहा है. ऐसे में शहर को स्वच्छ रखने, सड़क, नाला के निर्माण तथा अन्य मानकों को पूरा करने की कवायद में खर्च होने वाले राशि की पूर्ति भी इस राह में रोड़ा अटका सकता है.
पहला पड़ाव पार करना ही है मुश्किल
स्मार्ट सिटी के लिए सर्वप्रथम स्वच्छ शहर का होना तय है. इस योजना के तहत अरबन डेवलपमेंट ऑफ इंडिया की ओर से सर्वे में स्वच्छ शहरों के 500 शहर में पूर्णिया भी शामिल हुआ है. केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेसिंग भी की गयी, लेकिन बड़ी बात तो यह है कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 के प्रथम पड़ाव को पार करने के लिए कुल 112 तय मानकों पर निगम को महज पांच महीने में कार्य पूर्ण कर अपनी जगह बनानी है, जिसकी राह फिलहाल आसान नहीं दिख रही है.
ये है बड़ी शर्ते, जिस पर होना है कार्य
स्वच्छता 2017 के तहत तय मानकों में हर घर शौचालय होना अनिवार्य है. डोर टू डोर कचरा निष्पादन की व्यवस्था, शहर में सपाट व चिकनी सड़कें, पक्के नाला बल्कि सड़क के दोनों ओर पूर्ण साफ-सफाई, ठोस एवं गीला कचरा का निष्पादन व्यवस्था के साथ-साथ अन्य स्वेच्छता को लेकर श्रमदान की व्यवस्था के साथ अन्य तकरीबन 100 के करीब छोटी-छोटी स्वच्छता से संबंधित कार्यों पर महज पांच महीने में निगम को कार्य करना है.
वार्डों में बनानी है कमेटियां, लगेंगे होर्डिंग
स्वच्छता मिशन के इस कवायद की सफलता को लेकर समूचे शहर में स्लोगन वाले होर्डिंग लगाने हैं. वाल पेंटिंग कर स्लोगन के माध्यम से जागरूकता फैलानी है, बल्कि वार्डों में 08 से 10 लोगों की कमेटी का निर्माण करना है. आशय यह है कि कमेटी में शामिल सदस्य वार्डों में श्रमदान एवं स्वच्छता से संबंधित कार्यों को निष्पादित करायेंगे, बल्कि निगरानी भी करेंगे. वार्डों को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखना इनका दायित्व होगा. इस कमेटी में वार्ड पार्षद भी शामिल रहेंगे.
स्मार्ट सिटी के लिए सर्वप्रथम स्वच्छ शहर का होना तय है. इस योजना के तहत अरबन डेवलपमेंट ऑफ इंडिया की ओर से सर्वे में स्वच्छ शहरों के 500 शहर में पूर्णिया भी शामिल हुआ है. केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेसिंग भी की गयी, लेकिन बड़ी बात तो यह है कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 के प्रथम पड़ाव को पार करने के लिए कुल 112 तय मानकों पर निगम को महज पांच महीने में कार्य पूर्ण कर अपनी जगह बनानी है, जिसकी राह फिलहाल आसान नहीं दिख रही है.
ये है बड़ी शर्ते, जिस पर होना है कार्य
स्वच्छता 2017 के तहत तय मानकों में हर घर शौचालय होना अनिवार्य है. डोर टू डोर कचरा निष्पादन की व्यवस्था, शहर में सपाट व चिकनी सड़कें, पक्के नाला बल्कि सड़क के दोनों ओर पूर्ण साफ-सफाई, ठोस एवं गीला कचरा का निष्पादन व्यवस्था के साथ-साथ अन्य स्वेच्छता को लेकर श्रमदान की व्यवस्था के साथ अन्य तकरीबन 100 के करीब छोटी-छोटी स्वच्छता से संबंधित कार्यों पर महज पांच महीने में निगम को कार्य करना है.
वार्डों में बनानी है कमेटियां, लगेंगे होर्डिंग
स्वच्छता मिशन के इस कवायद की सफलता को लेकर समूचे शहर में स्लोगन वाले होर्डिंग लगाने हैं. वाल पेंटिंग कर स्लोगन के माध्यम से जागरूकता फैलानी है, बल्कि वार्डों में 08 से 10 लोगों की कमेटी का निर्माण करना है. आशय यह है कि कमेटी में शामिल सदस्य वार्डों में श्रमदान एवं स्वच्छता से संबंधित कार्यों को निष्पादित करायेंगे, बल्कि निगरानी भी करेंगे. वार्डों को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखना इनका दायित्व होगा. इस कमेटी में वार्ड पार्षद भी शामिल रहेंगे.
स्वच्छता मिशन के इस कवायद की सफलता को लेकर समूचे शहर में स्लोगन वाले होर्डिंग लगाने हैं
वार्डों को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखना कमेटी के सदस्यों का होगा दायित्व

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