पूर्णिया : नगर निकाय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को अपने नामांकन फर्म के साथ अपने संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य है. जिसमें भवन तथा खाली जमीन का मूल्यांकन करा कर देना है. इतना ही नहीं, उक्त भवन या जमीन की वर्तमान स्थिति, सड़कों के वर्णित स्थिति एवं भवन के मूल्यांकन के लिए रजिस्टर्ड आर्टिकेट का प्रमाणपत्र आवश्यक है. प्रत्याशी को खुद और पत्नी, आश्रित एवं पिता द्वारा प्राप्त संपत्ति का ब्योरा शत प्रतिशत देना अनिवार्य है.
चुनाव आयोग के इस निर्णय से नगर निकाय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों में खलबली मची हुई है. कई लोगों के लिए चुनाव आयोग की यह घोषणा गले की फांस बन गयी है.
दिन भर मची रही हायतौबा, चलता रहा मंथन : बुधवार को सुबह से ही संपत्ति ब्योरा को लेकर हायतौबा मचा रही. पुराने प्रत्याशियों के साथ-साथ नये प्रत्याशी भी इसके लिए परेशान रहे. दरअसल वर्ष 2012 में हुए नगर नकाय के आम चुनाव में निर्वाचन आयोग ने चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को अपनी संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य कर दिया था. वर्ष 2010 में हुए चुनाव में यह लागू नहीं था. अधिसूचना नामांकन की तिथि 17 मई को जारी किये जाने के उपरांत अचानक संपत्ति के ब्योरा की बातें सामने आने से दिन भर हड़कंप मचा रहा.
थोड़ी सी हुई चूक तो होंगे मुकदमा : हालात यह है कि चुनावी समर में कूदने वाले प्रत्याशियों को महज तीन दिन नामांकन के लिए शेष हैं. जिसमें 19 और 20 के बाद अंतिम तिथि 29 मई है. ऐसे में अगर संपत्ति का ब्योरा देने वाले शपथ पत्र समर्पित कर नामांकन करते हैं और कोई चूक होती है तो मुकदमे के लिए तैयार रहना होगा. क्योंकि चुनाव आयोग ने अपने निर्देश में यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रत्याशियों द्वारा जारी शपथ पत्र गोपनीय स्तर पर जांच करायी जायेगी. अगर शपथ पत्र गलत निकला तो उक्त प्रत्याशी पर भारतीय दंड संहिता के धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जायेगा.