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नहीं सुधरी ओपीडी की व्यवस्था

सदर अस्पताल. मरीजों की भीड़ व व्याप्त कुव्यवस्था से बढ़ी परेशानी सदर अस्पताल में व्यवस्था बिगड़ने व सुधरने का खेल अक्सर जारी रहता है. अस्पताल का एक विभाग की हालत सुधरी नहीं कि दूसरा विभाग बीमार हो जाता है. फिलवक्त ओपीडी सेवा में मरीजों की भीड़ व वहां मौजूद तमाम कुव्यवस्थाएं अस्पताल प्रशासन की मुंह […]

सदर अस्पताल. मरीजों की भीड़ व व्याप्त कुव्यवस्था से बढ़ी परेशानी

सदर अस्पताल में व्यवस्था बिगड़ने व सुधरने का खेल अक्सर जारी रहता है. अस्पताल का एक विभाग की हालत सुधरी नहीं कि दूसरा विभाग बीमार हो जाता है. फिलवक्त ओपीडी सेवा में मरीजों की भीड़ व वहां मौजूद तमाम कुव्यवस्थाएं अस्पताल प्रशासन की मुंह चिढ़ा रही है.
पूर्णिया : सदर अस्पताल के आइपीडी व्यवस्था में निरंतर कमोवेश सुधार हो रहा है. यह सदर अस्पताल के आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले एक सप्ताह में सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों में कुल 365मरीज भरती हुए. जिसमें 186मरीज स्वस्थ हो कर घर लौटे .यह कमोवेश पारा मेडिकल कर्मी एवं नर्सिंग कर्मचारियों की तत्परता से संभव हो पाया है.अस्पताल के विभिन्न वार्डों में अब भी तमाम प्रकार की कुव्यवस्थाएं मौजूद हैं. जो यहां आने वाले मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनता है. लेकिन इस मामले से अस्पताल प्रशासन बेखबर है.
चैंबर से बाहर नहीं निकलते हैं डॉक्टर साहब : आपातकालीन कक्ष में भले ही गंभीर मरीज क्यों नहीं पहुंच जाये, डॉक्टर अपने चैंबर से टस से मस नहीं होते हैं. वहीं से बैठे-बैठे फर्मासिस्टों को मरहम पट्टी करने का निर्देश देते रहते हैं. छोटे-मोटे ऑपरेशन से ले कर बैंडेज पट्टी तक फर्मासिस्टों से ही कराते हैं. कम ही ऐसे मौके होते हैं, जब डॉक्टर साहब चैंबर से बाहर निकल कर मरीज का इलाज करते हैं. ऐसे में ही कहीं कुछ उल्टा-पुल्टा हो जाता है तो वहीं हंगामा का सबब भी बनता है.जानकार बताते हैं कि हंगामे का मुख्य कारण डॉक्टरों का मरीजों के प्रति संवेदनहीनता ही रही है.
आइपीडी में साफ सफाई का अभाव: सदर अस्पताल के अंत:वार्डों में हमेशा गंदगी का आलम देखने को मिलता है. जिस पर हमेशा मक्खियां भिनभिनाते रहती हैं. गंदगी के कारण उत्पन्न बदबू से मरीज परेशान रहते हैं. किंतु साफ सफाई को ले कर अस्पताल प्रशासन अब तक उदासीन है. गौरतलब है कि अस्पताल की अंदरूनी साफ सफाई का जिम्मा आउटसोर्सिंग एजेंसी को दी गयी है. किंतु अनुबंध समाप्त होने के बाद साफ-सफाई की हालत बद से बदतर हो गयी है. इसके बावजूद भी अस्पताल प्रशासन की नींद नहीं टूट रही है.
ओपीडी में होती है भीड़: आपात
कालीन व आइपीडी में हुए सुधार के बाद अब ओपीडी सेवा में सुधार की जरूरत है. ओपीडी में हमेशा भीड़ देखने को मिल रही है. मरीज सुबह से शाम तक काउंसेलिंग के चक्कर में जूझते नजर आ रहे हैं. एक-एक विभाग में मरीजों की भीड़ देखते ही बनती है. ऐसे में काउंटर बढ़ाने की मांग उठने लगी है.
ओपीडी के बाहर अपनी बारी की प्रतिक्षा में बैठी मनीषा देवी ने बताया कि साढ़े ग्यारह बजे से यहां बैठे हैं. किंतु भीड़ के कारण डॉक्टर को दिखाने में असफल रहे.अब शाम में डॉक्टर को दिखा कर घर लौटेंगे.
जिसकी लाठी, उसकी भैंस: केनगर के बनिया पट्टी से आये सोहराब ने बताया कि ग्यारह बजे से यहां मौजूद हैं. डॉक्टर को अब तक नहीं दिखा पाये हैं. शाम में डॉक्टर को दिखा कर ही घर लौटेंगे. जबकि रुपौली से आये सुलो मंडल ने बताया कि परचा तो ले लिए हैं, किंतु भीड़ देख कर घबराहट हो रही है. जलालगढ़ प्रखंड की विमला देवी ने बताया कि इलाज के लिए यहां आये हैं. भीड़ का हुड़दंग देख कर हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. दिन भर ओपीडी की यहीं स्थिति रहती है.
एक सप्ताह में आइपीडी की स्थिति
वार्ड भरती स्वस्थ
महिला सर्जरी 55 26
बच्चा वार्ड 43 26
पुरुष मेडिकल 55 28
महिला मेडिकल 93 42
पुरुष सर्जिकल 84 34
संक्रामक विभाग 35 30
कुल 365 186
संसाधनों का घोर अभाव है. यहां जो बेहतर संभव है, वह किया जा चुका है. अब ओपीडी में काउंटर बढ़ाना बड़ा ही कठिन है. फिर भी प्रयास की जायेगी.
डा सुशीला दास,अस्पताल उपाधीक्षक,पूर्णिया

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