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अिधकारी-डीलर का गंठजोड़ िनगल रहा गरीबों का निवाला

धांधली. िजले में पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी जनवितरण प्रणाली सेवा केस स्टडी-01 पूर्व प्रखंड के महेंद्र पुर निवासी योगेंद्र ने बताया कि कूपन नहीं होने के कारण उसे डीलर द्वारा राशन नहीं दिया जाता है.अब नया कार्ड मिला है.किंतु दुकानदार सिर्फ चालू माह का राशन देने की बात बता रहा है.कूपन एवं कार्ड नहीं […]

धांधली. िजले में पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी जनवितरण प्रणाली सेवा

केस स्टडी-01
पूर्व प्रखंड के महेंद्र पुर निवासी योगेंद्र ने बताया कि कूपन नहीं होने के कारण उसे डीलर द्वारा राशन नहीं दिया जाता है.अब नया कार्ड मिला है.किंतु दुकानदार सिर्फ चालू माह का राशन देने की बात बता रहा है.कूपन एवं कार्ड नहीं होने के कारण पिछले कई माह से राशन से वंचित है.
केस स्टडी-02
बनमनखी प्रखंड के बहुरा गांव निवासी उर्मिला देवी ने बताया कि राशन-केरोसिन निर्धारित मात्रा से काफी कम मात्रा में दिया जाता है.सही मात्रा मांगने पर दुकान दार सूची से नाम काट देने की धमकी दी जाती है. इतना ही नहीं एक -दो माह के अंतराल पर राशन दिया जाता है.
केस स्टडी-03
बायसी की आसजा मोबैया पंचायत के पूंडालय गांव निवासी सुमित्रा देवी ने बताया कि पिछले कई माह से राशन नहीं मिला है. नया कार्ड अभी मिला है. किंतु डीलर मात्र तीन माह का ही राशन देने की बात कहता है.हम लोग प्रखंड कार्यालय पहुंच कर भी राशन केरोसिन दिलाने की बात कही,किंतु यहां से भी निराशा ही मिली.
केस स्टडी-04
धमदाहा प्रखंड के मीरगंज निवासी सावित्री देवी ने बताया कि डीलर का जब मन हुआ,राशन दिया. जब मन नहीं किया तो नहीं दिया. कुछ बोलने पर अनाज नहीं देने की धमकी दी जाती है. साथ ही बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. कई लोग डीलर के व्यवहार से क्षुब्ध है.
पूर्णिया : जिले में जन वितरण प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है. प्रखंड के छोटे कर्मचारी से लेकर जिले के आला अधिकारी तक गरीबों के राशन केरोसिन पर गिद्ध दृष्टि जमाये हुए हैं. गरीबों का राशन-केरोसिन उठाव से पूर्व ही बंदर बांट की भेंट चढ़ जा रहा है. गरीब उपभोक्ता राशन केरोसिन के लिए हाथ मलता रह जाता है.जबकि पीडीएस डीलर व अधिकारियों के चेहरे सुर्ख होते जा रहे हैं.यही कारण है कि जिले के हजारों गरीब उपभोक्ता डीलरों की मनमानी के शिकार हो रहे हैं. खाद्य सुरक्षा की दुहाई देने वाले अधिकारी गरीबों की इस जटिलतम समस्या के प्रति लापरवाह बने हुए है.
मिलीभगत कर हजम कर जाते हैं राशन : गरीबों के अनाज की हकमारी के लिए केवल पीडीएस दुकानदार जिम्मेवार नहीं है. जानकार बताते हैं कि राशन-केरोसिन के बंदर बांट का खेल प्रखंड स्तर के एसएफसी एवं केरोसिन डिपो से ही शुरु होता है. इसके बाद राशि की बंदर-बांट का खेल आरंभ होता है. इस बंदरबांट में अधिकारियों के कद के अनुरुप उन्हें उनके हिस्से की राशि उपलब्ध करायी जाती है. जाहिर है कि लूट के इस खेल में सबों का मेल है.
उठाव से पूर्व बिक जाता है खाद्यान्न : अधिकारियों के बिचौलिए एसएफसी गोदाम एवं केरोसिन डिपो में डेरा जमाये रहते हैं.राशन केरोसिन उठाव के समय ही प्रति डीलर से निर्धारित राशि वसूल ली जाती है. इसके बाद पीडीएस डीलरों की मनमानी शुरु होती है. ऐसे में डीलर की उपभोक्ताओं को निर्धारित मात्रा से आधा राशन देने की विवशता होती है.एक डीलर ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि यदि कमीशन प्रथा हटा दिया जाये तो उपभोक्ताओं को सही मात्रा में राशन देना आसान हो जायेगा.
किंतु ऐसा हम नहीं कर सकते हैं. क्योंकि यदि शुद्ध रुप से राशन का वितरण कर भी दिया जाता है तो अधिकारी द्वारा भयादोहन व तंग करने का सिलसिला तेज हो जाता है.इसलिए अधिकारियों को खुश रखने के लिए उपभोक्ताओं के राशन में कटौती विवशता है.
बिना कूपन के लाभुकों को नहीं मिल रहा राशन
जिले के धमदाहा,सदर ,बनमनखी व बायसी अनुमंडल के अधिकांश प्रखंडों में कूपन रहित उपभोक्ताओं को राशन व केरोसिन से वंचित रखने की बात सामने आ रही है.कई प्रखंडों में अठारह माह बाद कूपन कार्ड का वितरण किया जा रहा है.किंतु उपभोक्ताओं को चालू माह से ही राशन देने की बात कही जा रही है.ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर लगभग डेढ़ साल से गरीबों के राशन केरोसिन को कौन निगलता रहा है.जानकार बताते हैं कि सक्षम अधिकारी निष्पक्ष हो कर मामले की जांच करे तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं.

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