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नहाय-खाय के साथ कल से चैती छठ की होगी शुरुआत

नहाय-खाय के साथ कल से चैती छठ की होगी शुरुआत पूर्णिया. जिले में चैती छठ को लेकर तैयारी आरंभ कर दी गयी है. रविवार को नहाय-खाय के साथ पर्व की शुरुआत हो जायेगी. नहाय-खाय के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 09:41 बजे के बाद बताया जा रहा है. खरना 11 अप्रैल को होगा. जबकि पहले दिन […]

नहाय-खाय के साथ कल से चैती छठ की होगी शुरुआत पूर्णिया. जिले में चैती छठ को लेकर तैयारी आरंभ कर दी गयी है. रविवार को नहाय-खाय के साथ पर्व की शुरुआत हो जायेगी. नहाय-खाय के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 09:41 बजे के बाद बताया जा रहा है. खरना 11 अप्रैल को होगा. जबकि पहले दिन का अर्घ्य अर्थात संध्या अर्घ्य 12 अप्रैल व दूसरे दिन का अर्थात उषा अर्घ्य 13 अप्रैल को होगा. पर्व को लेकर अभी से लोग छठ घाटों की सफाई में जुट गये हैं.स्वच्छता और सादगी का प्रतीक है छठछठ पर्व को स्वच्छता और सादगी के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है. पूजा के दौरान साफ-सफाई और सादगी का विशेष ख्याल रखा जाता है. छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है. जिसमें एक चैती छठ तथा दूसरा कार्तिकी छठ है. कार्तिकी छठ कार्तिक शुक्ल पक्ष तथा चैती छठ चैत्र मास की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं में दोनों अवसर विशेष महत्व रखते हैं. इसमें मूल रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है. महिला व पुरुष दोनों समान रूप से पर्व को मनाते हैं. पूर्व में यह उत्तर भारत तथा नेपाल के इलाके में मनाया जाता था. लेकिन अब इसका विस्तार देश के विभिन्न इलाकों सहित विदेशों में भी होने लगा है. प्रवासी भारतीय विदेशों में भी छठ की पूजा करते हैं.छठ से जुङी प्रचलित हैं कई कथाएंलोक आस्था के पर्व छठ को लेकर कई कथाएं भी प्रचलित हैं. कहते हैं कि द्रौपदी व पांडवों ने भी अपना खोया हुआ राजपाट पाने के लिए सूर्य देव की अराधना की थी. मान्यताओं के अनुसार छठी मैया और सूर्य देव में भाई-बहन का रिश्ता है. कहते हैं कि छठ की पूजा विशेष फलदायी होती है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी छठ पर्व का विशेष महत्व है. क्योंकि वैज्ञानिकों के अनुसार छठ के दिन पृथ्वी की सतह पर सूर्य की पराबैगनी किरणें सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्रित होती हैं. छठ पूजा के दौरान अपनायी जाने वाली परंपरा इन किरणों के कुप्रभाव से बचने का सबसे आसान साधन है. इसके अलावा अन्य कई तथ्य भी हैं, जो छठ को महत्वपूर्ण बनाते हैं.कल होगी नहाय-खाय पूजापरंपरा के अनुसार छठ पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है. इसकी शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है. चतुर्थी तिथि अर्थात शुक्रवार को नहाय-खाय की पूजा की जायेगी. इसमें पवित्रता के साथ स्नान कर छठव्रती शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करेंगे. परंपरा के अनुसार व्रती के भोजन के उपरांत ही परिवार के अन्य सदस्य भी भोजन ग्रहण करते हैं. सामान्य तौर पर भोजन में कद्दू व चना दाल तथा अरवा चावल का प्रयोग किया जाता है. नदी अथवा जलश्रोतों में स्नान को विशेष फलदायी बताया गया है. नहाय खाय के लिए सुबह 09:41 बजे के बाद का समय उपयुक्त बताया गया है. खरना की पूजा 13 अप्रैल को की जायेगी. इसके साथ ही व्रती अगले 36 घंटों के लिए उपवास पर चले जायेंगे. 15 अप्रैल को उषा अर्घ्य के उपरांत छठ घाट से लौटने के उपरांत ही प्रसाद ग्रहण कर वे उपवास का समापन करेंगे.फोटो – 8 पूर्णिया 6परिचय – छठ पूजा का फाइल फोटो

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